सर सैयद के चमन में खिले हर विधा के फूल Aligarh News
सर सैयद अहमद खां ने ब्रिटिश हुकूमत में मुस्लिमों को अशिक्षा के अंधेरे से निकालने के लिए जो सपना देखा था आज वो साकार हो रहा है।
संतोष शर्मा, अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू)सफलता की वो इबारत है जिसकी तारीफ में शब्द भी कम पड़ जाएं। सर सैयद अहमद खां ने ब्रिटिश हुकूमत में मुस्लिमों को अशिक्षा के अंधेरे से निकालने के लिए जो सपना देखा था आज वो साकार हो रहा है। एएमयू में पढ़े छात्र सौ से अधिक देशों में अपनी काबिलियत का डंका बजा रहे हैं। एएमयू में आज 37522 छात्र-छात्राएं, 1272 शिक्षक, 5888 कर्मचारी, 13 संकाय, 111 डिपार्टमेंट, 350 डिग्री-सर्टिफिकेट कोर्स संचालित हैं।
दिल्ली में हुआ था सर सैयद का जन्म
दिल्ली के दरियागंज में 17 अक्टूबर 1817 को जन्मे सर सैयद की 1864 में मुंसिफ के रूप में अलीगढ़ में तैनाती हुई, तभी से वह यहां के हो गए। जेल रोड पर उनका आवास (आज समी मंजिल) था। सर सैयद चाहते थे कि मुस्लिम आधुनिक शिक्षा ग्रहण करें। इस ख्वाब को पूरा करने के लिए उन्होंने लंदन के ऑक्सफोर्ड-कैंब्रिज का दौरा किया। जब वह अलीगढ़ लौटे तो खाली हाथ थे, क्योंकि उनका मकान बिक चुका था। मकान खरीदने वाले मौलवी समी उल्लाह ने उसी मकान में मदरसा-तुल-उलूम खोलने की इजाजत दी। तब, सिर्फ सात छात्र थे। एएमयू इतिहास के जानकार डॉ. राहत अबरार के अनुसार 8 जनवरी 1877 को 78 एकड़ फौजी छावनी की जमीन (जहां एएमयू का एसएस हॉल है) पर मोहम्मडन एंग्लो ओरियंटल कॉलेज की नींव रखी। 27 मार्च 1898 को सर सैयद अहमद खां का निधन हो गया। 1920 में इसी कॉलेज को विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल हुआ। एएमयू देश का पहला केंद्रीय विवि है जहां राइडिंग क्लब है।
राष्ट्रपति से राष्ट्राध्यक्ष तक
देश के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी यहीं की देन हैं। एएमयू से 18 राज्यपाल, 17 मुख्यमंत्री, 12 देशों के राष्ट्राध्यक्ष निकले हैं। हाईकोर्ट के 47 जज के अलावा हर क्षेत्र में यहां पढ़े छात्र पहुंचे हैं। चंद्रयान-1 व चंद्रयान-2 में भी एएमयू का योगदान रहा है। यहां पढ़ी खुशी मिर्जा दोनों अभियानों से जुड़ी रहीं हैं।
खेलों में ओलंपियन
एएमयू ने खेल के क्षेत्र में भी कई ऐसे रत्न पैदा किए जिन्होंने देश-विदेश में नाम रोशन किया। हॉकी में ओलंपियन जफर इकबाल का नाम सबसे पहले आता है। आफताब अहमद, महेंद्र अमरनाथ, अफसर हुसैन खान जैसे खिलाड़ी भी यहीं पैदा हुए।
विदेशों में जमा रहे धाक
एएमयू में पढ़े छात्र देश ही नहीं विदेशों में भी धाक जमाए हुए हैं। आजमगढ़ के मूल निवासी पूर्व छात्र डॉ. फ्रेंक इस्लाम अमेरिका के प्रमुख उद्योगपति हैं। सऊदी अरब में रहने वाले नदीम तरीन एएमयू में ही पढ़े हैं। दोनों ने एएमयू को बहुत कुछ दिया है। फ्रेंक इस्लाम ने मैनेजमेंट कॉप्लेक्स के लिए 13 करोड़ और सभागार निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये दिए। नदीम तरीन ने एक हजार छात्रों के लिए हॉल का निर्माण कराया।
बॉलीवुड में सितारे
एएमयू ने देश को फिल्मी सितारे भी दिए हैं। नसीरुद्दीन शाह, जावेद अख्तर, बेगम पारा, टुनटुन नसीर, मुजीब खान, इस्मत चुगतई, अनुभव सिन्हा, शीबा तबस्सुम, मशीर रियाज, मुजफ्फर अली, केएन सिंह जैसे लोग एएमयू से ही निकले।
भारतरत्न
डॉ. जाकिर हुसैन (1963)
खान अब्दुल गफ्फार खान (1976)
पद्मविभूषण
डॉ. जाकिर हुसैन (1954)
हाफिज मोहम्मद इब्राहिम (1967)
प्रो. आवेद सिद्दीकी(2006)
प्रो. राजा राव (2007)
प्रो. एआर किदवई (2010)
पद्मभूषण
शेख मोहम्मद अब्दुल्लाह(1964)
प्रो. सैयद जहूर कासिम(1982)
प्रो. रईस अहमद सुरुर (1992)
नसीरुद्दीन शाह (2003)
प्रो. इरफान हबीब(2005)
कुर्रातुल एन हैदर (2005)
जावेद अख्तर (2007)
डॉ. अशोक सेठ (2014)
पद्मश्री
यहां की 55 महानविभूतियों को पद्मश्री मिली है।
ज्ञानपीठ
कुर्रतुल एन हैदर (1989)
प्रो. शहरयार (2008)
सुप्रीम कोर्ट के जज
जस्टिस बहारुल इस्लाम
जस्टिस सैयद मुर्तजा फजल अली
जस्टिस आरपी सेठ
जस्टिस एस सगीर अहमद