सरकारी इमदाद पर तकनीक का घाव
राजेश कुमार सिंह, अलीगढ़ चिकित्सा विज्ञान ने कितनी ही तरक्की कर ली हो, लेकिन इस दर्द की शायद ही को
राजेश कुमार सिंह, अलीगढ़
चिकित्सा विज्ञान ने कितनी ही तरक्की कर ली हो, लेकिन इस दर्द की शायद ही कोई दवा बन सकी हो। एक तो कुदरत ने इनका सुहाग छीन लिया, अब आर्थिक तंगी मुंह चिढ़ा रही है। गलती सरकार की नहीं, बैंक की है। राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना में लाखों रुपये बैंक को भेजे जा चुके हैं, मगर तकनीक के रोड़े से लाभार्थियों को मदद नहीं पहुंच सकी। झंझावतों से जूझ रहीं महिलाएं अब भी भटक ही रही हैं।
किरन की व्यथा
कोल तहसील क्षेत्र के गांव बरई सुभानगढ़ी निवासी किरन देवी के पति तेज सिंह (56) टीबी के मरीज थे। आठ अप्रैल 2013 को उनका निधन हो गया। खेती-मजदूरी करके तेज सिंह ही गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे थे। किरन ने राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना में आर्थिक मदद के लिए अर्जी दी। 30 जुलाई 2013 को लेखपाल ने रिपोर्ट लगाकर समाज कल्याण विभाग को सिफारिश भेज दी। मगर, पैसे खाते में नहीं पहुंचे। सिर्फ किरन ही नहीं, ऐसी डेढ़ दर्जन से अधिक महिलाएं पैसे के लिए भटक रही हैं।
तहसील दिवस तक
किरन ने तहसील दिवस में भी शिकायत (संख्या-1241401243) की। पांच अगस्त 2014 को किरन ने एसडीएम कोल को पीड़ा बताई कि ई-पेमेंट से पैसा तो भेजा गया, लेकिन खाते में नहीं पहुंचा।
बदल गए खाते
समाज कल्याण विभाग इस समस्या के पीछे खाते की संख्या बदलना मान रहा है। ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त की खाताधारक सजदा व भगवान को विभाग ने बैंक को पैसा भेज दिया, लेकिन उनके खाते में नहीं पहुंचा। न पैसा वापस ही किया गया। कारण यह कि बीते वर्ष जनवरी में ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त का नाम, खाता संख्या, आइएफएससी कोड सबकुछ बदल गया। आवेदकों के अनुसार खाते अपडेट नहीं करने के कारण पैसा संबंधित खाते में नहीं पहुंचा है।
बैंक को पत्र
समाज कल्याण अधिकारी ने ग्रामीण बैंक के जिला समन्वयक को समस्या निस्तारण के लिए पत्र लिखा। कहा, बीते वर्ष आठ मार्च, 28 मार्च व 12 जून को क्रमश: 45 हजार, 10.16 करोड़ और 52 लाख रुपये बैंक को भेजे थे। ई-पेमेंट से यह राशि लाभार्थियों को देनी थी, मगर नहीं मिली। अब स्मरण पत्र लिखा है।
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यह है योजना
राष्ट्रीय परिवारिक लाभ योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे गुजारा करने वाले मुखिया या 18 वर्ष से 59 वर्ष की उम्र के कमाऊ सदस्य के निधन पर 20 हजार रुपये की राशि सहायतार्थ एकमुश्त दी जाती है। 18 अक्टूबर 2012 से पूर्व यह राशि 10 हजार रुपये थी।
इनका कहना है
बैंक को पत्र लिखा था। बात नहीं बनने पर अब स्मरण पत्र भेजा है। उम्मीद है जल्द पैसा भेज दिया जाएगा। 20-25 लाभार्थियों के खाते भी बदल गए हैं।
-नगेंद्र पाल सिंह, जिला समाज कल्याण अधिकारी।
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