मेडिकल कालेज में बच्चा बदलने के शक में हंगामा
जागरण संवादाता, अलीगढ़ : एएमयू के जेएन मेडिकल कालेज में रविवार को बच्चा बदलने के शक में हंगामा हो गया। इसे लेकर दो परिवारों के बीच जमकर कहासुनी हुई। मामला बिगड़ता देख कालेज प्रशासन को पुलिस का सहारा लेना पड़ा। आरोप लगाने वाले परिवार ने बाद में माना कि जो कुछ हुआ, वह गफलत में हुआ। किसी ने कोई शिकायत नहीं की।
मेडिकल कालेज के लेबर रूम में रविवार सुबह 10 बजे हैवतपुर सिया निवासी हरी सिंह की पत्नी प्रीति ने ऑपरेशन से बच्ची को जन्म दिया। प्रसव के बाद बच्ची को नर्सरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया। इसके पांच मिनट बाद ही तुर्कमान गेट निवासी फैजान की पत्नी मीना ने बेटे को जन्म दिया। इस बच्चे को भी नर्सरी में रख दिया गया। बच्चा बदलने का आरोप प्रीति की मां संगीता ने लगाया। उनका कहना था कि डॉक्टर ने मेडिकल से यह कहकर दवा लेने के लिए भेजा था कि प्रीति का ऑपरेशन होगा। दवा लेकर लौटीं, तब तक ऑपरेशन हो चुका था। वहां मौजूद लोगों ने उन्हें बताया था कि बेटा हुआ है, जबकि नर्सरी में हमें बेटी दिखाई गई। उनका यह भी दावा था कि लड़का के पैर पर प्रीति के नाम की चिट लगाई गई थी। इसी बात पर प्रीति व मीना के परिजनों में कहासुनी हो गई। नर्सिग स्टॉफ पर भी आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए। आरोप यह भी लगा कि मीना के परिवार का सदस्य मेडिकल में नौकरी करता है, वह इसका लाभ उठा रहे हैं। वार्ड में निरीक्षण कर रहे बाल रोग विशेषज्ञ प्रो. मनाजिर अली भी लेबर रूम पहुंच गए। उन्होंने दोनों पक्षों को बिठाकर बात की। कहा है, ये संभव नहीं है कि किसी का बच्चा बदल दिया जाए। जन्म के बाद ही मां को बच्चे के लिंग के बारे में बताया जाता है। अगर किसी को गलतफहमी है तो बच्चे व मां का डीएनए टेस्ट करा लेते हैं। इसका खर्च करीब 50 हजार रुपये आएगा, जिसे उसी परिवार को देना होगा, जो जांच कराएगा। इसके बाद मामला थम गया। प्रीति की मां संगीता कहना था कि मीना के परिवार पर हमें कतई शक नहीं है। नर्सो की बात पर गलतफहमी हुई थी। हमने बेटी को स्वीकार कर लिया है।
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बच्चा बदलने की बात गलत थी। एक परिवार को गलतफहमी हो गई थी। जिसे समझा दिया गया है। अब कोई विवाद नहीं है।
- प्रो. तारिक मंसूर, प्रिंसिपल मेडिकल कालेज