इस रैन बसेरे में चैन कहां रे..
राज नारायण सिंह, अलीगढ़ : अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में रैन बसेरो
राज नारायण सिंह, अलीगढ़ :
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में रैन बसेरों की बदहाली पर तल्ख टिप्पणी की थी, लेकिन सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ा। अलीगढ़ का सच यही है कि यहां के रैन बसेरे रात गुजारने लायक नहीं हैं। इन रैन बसेरों का हाल जानेंगे तो आपका भी चैन छिन जाएगा। गंदगी से भरे पड़े हैं। सीढि़यों पर चढ़ते ही भीषण बदबू आनी शुरू हो जाती है। पान मसाले की पीक जगह-जगह दिखाई दे जाएगी। रात में कुछ रैन बसेरों में शराबियों की महफिल भी जमती है। रविवार को शहर के दो रैन बसेरों की पड़ताल की गई। इनमें से ऊपरकोट स्थित रैन बसेरे के हालात ऐसे ही मिले।
शहर में सात स्थायी रैन बसेरे हैं। चार गांधीपार्क बस अड्डे पर हैं। इनमें दो महिला व दो पुरुषों के लिए हैं। दो गूलर रोड पर हैं। इनमें एक महिला व एक पुरुषों के लिए है। एक रैन बसेरा ऊपरकोट पर है। कड़ाके की ठंड में प्रमुख स्थानों पर अस्थायी रैन बसेरे बनाए जाते हैं। ये स्थान गांधीपार्क चौराहा, केला नगर चौराहा व नौरंगीलाल इंटर कालेज आदि हैं।
बसेरे में लगा ताला
ऊपरकोट के चंदन शहीद रोड स्थित नगर निगम के रैन बसेरे में ताला पड़ा हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई लोग रात में आते तो हैं, मगर ताला देखकर लौट जाते हैं।
अंदर का हाल जानिए
आपको ऊपरकोट स्थित रैन बसेरे के अंदर ले चलते हैं। यह चंदन शहीद रोड स्थित मार्केट में ऊपरी तल पर है। नीचे दुकानें हैं। रैन बसेरे के लिए आप अंदर घुसेंगे तो यही से गंदगी का बाजार गरम हो जाता है। नीचे की गलियां कूड़े व गंदगी से अटी पड़ी हैं। रैन बसेरे का कोई ऐसा कोना नहीं है, जहां गंदगी न हो। ऊपरी मंजिल का हाल तो इससे भी बदत्तर है। पूरा फर्श धूल की चादर ओढ़े हुए है। यहां भी कोई ऐसा कोना नहीं है, जहां पर गंदगी न हो।
कैसे कटेगी रैन
रैन बसेरे की खिड़कियां टूटी हुई हैं। कुछ खिड़कियों के बीच में तो जालियां तोड़ दी गई हैं। इससे अंदर हवा आती रहती है। ठंड में तो सोने वाले व्यक्ति कांप उठेंगे। लेटने के लिए बिस्तर तक नहीं है। फर्श पर ही रात गुजारनी पड़ेगी।
सजती है मधुशाला
रैन बसेरे के बाहर शराब की बोतलें और गिलास हकीकत बयां करते हैं कि यहां शराबियों की महफिल सजती है। दुकानदारों का कहना है कि ऊपर गोदाम है, इसलिए अक्सर बंद रहते हैं। कभी-कभी तो मौका देखकर दारूबाज दिन में ही महफिल लगा लेते हैं।
कुछ हालात हैं ठीक
आगरा रोड स्थित गांधीपार्क के रैन बसेरे का हाल कुछ सही है। यहां एक दुकानदार ने बताया कि शाम को नगर निगम का कर्मचारी आ जाता है और ताला खोल देता है। इस समय 20 से 25 लोग रात में ठहर रहे हैं। रैन बसेरे में शौचालय, बाथरूम है। किचन भी है, जिसमें हीटर लगा हुआ है। ठहरने वाले लोग यहां दूध आदि गरम कर सकते हैं।
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सोमवार से रैन बसेरों की साफ-सफाई के लिए अभियान चलेगा। कुछ रैन बसेरों में कोई नहीं जाता है, इसलिए वहां कुछ गंदगी रही होगी।
- शकुंतला भारती, महापौर
रैन बसेरों की साफ-सफाई के लिए निर्देशित कर दिया गया है। ऊपरकोट स्थित रैन बसेरे में काफी कम लोग जाते हैं, इसलिए ठंड के समय खुलता है। साफ-सफाई हर रैन बसेरे में कराई जाएगी।
- शैलेंद्र कुमार सिंह, नगर आयुक्त
पब्लिक बोल
ऊपर से नीचे तक गंदगी का अंबार लगा हुआ है। कभी साफ-सफाई नहीं होती। रैन बसेरे की दीवार तो पान के पीक से लाल हो गई है। कम से कम हफ्ते में सफाई तो होनी चाहिए?
- शारिक खान।
छतों से लोग अंदर चले आते हैं। डर रहता है कि कहीं दुकान आदि का ताला न तोड़ दें। रैन बसेरे में आने वालों की रजिस्टर में एंट्री होनी चाहिए, जिससे सुरक्षा बनी रहे।
- वसीम खान।
रैन बसेरा खुले महीनों हो गए। कोई नहीं आता। यदि साफ-सफाई हो और ठीक व्यवस्था रहे तो लोग जरूर आएंगे। कम से कम इधर-उधर रात गुजारने वालों को दिक्कत नहीं होगी।
- मुहम्मद शकील।
रैन बसेरे के ठीक सामने लोगों के गोदाम हैं। उसमें सामान भरा रहता है। चौकीदार रहता नहीं है। जिसे जहां मन करता है, तोड़फोड़ कर देता है। इससे हर समय खतरा बना रहता है।
- निजाम अहमद।
बसेरे के सामने ही शराब की बोतलें दिखाई पड़ जाती हैं। ताश के पत्ते पड़े रहते हैं। अराजकतत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। किसी से जरा भी बोल दो, वह मारपीट पर उतर आता है।
- साजिद।
अलीगढ़ :