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इंसानियत का पैगाम देती है ईद

By Edited By: Published: Sun, 27 Jul 2014 08:42 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jul 2014 08:42 PM (IST)
इंसानियत का पैगाम देती है ईद

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : रोजेदारों के एक महीने के इबादत भरे सफर की सुहानी मंजिल 'ईद' को अब चंद घंटे ही शेष रह गए हैं। सेवई की मिठास घोलकर भाईचारा कायम करने वाला यह पर्व न सिर्फ रोजे की तपिश में साफ हो चुके दिलों के मिलन का मौका है बल्कि सारे जहा के मालिक की रहमत की एक उम्दा नजीर भी है। ईद-उल-फितर मुल्क की गंगा-जमुनी तहजीब को थामने वाली मजबूत डोर है।

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मौलाना काजिम आब्दी कहते हैं कि यह पर्व एक महीने तक रोजा रखकर इबादत करने वाले बंदों को अल्लाह की तरफ से बख्शा गया बेशकीमती तोहफा है। उन्होंने बताया कि ईद का इतिहास हजरत मुहम्मद साहब के काल जितना पुराना है। मौलाना महमूद हसन गाजी ने बताया कि सक्षम लोग ईद से पहले रमजान के महीने में सात तोला सोना अथवा 52 तोले चांदी अथवा उसकी कीमत के बराबर ऐसी रकम के ढाई फीसद के बराबर धन निकालकर उसे गरीबों और बेसहारा लोगों में बांट देते हैं, वह भी किसी को बताए बगैर।

मौलाना नासिर फाखरी कहते हैं, 'ईद महज एक त्यौहार नहीं, बल्कि भाईचारे और एकजुटता का बड़ा मौका होता है। इस दिन लोग दुश्मन को भी गले लगा लेते हैं। यह हमें ऐसा मौका देता है कि दुश्मनी को भूल भाईचारा कायम करने की ओर बढ़ते हैं। ईद सही मायनों में इंसानियत का पैगाम देता है।'

मौलाना हाफिज जैद मो. खान कहते हैं, 'ईद को मजहबी दायरे से हटकर देखें तो इंसानी नजरिए से इसकी खासी अहमियत है। यह एक ऐसा त्यौहार है जो इंसान के बीच की दूरियों को पाटने का काम करता है।' यही पैगम्बर की रवायत रही और हम सभी को उनके बताए रास्ते पर ही चलना है।' मौलाना शमसुर जमा कहते हैं ईद के रुहानी के साथ-साथ मुकम्मल आर्थिक पहलू भी हैं। मसलन, जकात की रकम से गरीब लोगों को भी ईद मनाने का बराबर का मौका मिलता है। इसके साथ रमजान के दौरान होने वाली बरकत से व्यापारी वर्ग भी मालामाल हो जाता है। ईद की तैयारी के लिए लोग जमकर खरीददारी करते हैं। ईद की तैयारियों में लोग अपने घरों की मरम्मत, रंगाई-पुताई वगैरह करवाते हैं जिससे श्रमिक वर्ग को साल के बाकी महीनों के मुकाबले रमजान में ज्यादा धन मिलता है।

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छुट्टी पर भी गुलजार रहे बाजार

इलाहाबाद : ईद को लेकर बाजार की रौनक बढ़ गई है। छुट्टी का दिन होने के बावजूद रविवार को चौक सहित शहर के अन्य प्रमुख बाजार गुलजार रहे। खरीददारों की भारी भीड़ से बाजारों में जाम की स्थिति रही।

चौक, नखासकोहना, नूरुल्ला रोड, करेली आदि क्षेत्रों में दुकानों पर सुबह से ही भीड़ जुटने लगी थी। इस भीड़ में बड़े-बूढ़े, महिलाएं समेत बच्चे भी अपनी उपयोग के सामान खरीदने में व्यस्त रहे। महिलाओं और लड़कियों की भीड़ कपड़ों व श्रृंगार प्रसाधन की दुकानों पर देखी गई। सेवई खरीदने को तो जैसे होड़ मची रही। किमामी सेवई की सबसे ज्यादा बिक्री दिखी।

सूतफेनी भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते नजर आई। सफेद सूतफेनी 80 रुपये और लाल सूतफेनी 100 रुपये किलो बिकी। सेवई का गिफ्ट पैक भी ग्राहकों के लिए उपलब्ध है। सेवई के लिए तरह-तरह के मेवे चेरी, नारीयल, काजू, किशमिश, अखरोट, पिस्ता बादाम, छोहारा, सौफ, मिसरी आदि भी बिक रहे हैं। इन सामानों के छोटे तैयार पैक भी दुकानों पर बिकते नजर आए।

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चांद देखने की अपील

-शहर काजी मुफ्ती शफीक अहमद शरीफी ने शहर के मुस्लिम समुदाय के लोगों से सोमवार को ईद का चांद देखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि चांद देखने के बाद लोग फौरन मोबाइल नंबरों 9935657470, 9450612914 पर तस्दीक करें।

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ईद पर मुकम्मल रहे व्यवस्था

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : ईद पर जनसुविधा से जुड़ी बिजली, पानी और सफाई जैसी व्यवस्थाएं मुकम्मल रखने की मांग प्रशासन से की गई है। ताकि त्योहार अच्छे ढंग से मना सकें।

संयुक्त व्यापार मंडल रोशनबाग की बैठक रविवार को कार्यालय में हुई। इसमें अध्यक्ष रमीज अहसन ने माहे रमजान के खत्म होने के साथ ईद पर चर्चा की। उन्होंने बिजली विभाग द्वारा रोजेदारों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। कहा कि खराब ट्रांसफार्मरों को ठीक करने में हीलाहवाली की गई। इफ्तार और सहरी के वक्त बिजली की कटौती से रोजेदारों के साथ व्यापारियों को भी मुश्किल हुई। ईद पूर्व मस्जिदों के आसपास सफाई, जलापूर्ति, मार्ग प्रकाश और विद्युत व्यवस्था सुनिश्चित कराने की मांग नगर निगम एवं बिजली विभाग से की। कहा कि ईद की नमाज के पहले लोगों को नहाने और वजू के लिए पानी की ज्यादा जरूरत पड़ती है। ऐसे में बिजली कटने पर लोग उग्र हो सकते हैं। जैक सेवा ट्रस्ट की प्रीतम नगर में हुई बैठक में भी बिजली, पानी और सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने की मांग की गई। अध्यक्षता कर रहे सिराज खान ने सभी से गिले-शिकवे भूल ईद मनाने की अपील की। बैठक में जाहिद खान, महमूद, शबनम बेगम, अखिलेश श्रीवास्तव, अनिल कुशवाहा आदि थे।


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