चला गया संगीत सम्राट, धुन हो गई मौन
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : महान संगीतकार रविंद्र जैन के निधन की खबर से संगीत प्रेमी, कवि, लेखक व शहरव
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : महान संगीतकार रविंद्र जैन के निधन की खबर से संगीत प्रेमी, कवि, लेखक व शहरवासियों में शोक की लहर दौड़ गई। अधिकांश की जुबान पर यही चर्चा थी कि अभी जुलाई में ही पद्मश्री मिलने के बाद वह अलीगढ़ आए हुए थे, तब ऐसी स्थिति नहीं थी। शहरवासियों को रविंद्र जैन के इतनी जल्दी जाने का तनिक भी अंदाजा नहीं था।
शुक्रवार शाम को उनके निधन की सूचना जैसे ही उनके जैन स्ट्रीट स्थित पैतृक निवास पर मिली, तो पूरा परिवार शोकाकुल हो गया। रविंद्र जैन के नाती विशाल जैन यहीं पर रहते हैं। उन्होंने बताया कि दादा संगीत के पक्के धुनी थे। उन्हें पूरा तो याद नहीं है, मगर पांचवीं तक की पढ़ाई उन्होंने यहीं से की थी। बचपन से ही उनकी मधुर आवाज व संगीत के प्रति अगाध लगाव था। जैसा बुजुर्ग बताते हैं कि बचपन में ही उनकी आवाज को सुनकर लोग कहते थे कि तुम्हें मुंबई जाना चाहिए यहां क्या कर रहे हों, मगर अकेले मुंबई जाने में उन्हें कुछ डर सा लगता था। फिर भी संगीत के पक्के धुनी होने के चलते वे 1971 में मुंबई पहुंच गए थे।
सुनते ही याद हो गई कुरान की आयतें
अलीगढ़ : जैन स्ट्रीट स्थित आवास पर विशाल जैन ने बताया कि दादा रविंद्र जैन की स्मरण शक्ति विलक्षण थी। एक बार मुंबई में राजकूपर के साथ दादा जी भी बैठे थे। एक व्यक्ति वहां पर कुरान पढ़ रहा था। राजकपूर व दादा दोनों बातचीत में मशगूल हो गए, इसलिए उसने पढ़ना बंद कर दिया। इसपर दादा जी ने तुरंत टोक दिया। कहा, पढ़ना क्यों बंद कर दिया। उसके बाद जितनी कुरान पढ़ी गई थी, उसके प्रमुख अंश दादा जी ने सुना दिए।
संगीत का सूरज हो गया अस्त
अलीगढ़ कल्चरल क्लब के संरक्षक रविन्द्र जैन केआकस्मिक निधन पर क्लब के पदाधिकारियों में शोक की लहर है। अलीगढ़ कल्चरल क्लब के अध्यक्ष जॉनी फॉस्टर, संस्थापक सचिव पंकज धीरज, उपाध्यक्ष चंदन चटर्जी, डा. प्रभात दास गुप्ता, मीनीक्षी नागपाल ने कहा कि संगीत का सूरज सदा के लिए अस्त हो गया। उनके संगीत व आवाज लोगों की धड़कनों में सदा के लिए बसी हुई है।
श्रद्धासुमन किया अर्पित
युवा पहल के कार्यकर्ताओं ने रविंद्र जैन के निधन पर मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर अध्यक्ष इं. इंजीनियर हिमाशु गुप्ता, प्रो. दिनेश गुप्ता, आशुतोष, विपुल वाष्र्णेय, एसएम् सहरोज, साक्षी गौतम, वर्तिका, अमन मेहरोत्रा, मनोज, शिवागी, प्रवीन, नरेंद्र दीपक, सुमित, रविंद्र आदि मौजूद थे।
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गले से लगा लिया था
अलीगढ़ : वैदिक ज्योतिष संस्थान कार्यालय पर आचार्य डॉ. ब्रजेश शास्त्री की अध्यक्षता में शोकसभा आयोजित हुई। आचार्य ब्रजेश शास्त्री ने कहा कि रविंद्र जैन से उनकी मुलाकात बनारस स्थित संकटमोचन मंदिर में हुई थी, ज्यों ही मैंने उन्हें अलीगढ़ का बताया तो उन्होंने गले से लगा लिया। अपने शहर से उनको अगाध प्रेम था। शोकसभा में अमित जुनेजा, गौरव शास्त्री, कपिलानंद शास्त्री, पवन कुमार वाष्र्णेय, महंत ओपी बाबा, करन वाष्र्णेय, मीठे श्याम, अनिल वाष्र्णेय, चेतन शर्मा, नीरेश शास्त्री, दुष्यंत वेदपाठी, सुशील, कपिल शर्मा, तेजवीर सिंह, शिव प्रकश अग्रवाल आदि थे।
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विदेशों में भी मिली प्रसिद्धि
सपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग सदस्य विनोद सविता ने रविंद्र जैन के निधन पर गहरा दुख जताया। कहा, रामायण में मधुर संगीत व आवाज देकर उन्होने विदेशों तक प्रसिद्धि पायी।
संगीत प्रेमी दुखी
संगीतकारों में उनकी चमक हीरे जैसी थी। बैठे-बैठे ही वह धुन बना लिया करते थे। मैं दावे से कहती हूं कि रविंद्र जैन जी जैसा अब दूसरा कोई नहीं पैदा हो सकता।
डॉ. पूनम सारस्वत, दुर्गा सांस्कृतिक कला केंद्र।
रविंद्र जैन ने अलीगढ़ का नाम रोशन किया
हमने महान संगीतकार रविंद्र जैन को खो दिया। उनका दुनियां भर में नाम था। वह मोहल्ला कटरा में रहते थे जहां अक्सर हमारा आना-जाना होता था। उनका दुनिया से चला जाना बहुत अफसोस जनक है।
हाजी जमीरउल्ला खां, कोल विधायक।
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