चढ़ेगा दूध-लावा, होगी शिव पूजा
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : नागपंचमी का त्यौहार शुक्रवार को जनपद में धूमधाम से मनाया जाएगा। इसको लेकर गुरुवार को तैयारियों को अंतिम रूप दिया गय। शहर में कई जगह जहां मेलों के आयोजन होंगे वहीं खेल प्रतियोगिताओं में भी खिलाड़ी अपना दमखम परखेंगे।
नागपंचमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को यह त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है। नाग पंचमी के ही दिन गावों व कस्बों में कुश्ती का आयोजन भी होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को नदी, तालाबों में ले जाकर नहलाया जाता है। श्रद्धा व विश्वास के इस पर्व पर भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करना अत्यधिक शुभ बताया गया है।
उधर त्यौहार को लेकर निगम प्रशासन लापरवाही बरतता रहा। गुड़िया तालाब सहित मेला स्थलों की साफ सफाई बुधवार तक शुरू नहीं हो पाई। गुरुवार को मेले की तैयारियां शुरू की गईं। इससे साफ है कि मेला आधी अधूरी तैयारियों के बीच ही होगा। बलुआ घाट के पार्षद सतीश केसरवानी ने बताया कि मेले को लेकर काफी तैयारियां स्थानीय लोगों द्वारा की गई। वैसे इसके लिए निगम प्रशासन को तीन चार दिन पहले से प्रयास करना चाहिए था, लेकिन विभाग ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई। गुरुवार तक मेला स्थल पर बिजली आदि के कार्य नहीं हो सके थे। खुल्दाबाद स्थित गुड़िया तालाब पर विभाग द्वारा खानापूर्ति की गई है। जगह जगह कूड़े के ढेर और आसपास मौजूद गड्ढे मेला देखने आए लोगों के लिए परेशानी का सबब बनेंगे।
नैनी कार्यालय के मुताबिक शंकर ढाल पर लगने वाले मेले को लेकर गुरुवार को दुकानदारों की तैयारियां तो जोरों पर चलती रहीं, पर निगम की लापरवाही के कारण कई जगहों पर कूड़े का अंबार लगा रहा। बता दें कि नैनी के नाग पंचमी मेले में हजारों की भीड़ उमड़ती है। इस मौके पर कबड्डी और कुश्ती आदि की प्रतियोगिताएं भी होती हैं।
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पर्व की विशेषता
- शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। इसलिए इस पर्व पर नाग के दर्शन व पूजन का विशेष फल मिलता है। जो भी इस दिन नाग की पूजा करता है, उसे कभी साप का भय नहीं होता और न ही उसके परिवार में किसी को नागों द्वारा काटे जाने का भय सताता है।
उपवास की विधि
- नागपंचमी में नाग देवताओं के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत में पूरे दिन उपवास रख कर सूर्य अस्त होने के बाद पूजा के लिए खीर बनाकर नाग देवता की मूर्ति अथवा शिव मंदिर में जाकर भोग लगाया जाता है।
क्या न करें
-सर्पो का निवास स्थल भूमि ही होती है। इसलिए श्रावण मास में भूमि खोदाई संबंधी कार्य शुभ नहीं माने जाते।
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नागों को न पिलाएं दूध
इलाहाबाद : जीव कल्याण एवं शिक्षा समिति ने श्रद्धालुओं से नागों को दूध न पिलाने की अपील की है। समिति के संयुक्त सचिव दिलीप कुमार काके का कहना है कि नागपंचमी पर नागों की पूजा करनी चाहिए। विज्ञान कहता है कि नाग दूध के शौकीन नहीं होते। नागों की पूजा लावा एवं दूध चढ़ाकर होती है, न कि दूध पिलाकर।