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'मां के दरबार में झुकाया शीश , मांगा आशीष'

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शारदीय नवरात्र में बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक सभी मां भगवती की भक्ति के

By Edited By: Published: Thu, 02 Oct 2014 01:46 AM (IST)Updated: Thu, 02 Oct 2014 01:46 AM (IST)
'मां के दरबार में झुकाया शीश , मांगा आशीष'

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शारदीय नवरात्र में बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक सभी मां भगवती की भक्ति के रंग में रंगे हेैं। बुधवार को सप्तमी तिथि पर मां भगवती के कालरात्रि स्वरूप का श्रृंगार व पूजन हुआ। भक्तों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां का पूजन कर उनसे परिवार, समाज और राष्ट्र के कल्याण की कामना की। सुबह दुर्गा सप्तशती का पाठ कर मां भगवती की स्तुति की गई, शाम को भजन-कीर्तन से मां की महिमा का गुणगान किया। मंदिरों में मां के दरबार को फूल व पत्तियों से सजाया गया है, जो भक्तों को खूब भा रहा है।

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मीरापुर स्थित महाशक्तिपीठ मां ललिता देवी मंदिर में सुबह मां का अभिषेक कर उनका भव्य श्रृंगार किया गया। मां के दिव्य स्वरूप का दर्शन कर भक्त मोहित हो गए। भक्तों ने ललिता के बाद भैरव बाबा का दर्शन कर दान, पुण्य किया। परिसर में शाम को भजन संध्या का आयोजन हुआ। इसमें महिलाओं ने मोहक भजनों से मां की महिमा का गुणगान किया। मंदिर समिति संरक्षक संजीव अग्रवाल, अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा के नेतृत्व में जनकल्याण के लिए चल रहे शतचंडी यज्ञ में धीरज नागर, महेंद्र मालवीय, सल्टू यादव, सुमित श्रीवास्तव शामिल हुए।

महाशक्तिपीठ मां कल्याणी देवी परिसर में भक्तों की भारी भीड़ जुटी रही। गर्भगृह का सज्जा गुलदस्तों एवं गेंदा की मालाओं से की गई। मां रत्‍‌नजड़ित आभूषणों से सजीं। हर कोई मां के दिव्य स्वरूप का दर्शन करने को व्याकुल रहा। मंदिर समिति के अध्यक्ष सुशील कुमार पाठक ने कहा कि गुरुवार को अष्टमी व नवमी तिथि साथ पड़ने के चलते विशेष श्रृंगार किया जाएगा।

मां अलोपशंकरी मंदिर में पूरे दिन घंटा-घड़ियाल गूंजता रहा। भक्तों ने मां के पालने में मत्था टेका व कल्याण की कामना की। इसके बाद परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां को प्रसन्न करने के लिए अनुष्ठान कराया। वहीं मां के दरबार में भजनों की गूंज देर रात तक चलती रही। लोग भक्ति में इतने रमे रहे कि उन्हें बाहरी दुनिया का कोई ख्याल ही नहीं था।

मां क्षेमा माई मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुटी। मां की दिव्य प्रतिमा के आगे भक्तों ने मत्था टेककर उनसे मनौती मानी। यहां आने वाले हर भक्त में अजीब का आत्मविश्वास व मानसिक एवं शारीरिक शांति थी। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था मानों उनका सारा कष्ट हमेशा के लिए समाप्त हो गया हो। शाम को भजन-कीर्तन के बाद महाआरती का आयोजन हुआ।


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