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डायरिया पीड़ितों से भरे वार्ड

By Edited By: Published: Fri, 03 May 2013 07:35 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2013 07:36 PM (IST)
डायरिया पीड़ितों से भरे वार्ड

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : जिले के सरकारी व निजी अस्पतालों के वार्ड इस समय डायरिया पीड़ितों से भर गए हैं। प्रदूषित पानी पीने से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पीलिया, डायरिया जैसी खतरनाक बीमारियां पांव पसारती जा रही हैं। इलाज के लिए मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है। स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय की ओपीडी में शुक्रवार को पांच दर्जन से अधिक मरीज पहुंचे। गंभीर अवस्था में कई भर्ती हुए। इस बीमारी की जद में सबसे अधिक पुराने मुहल्ले के लोग आ रहे हैं। वहीं अस्पतालों में अभी तक आइसोलेशन वार्ड तक नहीं बनाए गए हैं।

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जिला अस्पताल काल्विन में किरन (36) करेली, रुखसत (18) नखासकोना, शमीम (15) मूरतगंज, अख्तर (65) हंडिया व स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में शांति (25) अतरसुइया, कमला (22), राजेश (28), सोनम (33), अजय (40), लालता (45), पुष्पेंद्र (35), राजेश (50), अनीता (27), अफसाना (50) भर्ती हुए। इसी प्रकार तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय बेली में अनंत कुमार (50), लखन लाल (75), प्रथम मिश्र (35) को भर्ती कराया गया। मरीजों में अधिकतर बेली गांव, फाफामऊ, नवाबगंज के क्षेत्रों के हैं। वहीं चिल्ड्रेन अस्पताल में डायरिया पीड़ित सूर्याश, प्रकाश, तारा, कमलेश भर्ती हुए।

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नहीं बने आइसोलेशन वार्ड

डायरिया पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद भी अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड अब तक नहीं बने। मरीजों को इमरजेंसी व जरनल वार्ड में भर्ती किया जा रहा है, जिससे वहां भर्ती अन्य मरीजों को भी संक्रमण का खतरा हो रहा है। दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग अभी तक साल भर के सरकारी धन के खर्च के हिसाब में ही व्यस्त है। अधिकारी फागिंग, छिड़काव, सफाई एवं प्रदूषित पेयजल आदि का ठीकरा नगर निगम व जल संस्थान पर फोड़ रहे हैं।

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दिनचर्या पर दें ध्यान

बढ़ती गर्मी में इन बीमारियों से बचने के लिए खानपान के साथ दिनचर्या में भी विशेष सावधानी बरतनी होगी। काल्विन के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गिरीश पांडेय का कहना है कि ज्यादातर बीमारियां तेज धूप एवं गर्मी के साथ प्रदूषित खानपान, पेयजल के संक्रमण और मच्छर के कारण होती हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादा समय तक उल्टी-दस्त होने पर गुर्दा खराब होने का खतरा बढ़ जाता है।

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इसका रखें ख्याल

-पानी उबालकर छानने के बाद पीएं।

-छोटे बच्चों को समय-समय पर पानी जरूर पिलाएं।

-खुले में बिकने वाले सड़े-गले एवं कटे फल और गन्ने आदि के जूस का सेवन कतई न करें।

-ताजा एवं हल्का खाना खाएं। -खीरा, ककड़ी, नीबू, पुदीना, दही, आम का पना एवं बेल शर्बत का सेवन फायदेमंद है।

-फास्ट फूड व ज्यादा तेल-मसाला का उपयोग न करें।

-उल्टी-दस्त की दिक्कत होने पर बच्चों को जीवन रक्षक घोल (ओआरएस) पिलाएं।

-घर में ओआरएस नहीं है तो पानी उबालकर उसमें नमक और चीनी मिलाकर पिलाएं।

-घर के भीतर या बाहर पानी न जमा होने दें।

-रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।

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