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डिजिटल इंडिया की उड़ान पर एएमयू की लाइब्रेरी

संतोष शर्मा, अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडि

By Edited By: Published: Wed, 31 Aug 2016 02:06 AM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 02:06 AM (IST)
डिजिटल इंडिया की उड़ान पर एएमयू की लाइब्रेरी

संतोष शर्मा, अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के नारे को बुलंद किया है। विश्व की चुनिंदा लाइब्रेरियों में शुमार मौलाना आजाद लाइब्रेरी में इंतजामिया ने डिजिटल रिसोर्सेस सेंटर (डीसीआर) बनाया है। 100 कंप्यूटर से लैस इस सेंटर में छात्र-छात्राएं ऑन लाइन पढ़ाई कर सकते हैं।

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डिजिटल रिसोर्सेस सेंटर को लाइब्रेरी के नए भवन में बनाया गया है। पूरा सेंटर वाई फाई से लैस है। वातानुकूलित इस सेंटर में फिलहाल पोस्ट ग्रेजुएट और शोध छात्रों को ही बैठने की अनुमति है। हर कंप्यूटर पर ऑन लाइन थीसिस, किताब आदि के पढ़ने की सुविधा उपलब्ध है। वीडियो भी देख सकते हैं। सेंटर में दो एक्सपर्ट भी हैं। 15 दिन पहले शुरू हुए सेंटर में विद्यार्थी सुबह नौ से रात आठ बजे तक ही पढ़ाई कर सकते हैं।

शोध गंगा में ऊंची छलांग

यूजीसी शोध गंगा प्रोजेक्ट के जरिये देश भर के विश्वविद्यालयों में हुए शोध को ऑन लाइन करा रही है, ताकि पूरी दुनिया को ज्ञान से रोशन कर सके । एएमयू में भी आठ हजार के करीब शोध पुस्तकों को ऑनलाइन किया जाना है। शोध गंगा प्रोजेक्ट में थीसिस को ऑन लाइन करने का काम एक साल से चल रहा है,जिसमें देश भर की 231 यूनिवर्सिटी शामिल हैं। शोध गंगा की वेबसाइट पर टॉप टेन यूनिवर्सिटी की 30 अगस्त को जारी लिस्ट में 6141 थीसिस के साथ मौलाना आजाद लाइब्रेरी पहले स्थान पर है। पंजाब यूनिवर्सिटी (5616) दूसरे और जेएनयू (4458) तीसरे स्थान पर है।

ऐसा खजाना और कहां?

1877 में स्थापित मौलाना आजाद लाइब्रेरी दुर्लभ खजाना संजोए हुए है। एएमयू में कुल पुस्तकों की संख्या 13.50 लाख से अधिक हैं। 6.50 लाख तो इसी लाइब्रेरी में, बाकी विभागों की लाइब्रेरियों में हैं। मुस्लिमों के चौथे खलीफा हजरत अली के हाथों हिरन की खाल की झिल्ली पर लिखी कुरान मजीद, 400 साल पहले नकीब खां द्वारा महाभारत का फारसी में अनुवाद की पांडुलिपि भी यहां है। खगोलीय प्रयोगों पर फारसी में लिखी पांडुलिपि भी यहां ज्ञान बढ़ा रही है, जिसे राजा जयसिंह ने लिखा था। तमिल भाषा में लिखे भोज पत्र के अलावा 1400 साल पुरानी कुरान भी यहां रखी है।

इनका कहना है

डीसीआर ने उन छात्रों की किस्मत बदल दी जो नेट यूज नहीं कर पाते थे। इस सेंटर में दुनिया का कोई भी ज्ञान अर्जित कर सकते हैं। खुशी है कि हम शोध गंगा में थीसिस ऑन लाइन करने में पहले नंबर पर काबिज हैं।

- डॉ. नबी हसन, लाइब्रेरियन


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