Move to Jagran APP

'दो बूंद' पिलाने को पिया अपमान

संतोष शर्मा, अलीगढ़ ये 1999-2000 की बात है, जब पोलियो खुराक पिलाने वाली टीमों को मुस्लिम बाहुल्य

By Edited By: Published: Fri, 26 Dec 2014 02:32 AM (IST)Updated: Fri, 26 Dec 2014 04:35 AM (IST)
'दो बूंद' पिलाने को पिया अपमान

संतोष शर्मा, अलीगढ़

loksabha election banner

ये 1999-2000 की बात है, जब पोलियो खुराक पिलाने वाली टीमों को मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में दौड़ा लिया जाता था। तब, एक नौजवान पोलियो टीमों के लिए ढाल बनकर खड़ा हो गया। किसी ने उसे अंग्रेजों का एजेंट कहा तो किसी ने कौम का दुश्मन। 'दो बूंद' पिलाने के लिए उसे बारंबार अपमान पीना पड़ा। नौकरी भी छोड़ दी। फौलादी हौसला बरकरार रहा। उनका मिशन तब पूरा हुआ, जब देश पोलियो मुक्त हो गया। पिछले साल दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में समारोह के दौरान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पीठ थपथपाई तो फक्र से सीना चौड़ा हो गया।

छोड़ी नौकरी

शहर के मौलाना आजाद नगर में रहने वाले मोहम्मद नौमान कासिमी मूल रूप से बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। 90 के दशक में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में पढ़ने आए। 1993 में एमफिल (थियोलॉजी) की। दो साल तक एएमयू के तिब्बिया कॉलेज और ब्लाइंड स्कूल में पढ़ाया। मौलाना आजाद नगर में अशिक्षित लोगों की निशुल्क पढ़ाई के लिए 1995 में गुलशन अलहेरा नाम से स्कूल खोला। दिन में पढ़ाते, रात में घर-घर जाकर जागरूक करते। नौकरी भी छोड़ दी।

पोलियो अभियान के सारथी

1995-96 में पोलियो अभियान की शुरुआत हुई। शुरू में कोई दबाव नहीं था। टीम को शिविर के लिए जगह मिल जाती थी। जिला अस्पताल के डॉ. सबदर ने मौलाना नौमान को यह कहकर जोड़ा कि बच्चे अपाहिज हो रहे हैं, कौम-मुल्क के लिए कुछ करो। तब मौलाना की उम्र 30 साल थी। निकाह भी न हुआ था। उस दौर में पोलियो के शिकार बच्चे पता लगने लगे। एक मामला शहंशाबाद में मिला। सरकार सचेत हुई और खुराक पी चुके बच्चों की अंगुली पर निशान जांचने लगी। छूटे बच्चों को खुराक पिलाने की कोशिश पर विरोध शुरू हो गया। भ्रम यह फैला कि पोलियो खुराक से बच्चे पुरुषत्व खो देंगे। लोगों ने दवा पिलाने वाली टीमों को दौड़ाना शुरू कर दिया। आए दिन बदसलूकी व मारपीट की घटनाएं होने लगीं। उस इलाके में मौलाना तनकर खड़े हो गए।

वो भयावह मंजर

मौलाना नौमान एक घटना को याद करके आज भी सिहर उठते हैं। बताते हैं, मौलाना आजाद नगर में खुराक पीने के बाद एक बच्चे के मुंह से झाग निकलने लगा। लोगों ने टीम को घेर लिया। भयंकर आक्रोश दिखने लगा। मार-धाड़ की आशंका के बीच जैसे-तैसे टीम को घर लाए। तब, मोबाइल फोन नहीं थे। घर से यूनिसेफ के जिला प्रभारी को खबर दी। आगाह किया कि आते वक्त गाड़ी का शीशा जरूर बंद रखें। गाड़ी आई तब टीम को सुरक्षित निकाला जा सका। बच्चे को मेडिकल कॉलेज ले जाने पर पता लगा कि झाग गले मे टॉफी अटकने से आया था।

पत्नी बनी हमसफर

मौलाना के इस नेक काम में पत्नी शहनाज भी हमसफर बन गईं। नगर आयुक्त ने तब सरेआम कहा था कि मौलानाजी ने नई-नवेली दुल्हन को इसी काम में झोंक दिया। जिले की पहली महिला यूनिसेफ थीं, जिन्हें सीएमसी बनाया गया। मौलाना ने मुस्लिम बाहुल्य ऊपरकोट, शाहजमाल, जीवनगढ़, सराय हकीम, सासनी गेट आदि इलाकों में भी जागरूकता फैलाई।

राष्ट्रपति ने किया सम्मान

पोलियो अभियान से जुड़े मौलाना नौमान कहते हैं कि अब इस वायरस से कोई बच्चा अपाहिज नहीं होगा। 2006 में उन्हें उत्कृष्ट कार्य के लिए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कॉर्टर की पत्नी ने दिल्ली में सम्मानित भी किया था। 2013 में देश पोलियो-मुक्त हुआ तो दिल्ली में राष्ट्रपति ने अलीगढ़ से सिर्फ उन्हें तारीफ मिली। वे कहते हैं, करोड़ों कमाकर भी इतनी खुशी कभी नहीं मिलती।'

.........

मौलाना ने जो अलख जगाई, वो मिसाल है। लोगों की भ्रांतियां दूर कीं। उस दौर में यह दुष्कर बात थी। देश पोलियो-मुक्त हो सका तो मौलाना जैसे लोगों की ही मेहनत से।

-इकबाल, मौलाना आजाद नगर।

मौलाना हम लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने ऐसे वक्त में खुराक पिलाई, जब भयंकर विरोध था। आज सबको पता है, पोलियो खुराक दवा कितनी अहम थी।

- शाजिम, मौलाना आजाद नगर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.