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खुले में शौच, नहीं बदल रही सोच

सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ : कहते हैं अगर सोच सही हो तो इंसान इतिहास बदल सकता है। भले ही देश में आधुनि

By Edited By: Published: Fri, 30 Sep 2016 02:55 AM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2016 02:55 AM (IST)
खुले में शौच, नहीं बदल रही सोच

सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ :

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कहते हैं अगर सोच सही हो तो इंसान इतिहास बदल सकता है। भले ही देश में आधुनिकता तेजी से पैर पसार रही हो, मगर लोगों की सोच नहीं बदल रही। देहात क्षेत्र में आज भी आधे से ज्यादा लोग खुले में शौच जा रहा है। जागरूकता के अभाव में शौचालय का निर्माण नहीं करा रहे और जिले को इस बुराई से मुक्ति नहीं मिल पा रही है।

दो साल पहले शुरुआत

दो अक्टूबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। इसके बाद लोगों में खासा उत्साह देखा गया। इसी क्रम में सरकार ने ओडीएफ (खुले से शौचमुक्त) अभियान की शुरुआत की।

पंचायत राज विभाग ने संभाला मोर्चा

सरकार को ग्राम पंचायतों को पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त बनाना था। देहात क्षेत्र में इसे अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी जिला पंचायत राज विभाग को मिली। जिला प्रशासन ने अभियान को चार चरणों में बांटा।

36 ग्राम पंचायतों का चयन

पहले चरण में ओडीएफ के तहत 36 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया। लोगों को खुले में शौच जाने से रोकने के लिए निगरानी समिति बनाई गईं। समिति के सदस्य रोज सुबह गांव के बाहर जाकर लोगों को खुले में शौच करने के नुकसान बताते थे।

अफसरों ने भी किए दौरे

चयनित गांवों में भ्रमण के लिए डीएम ने अफसरों को भी जिम्मेदारियां बांटी। अफसरों की टीम रोज सुबह चार बजे गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करतीं, बैठकें करतीं।

नहीं पड़ा प्रभाव

शासन-प्रशासन की कोशिशों का खास प्रभाव नहीं पड़ा, तभी तो अधिकांश गांवों में शौचालय नहीं बन पाए। कई गांवों में लाभार्थियों ने अनुदान लेने के बाद भी शौचालय नहीं बनवाए।

पांच गांवों में सत्यापन

पंचायत राज विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले के 36 में से पांच गांव खुले में शौच मुक्त होने की कगार पर हैं। इनमें सत्यापन चल रहा है।

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मैला ढोने की कुप्रथा भी बरकरार

जिले में मैला ढोने की कुप्रथा भी जारी है। सर्वे में शहर व देहात को मिलाकर 35 महिला-पुरुष आज भी मैला ढो रहे हैं। हालांकि शासन ने इनके लिए पुनर्वास की व्यवस्था रखी है, फिर भी प्रशासन की निगाह नहीं है।

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ये गांव घोषित होंगे खुले में शौचमुक्त

- बरकातपुर, धौराई, अल्लाहपुर, अटलपुर, भगवानपुर

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मैं गांव को जल्द खुले में शौच मुक्त कराने के लिए गंभीर हूं। शुरुआत में लोगों को जागरूक करने में मुश्किलें आई। बाद में सब समझ गए।

-बृजेश कुमार उर्फ बच्चू सिंह, ग्राम प्रधान अटलपुर।

खुले में शौच मुक्त अभियान में गांवों के अधिकांश लोग सहयोग नहीं करते। पैसे देने के बाद भी शौचालयों का निर्माण नहीं करा रहे, फिर भी इस साल के अंत तक 36 गांव खुले में शौच मुक्त हो जाएंगे।

- शहनाज अंसारी, जिला पंचायत राज अधिकारी।

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31 मार्च तक खुले में

शौच मुक्त होगा शहर

नगर निगम में गुरुवार को शहर को खुले में शौच मुक्त करने के लिए कार्यशाला हुई, इसमें 31 मार्च तक शहर को खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया गया। नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा ने कहा कि दो अक्टूबर को 1000 परिवारों को शौचालय के लिए स्वीकृति दी जाएगी। एनजीओ से भी सहयोग लिया जाएगा। यहां नगर स्वास्थ्य अधिकारी कुलदीप कुमार, पार्षद मसरूर अहमद कर अधीक्षक राजेश गुप्ता, ज्ञानेंद्र मिश्रा मौजूद रहे।


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