लाखों की दवा, बन गई जहर
जागरण संवाददाता, अलीगढ़: एक तरफ तो सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवाइयां नहीं मिलती, वहीं सीएमओ कंप
जागरण संवाददाता, अलीगढ़: एक तरफ तो सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवाइयां नहीं मिलती, वहीं सीएमओ कंपाउंड में लाखों की जीवनरक्षक एक्सपायर्ड दवा कूड़े के ढेर की तरह पड़ी हैं। सूत्रों के अनुसार इन अधोमानक दवाओं को करीब 9 साल पहले अनियमित ढंग से खरीदने पर सीज किया गया था।
दैनिक जागरण की टीम गुरुवार को सीएमओ कंपाउंड पहुंची। यहां पर सीएमओ आवास के बायीं तरफ मध्य में सटे एक पुराने कक्ष का दरवाजा खुला मिला। इसके अंदर के कक्ष पर ताला लगा था। दरवाजे से सटे कोने में करीब एक दर्जन कार्टूनों व प्लास्टिक के कंट्टों में टेबलेट, सीरप, इंजेक्शन व अन्य दवाएं बेतरतीब ढंग से पड़ी हुई थीं। सैकड़ों इंजेक्शन व हजारों टेबलेट फर्श पर भी बिखरे पड़े थे। दवाइयों पर निर्माण का वर्ष 2005 अंकित था। सभी दवाइयां 2007 में ही एक्सपायर्ड हो चुकी थीं। यह दवाइयां खरीद के नाम पर होने वाले घोटाले का जीता-जागता सबूत थीं।
क्या है मामला
तफ्तीश में सामने आया कि तत्कालीन सीएमओ डॉ. एमपी बंसल के कार्यकाल में दवाइयों को अधोमानक होने के शक में सीज कर यहां रखा गया। मामला आज तक न्यायालय में विचाराधीन है। सवाल यह उठता है कि मामला विचाराधीन होने के बावजूद सीज दवाइयों को इतनी लापरवाही से नष्ट होने के लिए क्यों छोड़ दिया गया? दवाइयां नष्ट होने व जांच में उनकी जरूरत होने पर अधिकारी क्या करेंगे? यदि दवाइयों को संरक्षित रखने की कोई जरूरत नहीं है, तो उन्हें डिस्पोजल किया जाना चाहिए था।
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दवाएं बहुत सालों से सीज थीं। बोरियां गलने के कारण अब बिखरने लगी हैं। उच्चाधिकारियों से निर्देश लिया जाएगा कि इन दवाइयों का क्या करना है?
- डॉ. अरूप कुमार रॉय, सीएमओ।