नाम जाप के बिना प्रभु के दर्शन संभव नहीं
अलीगढ़ : मनुष्य के जीवन में ईश्वर नाम ही सर्वोपरि है। गोस्वामी तुलसी दास ने भी अपना व्यक्तिगत मत जाह
अलीगढ़ : मनुष्य के जीवन में ईश्वर नाम ही सर्वोपरि है। गोस्वामी तुलसी दास ने भी अपना व्यक्तिगत मत जाहिर करते हुए कहा है कि भगवत नाम का जाप करने व आश्रय लेने से मनुष्य को सगुण व निर्गुण ज्ञान का बोध होता है। यह बातें भक्त माल कथा के तीसरे दिन समापन पर कथा व्यास महान संत विभूति जगदगुरू श्रीमलूकपीठाधीश्वर द्वाराचार्य राजेंद्र दास देवाचार्य महाराज ने व्यासपीठ से कही।
बरौली मार्ग स्थित अरविंद डेयरी सुरभि संस्थान पर आयोजित कथा में व्यास महाराज ने कहा कि प्रभु को सगुण स्वरूप कहा जाता है। ब्रह्मा, परमात्मा व ईश्वर एक ही शक्ति के विभिन्न नाम हैं। गुणों के अर्थ की महाकवि कालीदास ने भी अपनी रचनाओं में उपमा की है। परमात्मा के चेतन प्रकाश से ही संसार प्रकाशमान होता है, जिस प्रकार एक भूखे मनुष्य द्वारा भोजन करने के पश्चात तुष्टि, पुष्टि व क्षुदा निवृत तीनों भूख समाप्त हो जाती हैं। उसी प्रकार अनन्य भाव से भगवत नाम का जप करने से भगवत प्राप्ति की अनुभूति हो जाती है। भगवत नाम का बोध न होने से प्रभु रूप का दर्शन नहीं किया जा सकता। भगवत प्राप्ति के लिए नाम का बोध होना जरूरी है। महाराज जी ने कहा कि शरीर अशुद्ध होने पर भी मानसिक ज्ञान से प्रभु नाम का जाप करने से मनुष्य का कल्याण हो जाता है। नाम का जाप न करने के कारण सूपर्णखा ने प्रभु श्रीराम के रूप का दर्शन तो किया मगर प्राप्ति नहीं। उसी प्रकार लगातार प्रभु को स्मरण करते हुए सबरी ने उनके दर्शन भी किए और साक्षात आशीर्वाद भी प्राप्त किया। दान की महत्ता का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जलदान व जलपात्र दान की महिमा सर्वोपरि है।