वृत्त चित्र में झलका बेरोजगारी का दर्द
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : अपने चारों तरफ यदि हम घूमकर देखें तो कुछ लिखने और समझने के लिए विषयों की कमी नहीं है। यह साबित किया बुधवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के छात्रों ने। किसी ने कभी नवाबों की शान रहे गुम होते तागों की बात की, तो किसी ने स्वाद का सफर तय किया पर 'वैकेंसी' तथा 'खुबसूरत ख्वाब' शीर्षक से बनी शार्ट फिल्मों ने सभी के मन पर खासा प्रभाव छोड़ा। वृत्त चित्र वैकेंसी में बेरोजगारी का दर्द व खूबसूरत ख्वाब में एक गरीब लड़की के विवाह को लेकर संजोए गए ख्वाब को दर्शाने का प्रयास किया गया। बुधवार को विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज में वार्षिक डॉक्यूमेंट्री फिल्म स्क्रीनिंग शुरू हुई। इस बार छह डाक्यूमेंट्री व दो शार्ट फिल्में दिखाई गई। इनमें प्रमुख रूप से 'रफ्तार में गुम होते तागे', 'दास्तान-ए-स्वाद', 'दुकान जी', 'ये लड़के हाय अल्लाह', 'खुशरो की खुशबू' तथा 'दास्तान-ए-चाक' प्रमुख रहीं। इस अवसर पर निदेशक प्रो. जीके राय, अब्बास मुजफ्फर, सेंटर के इंचार्ज सुनील श्रीवास्तव, कोर्स कोआर्डिनेटर धनंजय चोपड़ा तथा एसके यादव, विद्यासागर मिश्र, सचिन मेहरोत्रा, अमित मौर्या आदि मौजूद रहे।