मजदूरों..खाली पेट काम चलाओ!
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : मजदूरों माफ करना। तमिलनाडू में गरीबों के लिए पांच रुपए में भले ही अम्मा
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ :
मजदूरों माफ करना। तमिलनाडू में गरीबों के लिए पांच रुपए में भले ही अम्मा की थाली शुरू हो गई, लेकिन सन्निर्माण मजदूरों के लिए यहां दस रुपए में भी भोजन की व्यवस्था नहीं हो पा रही। उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड इस कार्य में अभी तक विफल है।
इसके लिए पहले टेंडर आमंत्रण की 30 मई तिथि घोषित की गई थी, जिसे बढ़ाकर 15 जून किया गया। टेंडर प्रक्रिया में चार एनजीओ ने भाग लिया। शर्त के अनुसार आवेदन के लिए जिस रसोई के लेआउट का दावा किया गया था, निरीक्षण के दौरान वह उलट निकला। किसी के पास सेफ्टी फायर लाइसेंस भी नहीं था। इसके चलते टेंडर रद कर दिए गए।
ये थी योजना : नगर निगम क्षेत्र स्थित निर्माण कार्य से जुड़ी हुई साइट पर मजदूरों को 10 रुपये में भरपेट भोजन देने की योजना है। श्रम विभाग में पंजीकृत मजदूरों के लिए छह साइट तय की गई। सुबह के भोजन में भरपेट रोटी सब्जी व शाम को दाल-चावल मीनू तय किए गए।
पायल प्रोजक्ट में अलीगढ़ का चयन : बोर्ड के सचिव बीजे सिंह ने 24 मार्च को पायलट प्रोजक्ट पेश किया। इसमें उप श्रम आयुक्त को अलीगढ़ के साथ गाजियाबाद, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, कानपुर, झांसी, इलाहाबाद, आगरा, लखनऊ, गोरखपुर एवं वाराणसी शामिल होने की जानकारी दी।
ये चयनित की थी साइट : कलक्ट्रेट, एएमयू, मेसर्स लॉविस्टा, मेसर्स वैष्णो इनक्लेव सिटी, मेसर्स बांकनेर हाउस, वैष्णो बागनेर।
कहीं बजट तो आड़े नहीं:
सरकार मजदूरों को भले ही 10 रुपये में भोजन मुहैया कराए। शासन स्तर से एक डाइट की कीमत 50 रुपये तय की है। 10 रुपये तो मजदूर देगा। 40 रुपये की सब्सिडी श्रम विभाग देगा। प्रदेश सरकार इस पर आने वाले अतिरिक्त खर्च के लिए बजट नहीं देगी। स्थानीय विभाग लेबर सेस (सेंट्रल सेल्स टैक्स) से जुटाए जाने वाले पैसों से कार्यदायी संस्था को भुगतान होगा। इस योजना के लिए 200 मजदूर का चयन होगा। इस हिसाब से आठ हजार रुपये रोज विभाग को खर्च करने होंगे। यह बजट ही कहीं योजना को टालने का कारण तो नहीं?
आंध्र प्रदेश से लेनी होगी सीख :
प्रदेश सरकार को तमिलनाडु सरकार से सीख लेनी होगी। इस राज्य में अर्से से पांच रुपये में गरीबों को अम्मा (तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता)की थाली पांच रुपये में शुरू हुई। इस योजना की लोकप्रियता का सबक कई अन्य राज्यों ने लिया है।
इस योजना के लिए टेंडर प्रक्रिया हुई थी। दावेदार कार्यदायी संस्थाओं ने आवेदन के साथ जो प्रपत्र लगाए थे, वे मानकों पर खरे नहीं उतरे। फिर से टेंडर प्रक्रिया के लिए बोर्ड से अनुमति के लिए डीएम ने सिफारिश की है।
आयशा जबीं, उप श्रमायुक्त
महंगाई बहुत है। इस योजना से राहत की उम्मीद जगी। सोचा था कि घर से टिफिन नहीं लाना पड़ेगा। कम पैसों में भर पेट भोजन मिलेगा। अब योजना कब चालू होगी, पता नहीं।
- बल्लू, ठेकेदार, गांव सिकंदरपुर
योजना की सुन खुशी हुई थी, लेकिन अब तो इंतजार ही बढ़ता जा रहा है। सरकार ने सोचा तो अच्छा है, पर उसका लाभ जल्द मिलना चाहिए। इससे राहत मिलेगी।
- लक्ष्मण सिंह, बेलदार, अलीगढ़
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