लोक कलाएं राष्ट्र की पहचान : अतुल
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : भारतीय लोक कला महासंघ के तत्वावधान में देश के सात राज्यों से जुटे प्रतिष्ठित-प्रख्यात लोक कलाकारों ने मन, वचन और कर्म से लोक कला के प्रति चिंतन और चर्चा की। लोक कला के संवर्धन, प्रोत्साहन और उससे उपजे गहन सांस्कृतिक सामाजिक मूल्यों व योगदान पर समवेत स्वर से विचार विमर्श भी किया।
हिंदुस्तानी एकेडमी के सभागार में मंगलवार को हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सुविख्यात लोक नाट्य विद अतुल यदुवंशी ने की। इन्होंने कहा कि लोक कलाओं से राष्ट्र का मूल्य तय होता है तथा लोक कलाएं ही हमारी संस्कृति की पहचान कराती हैं। मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि क्रमश: सांसद केशव प्रसाद मौर्य, गौरव कृष्ण बंसल-निदेशक एनसीजेडसीसी, राजेश पुरोहित-निदेशक इलाहाबाद संग्रहालय थे। इस अवसर पर सीसपाल सिंह चौहान, राजकुमार रायकवार, उमर फारुख, डा.हरिश्चंद्र प्रभाकर बोरकर, नंदलाल भारती, प्रोबिन कुमार सैकिया, डा.श्लेष गौतम, धनंजय चोपड़ा, प्रवीण शेखर, डा.अनुपम आनंद, नंदल हितैषी, राजकुमार श्रीवास्तव, रविनंदन सिंह आदि उपस्थित थे।