मंसूबा नए विश्वविद्यालय स्थापित करने का
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : हिंदी साहित्य सम्मेलन अपनी डिग्रियों की मान्यता का स्पष्टीकरण नहीं कर पा रहा है, लेकिन दावा नए विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों को स्थापित करने का कर रहा है।
प्रयाग स्थित हिंदी साहित्य सम्मेलन विभिन्न प्रकार के पंफलेट और किताबों के माध्यम से कुछ यही भ्रम फैलाने में लगा हुआ है। इस संस्था द्वारा प्रकाशित पंफलेट में सम्मेलन के उद्देश्य में हिंदी के प्रचार-प्रसार सहित हिंदी भाषा की उन्नति के लिए नए महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों की स्थापना किए जाने को शामिल किया है। जबकि संवैधानिक तौर पर हिंदी साहित्य सम्मेलन की खुद की डिग्रियां और मार्कशीट ही कहीं से मान्य नहीं हैं। सम्मेलन के प्रधानमंत्री विभूति नारायण मिश्र खुद स्वीकार भी कर चुके हैं कि हिंदी साहित्य सम्मेलन कोई विश्वविद्यालय और बोर्ड नहीं है, इसके बावजूद देश भर में फैले हिंदी साहित्य सम्मेलन के साढ़े तीन सौ केंद्रों से मार्कशीट और डिग्रियां बांटी जा रही हैं। गौर करने वाली बात यह है कि सम्मेलन के विषय में जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग सबकुछ जानने के बावजूद कोई उचित कदम नहीं उठा रहे हैं।