एएमयू ने गांधीजी को दी थी छात्रसंघ की सदस्यता
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का एएमयू से गहरा नाता रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का एएमयू से गहरा नाता रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वह कई बार एएमयू में आए। 1920 में जब वह पहली बार यहां आए तो छात्र संघ की आजीवन सदस्यता दी गई। एएमयू छात्र गांधीजी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में पूरी शिद्दत से जुड़े और हर आंदोलन में साथ दिया। एएमयू में गांधीजी से जुड़ी तमाम यादें भी सुरक्षित हैं। एएमयू की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में गांधीजी पर लिखी दुनिया की दुर्लभ पुस्तकें भी हैं।
बात 1920 के आसपास की है। अंग्रेजी शिक्षकों के प्रति छात्रों में गुस्सा था। जब गांधीजी एएमयू में आए तो छात्रों ने उन्हें छात्र संघ की आजीवन सदस्यता दी। छात्रों ने स्ट्रेची हॉल के पास विदेशी कपड़ों की होली जलाई और स्वदेशी कपड़ों को धारण करने का प्रण लिया। एएमयू छात्र मुहम्मद हरसत मोहानी ने रसलगंज में खादी भंडार खोला। गांधी जी के खिलाफत आंदोलन में भी एएमयू छात्रों ने हिस्सा लिया। एएमयू छात्र मोहम्मद अली, शोक अली उस दौरान गांधीजी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी जब अलीगढ़ आते थे तो वह एकेडमिक स्टॉफ कॉलेज (पहले हबीब बाग) में ठहरते थे, जहां अब्दुल मजीद ख्वाजा का मकान था। गांधी जी ने अब्दुल मजीद ख्वाजा की पत्नी खुर्शीद जहां को उर्दू में खत भी लिखे।
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हर भाषा में किताब
एएमयू की मौलाना आजाद लाइब्रेरी दुनिया की पहली लाइब्रेरी है, जिसमें गांधी जी पर लिखी हर भाषा में किताब है। यहां हिंदी, उर्दू, बंगला, तेलगू, अग्रेजी आदि विषयों में किताब हैं। गुरुवार को गांधी जयंती पर लाइब्रेरी में गांधीजी जुड़ी सभी किताबों को आम लोगों के लिए रखा जाएगा। सुबह 9:45 बजे कार्यक्रम का उद्घाटन कुलपति जमीर उद्दीन शाह करेंगे।
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गांधीजी का एएमयू से गहरा नाता रहा है। वह चार-पांच बार एएमयू में आए और छात्रों को बड़ी संख्या में स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा। गांधीजी के अंतिम संस्कार में अब्दुल मजीद ख्वाजा ने कुरान पाठ किया था। गांधीजी ने वर्धा कमीशन बनाया था, जिसके अध्यक्ष जाकिर हुसैन रहे, जो देश के राष्ट्रपति बने।
- डॉ. राहत अबरार, एएमयू पीआरओ