रूढि़यां तोड़कर बांट रहे अछूतों को ज्ञान
अलीगढ़: रूढि़यों को तोड़कर मास्टर श्याम सिंह चौहान अछूतों को ज्ञान बांटने निकल पड़े हैं। दीये को बुझा
अलीगढ़: रूढि़यों को तोड़कर मास्टर श्याम सिंह चौहान अछूतों को ज्ञान बांटने निकल पड़े हैं। दीये को बुझाने के लिए आंधियां भी कम नहीं आईं। दलितों को गले लगाने पर अपने तक बेगाने हो गए। नाता भी तोड़ लिया। स्कूल तक से बच्चों को हटा लिया, मगर मास्टरजी के कदम न डिगे, न रुके। बाहरपुर का स्कूल आज दलितों का स्कूल बन गया है। यहां 240 बच्चों में से 233 दलित ही हैं। सात अन्य हैं भी तो मास्टरजी के ही घर-परिवार के।
नौकरी से स्कूल तक
जातीय जकड़न के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंक रखा है, चंडौस ब्लॉक के गांव ओगीपुर निवासी श्याम सिंह चौहान (34) ने। वर्ष 2004 में एमएससी के बाद नोएडा में नौकरी की। डेढ़ साल बाद लौटे और इंटर कॉलेज में पढ़ाने लगे। 2009 में बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से जुड़े। रचनात्मक कार्यो की प्रेरणा मिली तो दलित बाहुल्य गांव बाहरपुर में मां गायत्री देवी पब्लिक स्कूल खोल लिया। वैसे, गांव में आठवीं तक सरकारी स्कूल भी है, लेकिन पढ़ाई के नाम पर ढाक के तीन पात।
240 में 233 दलित
नए स्कूल में सभी वर्गो के बच्चे आए। दलितों को भी तरजीह मिली तो दूसरे कन्नी काटने लगे। आज यहां के 240 में से 233 बच्चे दलित हैं। पिछले साल 33 गैरदलित थे। अब सात हैं। इनमें भी तीन गुरुजी के, तीन एक शिक्षिका व एक उनके दोस्त का बच्चा है।
मुफ्त शिक्षा
18 अति गरीब बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती। दूसरे स्कूलों के मुकाबले भी यहां फीस भी आधी है।
इनका कहना है
मैं इंसानियत को मानता हूं। जो प्यार से बुलाता है, वहां खा-पी भी लेता हूं। कुछ लोग कभी स्कूल की दीवार, कभी किवाड़ तो कभी पौधे तोड़ जाते हैं।
- श्याम सिंह चौहान, स्कूल संचालक।
छूआछूत अभिशाप है। जात-पात और ऊंच-नीच के बंधन तोड़ने से ही समाज का विकास होगा। श्याम सिंह का कार्य सराहनीय है।
- पंकज आर्य, योग प्रशिक्षक, पतंजलि योग पीठ।
श्याम सिंह सबके बीच खाते-पीते हैं। लोगों को पसंद नहीं है। वे बच्चे भी हटा चुके हैं। उन्हें लगता है कि ऐसे माहौल का गलत असर होगा।
- राजकिशोर शर्मा, ग्राम प्रधान।