मेरे घर आना गोपाल
कार्यालय संवाददाता, अलीगढ़ : योगीराज श्रीकृष्ण का जन्मोत्वस शुक्रवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए गुरुवार को ही घर-घर तैयारी शुरू हो गई। शहर के मंदिरों को भी भव्यता से सजाया गया है।
श्री वाष्र्णेय मंदिर में जन्माष्टमी पर खास तैयार की गई है। पूरा मंदिर सतरंगी रोशनी से सजाया गया है। भगवान के जन्म के समय विभिन्न प्रकार की झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी। इन्हें तैयार करने के लिए मथुरा-वृंदावन से कलाकार बुलाए गए हैं। मंदिर के व्यवस्थापक राधेश्याम गुप्ता व एलडी वाष्र्णेय के अनुसार शुक्रवार को सुबह दस बजे दुग्धाभिषेक होगा। शाम को ठाकुर जी का भव्य श्रृंगार व हिंडोला दर्शन होगा। इसके बाद 12 अगस्त को नंदोत्सव मनाया जाएगा। जयगंज स्थित श्री मंगलेश्वर महादेव मंदिर पर जन्माष्टमी उत्सव शुक्रवार को शाम सात बजे ही शुरू हो जाएगा। बाबा बफार्नी के दर्शन होंगे। माता रानी का भव्य भवन, फूल बंगला का आयोजन होगा। रात 12 बजे 108 दीपों से महाआरती होगी। इनके अलावा श्री टीकाराम मंदिर, पुलिस लाइन, पीएसी 38 वीं वाहिनी आदि में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाएगी।
जन्माष्टमी पर खेरेश्वर धाम में भव्य आयोजन होंगे। समिति के अध्यक्ष ठा. सत्यपाल सिंह के अनुसार मंदिरों को फूल व रोशनी से सजाया जाएगा। शाम 7 बजे से रात 12 बजे तक राधा पांडे की भजन संध्या होगी। भगवान का जन्म होने के बाद महाआरती होगी। मुख्य कार्यक्रम बाकेबिहारी मंदिर में होगा।
श्री कृष्ण अवतार :
भगवान श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि में बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में चंद्रमा के विचरण के वक्त हुआ था। ये सभी संयोग दैवी कृपा से ही संभव है। जब कभी अर्धरात्रि में अष्टमी होती है तो रोहिणी नक्षत्र नहीं होता। इसलिए अधिकांश शास्त्रकारों ने अष्टमी तिथि पर बल दिया है।
इस बार
शुक्रवार को रात 1.41 बजे अष्टमी समाप्त हो जाएगी और नौवीं तिथि लग जाएगी। सूर्योदय के समय ज्योति होती है, इसलिए यही मान्य है। इसे उदया तिथि भी कहते हैं।
12.7 बजे जन्म लेंगे कान्हा
योगीराज भगवान श्रीकृष्ण इस बार बिना किसी योग के जन्म लेंगे। वैष्णव सम्प्रदाय के अनुसार शुक्रवार रात 12.7 बजे श्रीकृष्ण का जन्म होगा, उस समय न तो राहिणी नक्षत्र होगा और न बुधवार। चंद्रमा भी उच्च का होगा।
स्मार्त संप्रदाय : स्मार्त संप्रदाय के लोगों ने गुरुवार रात ही जन्माष्टमी मनाई। शास्त्रकारों के अनुसार अष्टमी गुरुवार रात 11.23 बजे तक थी, श्रीकृष्ण का जन्म भी अष्टमी में हुआ था। इसलिए गुरुवार को अष्टमी तो मिल ही गई।
पूजन : प्रात: उठकर स्नान करें, हाथ में जल लेकर भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में ध्यान लगाएं। संकल्प लें कि प्रभु आज आपका जन्मदिन है, इस उपलक्ष में व्रत रख रहा हूं, मुझे शक्ति प्रदान करें और मेरे संकट, गृह क्लेश नष्ट करने की कृपा करें ।
पंचामृत अभिषेक : रात्रि पूजन के लिए दूध, दही, घी, शहद, बूरा व तुलसी के पत्ते का पंचामृत बनाएं और भगवान का अभिषेक करें। लड्डू गोपाल को पालने में रखकर झुलाएं ।
मंत्रजाप : कृष्णा वासुदेवाय हरे, परमार्थ मने प्रणत: क्लेश, नासाय गोविंदाय नमो नम:। ऊं नमो भगवते वासुदेवाय: मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
पार्किंग :
श्री वाष्र्णेय मंदिर में जाने वाले भक्तों के वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की गई है। मंदिर कमेटी के संयोजक पुखराज सराफ एवं उप संयोजक राजाराम मित्र के अनुसार वाहन पार्किंग की व्यवस्था हीरालाल बारहसैनी इंटर कालेज परिसर में होगी। मंदिर के सामने जूते-चप्पल रखने की भी व्यवस्था की गई है।
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