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साइबर क्राइम कंट्रोल में पुलिस बेबस

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : साइबर क्राइम एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इससे न केवल वित्तीय लेनदेन प्

By Edited By: Published: Sat, 18 Oct 2014 01:36 AM (IST)Updated: Sat, 18 Oct 2014 01:36 AM (IST)
साइबर क्राइम कंट्रोल में पुलिस बेबस

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ :

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साइबर क्राइम एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इससे न केवल वित्तीय लेनदेन प्रभावित होता है, बल्कि माहौल बिगाड़ने की साजिश भी रची जा रही है। मगर, अलीगढ़ पुलिस इस क्राइम को रोक पाने में असमर्थ ही नहीं, अनाड़ी भी है। पुलिस महकमे में कोई आइटी (इंफोरमेशन टेक्नोलॉजी) एक्सपर्ट नहीं है। जो दो-एक हल्के मामले खुले भी हैं, उनमें सर्विलांस का योगदान रहा।

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खाते से निकल गए पैसे

मामू भांजा निवासी कारोबारी संजय अग्रवाल की बेटी खुशबू एमएससी की छात्रा है। रेलवे रोड स्थित पीएनबी में उसका खाता है। खाते में 30,328 रुपये थे। उसके मोबाइल पर मैसेज आया कि 24,501 रुपये निकाले गए हैं। बैंक में पता चला कि तीन दिन में रकम निकाली गई है। छात्रा का कहना था कि एटीएम उसके पास है। बगैर एटीएम के रकम कैसे निकल गई। इस मामले में अभी छानबीन जारी है।

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यूं पकड़ा गया आरोपी

फेसबुक पर धर्म विशेष को लेकर आपत्तिजनक कमेंट डाले गए थे। ये कमेंट दूसरे अकाउंट होल्डर्स भी शेयर कर रहे थे। आइटी एक्ट का ये संवेदनशील मामला जब थाने पहुंचा तो पुलिस हड़बड़ा गई। एसएसपी ने अकाउंट बंद कराने को फेसबुक को मेल कर दिया। चूंकि, कमेंट डालने वाले यूजर की फेसबुक पर ऑरिजनल आइडी थी, सो पुलिस उसके एड्रेस पर अतरौली पहुंच गई। उसके अकाउंट पर कुछ म्यूचल फ्रेंड थे, इनमें से एक पुलिस के हाथ लग गया। पूछताछ में पता लगा कि फेसबुक पर यह कमेंट अतरौली के मोहल्ला खत्रीपाड़ा निवासी कुलदीप शर्मा की आइडी से पोस्ट किया गया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

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ट्रेनिंग की जरूरत

साइबर क्राइम के मामलों को सुलझाने के लिए पुलिस को प्रोपर ट्रेनिंग की जरुरत है। लेकिन यहां ट्रेनिंग नहीं दी जाती। पहले फोरेंसिक एक्सपर्ट पुलिस लाइंस में ट्रेनिंग देते थे, जो तत्कालीन एसएसपी धर्मवीर सिंह के आते ही बंद हो गई।

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जरूरी टिप्स

- क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग खाते से पैसे निकलने पर बैंक से संपर्क कर क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवाएं। यदि ईमेल या सोशल नेटवर्किंग एकाउंट हैक होता है, तो रिलेटेड वेबसाइट पर जाकर रिकवरी प्रक्रिया शुरू करें। अगर वेबसाइट हैक की गई है, तो पहले अपने जरूरी डेटा को सहेज लें।

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- आपके फेसबुक अकाउंट पर कोई आपत्तिजनक ईमेल भेजा गया है, तो उसे सेव कर लें, क्योंकि फेसबुक वॉल पर की गई टिप्पणी को अपराधी हटा भी सकता है। फिर पुलिस को इसकी जानकारी दें।

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- नेटबैंकिंग या क्रेडिट कार्ड के दुरुपयोग में बैंक से भी चूक हो सकती है। हो सकता है कि किसी साइबर अपराधी ने बैंक कर्मचारी के जरिये या बैंक के सर्वर या वेबसाइट को हैक करके अकाउंट का ब्योरा हासिल किया हो। अपनी वेब होस्टिंग कंपनी से बात कीजिए। हो सकता है कि उसके रिकॉर्ड में साइबर अपराधियों के आईपी अड्रेस या दूसरे ब्योरे मौज़ूद हों।

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साइबर क्राइम से निपटने के लिए पुलिस को प्रोपर ट्रेनिंग मिलनी चाहिए। जिस तरह ये अपराध बढ़ रहा है, ऐसी स्थित में जिला स्तर पर साइबर सेल खोले जाने चाहिए।

रक्षिक टंडन आइटी एक्सपर्ट, आगरा


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