पानी बचाकर बचाएं पृथ्वी
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : जल ही जीवन है। जल बचाएं, पृथ्वी बचाएं। जल बचाने के लिए सबको सजग रहना होगा। भू-जल हम सबके लिए अमूल्य धरोहर है। कुछ इस तरह के स्लोगन बोलकर डीएम अभिषेक प्रकाश ने पानी बचाने का संदेश दिया। मंगलवार को कलक्ट्रेट स्थित सभागार में भू-जल संरक्षण पर विचार गोष्ठी में जल संरक्षण को लेकर चर्चा हुई।
डीएम ने कहा कि सरकारी प्रयासों के साथ जन सहभागिता जरूरी है। जनमानस को वर्षा जल की प्रत्येक बूंद के महत्व को समझना होगा। डीएम ने डीआइओएस तथा बीएसए को दो माह में जल मित्र तैयार करने के निर्देश दिए हैं। सीडीओ शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि गुलाब खिलाने हैं, तो कुछ तो प्रयास करने होंगे। डीएफओ डीपी गुप्ता ने विभागीय उपलब्धियां गिनाई। पर्यावरणविद सुबोध नंदन शर्मा ने कहा कि जल का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों जैसे घरों, उद्योगों, कृषि तथा व्यक्तिगत कायरें में मितव्ययिता के साथ करना होगा। शिक्षाविद डा. नमिता सिंह ने कहा कि भूजल दोहन रोकने के लिए जागरुकता जरूरी है। पानी को धन की तरह बचाना होगा। प्रभुदयाल कुशवाह ने सूखे कुओं की सफाई करने पर जोर दिया। पर्यावरण विकास समिति के रंजन राणा ने पला सल्लू वन को संरक्षित किए जाने की मांग उठाई। संचालन एई एमआइ महेश चंद्र शर्मा ने किया। गोष्ठी में उपनिदेशक कृषि वीपी सिंह, जिला कृषि अधिकारी अरुण कुमार, बीएसए एसपी यादव, सहायक निदेशक मत्स्य डा. महेश चौहान आदि थे।
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धरातल पर उतरे योजना
पानी बचाने को लेकर सरकारी कवायद फाइलों में चल रही हैं। नियम तो सब है, पर पालन नहीं हो रहा। तमाम सरकारी व गैर सरकारी भवनों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं है। कलक्ट्रेट में पानी बचाने को लेकर हुई गोष्ठी में यह दर्द छलका। एएमयू के डॉ. शादाब खुर्शीद ने कहा कि व्यवस्थाएं तो बहुत हैं, पर काम होना जरूरी है। उन्होंने कहा, वर्षा जल संचयन एवं भूजल रिचार्ज के लिए शहरी क्षेत्रों के आवासों एवं सरकारी भवनों में रूफ टाप रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली को अनिवार्य रूप से लागू किया गया है। परंतु किसी कारण से यह धरातल पर नहीं होता।