मूक-बधिर शिवा पाकिस्तान में दिखाएगा कमाल
मयंक त्यागी, अलीगढ़ शिवा बोल नहीं सकता, मगर बल्ले की जुबान से पाकिस्तानी रिश्तों को सींचने निकल प
मयंक त्यागी, अलीगढ़
शिवा बोल नहीं सकता, मगर बल्ले की जुबान से पाकिस्तानी रिश्तों को सींचने निकल पड़ा है। वो मामूली बिजली मिस्त्री का बेटा है। अपनी मेधा के बूते आज भारतीय मूक बधिर टीम का हिस्सा बन चुका है। जालंधर में पाकिस्तान के साथ दोस्ताना मैच भी खेल चुका है। अगला मुकाबला पाकिस्तान की सरजमीं पर होगा। मूक-बधिर बच्चे के पैदा होने पर दुखी परिजन आज बेटे की उपलब्धि पर फूले नहीं समा रहे।
शहर के मोहल्ला जयगंज में रहने वाले मुकेश कुमार शर्मा एक बिजली मिस्त्री हैं। 22 साल पहले उनके घर किलकारी गूंजी तो खुशी का ठिकाना न रहा। बेटा पैदा होने की खुशी तब काफूर हो गई, जब उन्हें मालूम चला कि शिवा भी उनकी ही तरह मूक-बधिर है। शिवा 10 साल का हुआ तो क्रिकेट का जुनून सिर चढ़ चुका था। पिता ने बेटे के शौक को सही दिशा देने के लिए अलीगढ़ क्रिकेट एकेडमी के कोच अजय शर्मा के पास भेज दिया। कम आमदनी के बावजूद शिवा की हर जरूरत को पूरा किया। शहर के माहेश्वरी इंटर कॉलेज के मैदान पर शिवा ने क्रिकेट के गुर सीखे। बतौर विकेट कीपर बल्लेबाज विकसित करना शुरू किया। उसे उत्तर प्रदेश टीम के लिए मौका मिला। यहां खींचतान देख उसने दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्थित गर्वमेंट लेडी नोयी सीनियर सेकेंड्री स्कूल में दाखिला लिया। वहीं से क्रिकेट खेलना शुरू किया। ऑल इंडिया क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ डीफ ने उम्दा क्रिकेट देखकर उसका चयन पाकिस्तान के साथ तीन से आठ दिसंबर 2014 तक जालंधर में हुए 'दोस्ती कप' के लिए कर लिया। यह उसका पहला अंतरराष्ट्रीय मुकाबला था। तीन मैचों की इस सीरीज में 39, 10 व 46 रन बनाए थे। यह सीरीज पाकिस्तान के साथ 1-1 की बराबरी पर छूटी थी। इसी प्रदर्शन के आधार पर शिवा का चयन भारतीय टीम में किया गया है।
शिवा के मुताबिक भारतीय टीम के पाकिस्तानी दौरे की तारीखें अभी तय नहीं हैं। जल्द ही दोनों देशों के बीच सीरीज की तारीखों का एलान होगा। शिवा आज भी पुरानी एकेडमी को नहीं भूला है। वो जब भी यहां होता है, बच्चों से अनुभव जरूर साझा करता है। अलीगढ़ क्रिकेट एकेडमी के चेयरमैन अशोक सक्सेना ने होनहार शिवा को सम्मानित करने की घोषणा की है।
मां को उम्मीद
मां बीना शर्मा बताती हैं कि शिवा तीन बहनों के बीच अकेला है। उसके बोल नहीं पाने का बेहद दुख होता था। आज उसके हुनर ने तमाम कमियां पूरी कर दी हैं। उन्हें यकीन है कि बेटा दुनिया में ¨हदुस्तान का नाम रोशन करेगा।
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