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निलंबन के बाद भी कम नहीं हो रहीं प्रोफेसर की मुश्किलें

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : सेवानिवृत्त होने के बाद कोई भी कर्मचारी अपने परिवार के साथ चिंता मुक्त हो

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 01:55 AM (IST)Updated: Fri, 24 Mar 2017 01:55 AM (IST)
निलंबन के बाद भी कम नहीं हो रहीं प्रोफेसर की मुश्किलें
निलंबन के बाद भी कम नहीं हो रहीं प्रोफेसर की मुश्किलें

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : सेवानिवृत्त होने के बाद कोई भी कर्मचारी अपने परिवार के साथ चिंता मुक्त होकर खुशहाली का जीवन जीना चाहेगा, लेकिन एएमयू के प्रो. हसन मतीन उल इस्लाम के साथ ऐसा नहीं हुआ। इंतजामिया ने उन्हें परीक्षा की ड्यूटी में शामिल न होने पर निलंबित कर दिया था। पूरे मामले की न्यायिक जांच कराई, जिसमें वे दोषी नहीं पाए गए, इंतजामिया ने फिर से जांच बिठा दी है।

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एएमयू के सांख्यिकी विभाग के प्रो. हसन मतीनुल इस्लाम का मामला 2014 का है। शुरुआत तब हुई, जब उन्होंने सह कुलपति एस अहमद अली की नियुक्ति को लेकर सबसे पहले फरवरी 2014 में राष्ट्रपति (एएमयू विजिटर) को पत्र लिखकर शिकायत की। जुलाई में रिमाइंडर भेजा था। इसमें उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट के जून के उस जजमेंट का भी उल्लेख किया था, जिसमें मदुरई कामराज विश्वविद्यालय के वाइस चासलर की नियुक्ति को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद इंतजामिया ने 19 अगस्त 2014 को मिस कंडक्ट के मामले में प्रो. इस्लाम के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया। हालांकि इससे पहले प्रो. इस्लाम पर एक आरोप यह भी लगा कि वे परीक्षा की ड्यूटी भी नहीं कर रहे हैं। इसकी जांच प्रो. परवेज इकबाल ने की, जिसमें प्रो. इस्लाम को दोषी पाया गया। इंतजामिया ने निलंबन का आधार भी इसी रिपोर्ट को बनाया। प्रो. इस्लाम पर एक आरोप ये भी लगा कि उन्होंने दस्तावेजों में अपना नाम बदल लिया है। इंतजामिया ने 2016 में इसकी न्यायिक जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस मुशाफे अहमद को सौंपी। जस्टिस मुशाफे अहमद द्वारा 30 अक्टूबर 2016 को इंतजामिया को सौंपी रिपोर्ट में प्रो. इस्लाम पर कोई आरोप सिद्ध न होने की बात की। इसके बाद इंतजामिया ने जस्टिस मुशाफे अहमद को फिर से जांच की जिम्मेदारी सौंप दी, जांच जारी है।

इनका कहना है

प्रो. हसन मतीन उल इस्लाम की जिन आरोपों पर जांच कराई गई थी, रिपोर्ट में उसकी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। जांच में निष्कर्ष क्या निकला इसके लिए ही फिर से जांच कराई जा रही है।

- एस अहमद अली, सह कुलपति एएमयू

एक बार जांच पूरी हो गई और कोई आरोप भी तय नहीं हुए तो प्रो. इस्लाम को बहाल कर देना चाहिए, लेकिन इंतजामिया जांच पे जांच कराए जा रहा है। यह शिक्षकों के हित में नहीं हैं।

- मुस्तफा जैदी, सचिव, एएमयू टीचर्स एसोसिएशन


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