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फैक्ट्रियों के प्रदूषण से शहर की फिजां जहरीली

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : औद्योगिक प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट को यूं ही चिंता नहीं है। फैक्ट्रियों और

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 02:57 AM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 02:57 AM (IST)
फैक्ट्रियों के प्रदूषण से शहर की फिजां जहरीली
फैक्ट्रियों के प्रदूषण से शहर की फिजां जहरीली

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : औद्योगिक प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट को यूं ही चिंता नहीं है। फैक्ट्रियों और कंट्टीघरों से उत्सर्जित प्रदूषण ने शहर के वातावरण को जहरीला बना दिया है। इस वजह से टीबी, सांस, किडनी, हार्ट व कैंसर जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात ये है कि जिन सरकारी विभागों पर प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी है, उन्हें कोई फिक्र नहीं।

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घनी आबादी में फैक्ट्रियां

सुप्रीम कोर्ट आदेश दे चुका है कि फैक्ट्रियों को शहर की घनी आबादी से दूर किया जाए। लापरवाह तंत्र आज तक इसका अनुपालन नहीं कर पाया।

नहीं लगे ट्रीटमेंट प्लांट

शहर में यूपीएसआइडीसी (उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम) के अधीन आइटीआइ, छेरत व रामघाट रोड पर करीब 1000 छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं। इनमें तीन दर्जन बड़े उद्योगों में शुमार हैं। अधिकतर फैक्ट्रियों में बिना ट्रीटमेंट प्लांट के ही पानी बहा दिया जाता है। जस्ता गलाने की भट्ठी से जबर्दस्त धुआं होता है। फर्निशिंग फैक्ट्रियां विद्युत संयंत्रों से संचालित हैं।

नालियों में बहता तेजाब

ताला व हार्डवेयर उत्पादन में निकिल प्रोसेसिंग अहम है। सासनी गेट, मामू भांजा, पला रोड, महेंद्र नगर, ऊपर कोट, जयगंज, भूंखी सराय, शाहजमाल सहित शहर के दर्जनभर मोहल्लों में 250 निकिल प्लांट हैं। ब्रास की मूर्ति उत्पादन में गोल्ड पॉलिश व ब्रास के हार्डवेयर में गंधक तेजाब व केमिकल का खूब इस्तेमाल होता है। निकिल के बाद बचे जल व अन्य अपशिष्ट को बिना ट्रीटमेंट के ही सीधे नालियों में बहाया जा रहा है।

एनजीटी ले चुकी नमूने

नवंबर-2016 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) की टीम ने खैर बाइपास रोड, गौंडा मोड़ समेत कई स्थानों से नाले व काली नदी के नमूने लिए। एनजीटी व कोर्ट ने प्रदेश सरकार से नदियों में बढ़ते प्रदूषण व उनकी स्थिति पर हलफनामा भी लिया। ताज्जुब की बात ये है कि इसमें सरकार ने नदी-नालों को प्रदूषण मुक्त होने का दावा किया।

चार मीट फैक्ट्रियों को नोटिस तालसपुर, मथुरा रोड, आगरा रोड, गौंडा रोड, कमीला रोड आदि क्षेत्रों में मीट फैक्ट्रियां संचालित हैं। इनका मलबा व खून सीधे खैर रोड, जाफरी ड्रेन में डाला जा रहा है। आसपास भी काफी गंदगी रहती है। बदबू के चलते शहर के कई हिस्सों में लोगों का जीना मुहाल हो गया है।

हालांकि उत्तर प्रदेश प्रदूषण व पर्यावरण कंट्रोल बोर्ड ने चार मीट फैक्ट्रियों को नोटिस जारी भी किए हैं। जिनमें हल हसन एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, अल तेबरक फोरजन फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, कोकोटेक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।

हर रोज 160 एमएलडी प्रदूषित जल

शहर की सैकड़ों नालियों से हर रोज 160 मिलियन लीटर प्रदूषित पानी प्रतिदिन निकलता है। सूत्रों के अनुसार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसके लिए नगर निगम को नोटिस भी भेज चुका है। नगर आयुक्त संतोष शर्मा का कहना है कि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट की कार्य योजना तैयार कर ली गई है। इस पर काम हो रहा है।

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जहरीली गैस लोगों को सांस, हृदय रोग, कैंसर जैसी बीमारियों को बढ़ावा देती हैं। कोई भी उद्योग हो, वहां प्रदूषण की रोकथाम जरूरी है।

डॉ. नितिन गुप्ता, फिजिशियन

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फैक्ट्रियों को एनओसी प्राप्त करने के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। इकाइयों को चिह्नित कर शिकंजा कसा जाएगा। रोडवेज व रेलवे आदि विभागों से उनके अपशिष्टों के निस्तारण की जानकारी मांगी जाएगी।

कलिका सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

फैक्ट्रियों का गंदा पानी नालों में जाकर खेतों तक पहुंच रहा है। लोग बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, मगर किसी को चिंता नहीं।

- सुबोधनंदन शर्मा, पर्यावरणविद्।

ईटीपी प्लांट लगाने के पहले से ही निर्देश हैं, मगर अधिकांश फैक्ट्रियों में ईटीपी प्लांट नहीं हैं। कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं हो रहा।

रंजन राना, अध्यक्ष, पर्यावरण एवं पर्यटन विकास समिति


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