10 हजार शिक्षक फिर भी नहीं मिल रहे कक्ष निरीक्षक
जागरण संवाददाता, आगरा: उप्र बोर्ड परीक्षा शुरू होने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। नकल माफियाओं ने
जागरण संवाददाता, आगरा: उप्र बोर्ड परीक्षा शुरू होने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। नकल माफियाओं ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। नकल के बदले स्वरूप के लिए कक्ष निरीक्षकों का सहारा लिया जाता है। इसके लिए वित्तविहीन कॉलेजों द्वारा शिक्षकों का डाटा देने में देरी की जा रही है। जिससे अंतिम समय में फर्जी कक्ष निरीक्षक लगाए जा सकें।
यूपी बोर्ड की परीक्षा 16 मार्च से शुरू होंगी। इसके लिए परीक्षा केंद्र बनाए जा चुके हैं। इन पर परीक्षा कराने के लिए करीब चार हजार कक्ष निरीक्षकों की जरूरत पड़ेगी। जिले के 700 से ज्यादा माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को कक्ष निरीक्षक बनाया जाता है। मगर, इन कॉलेजों के शिक्षकों से कक्ष निरीक्षकों की पूर्ति नहीं हो पा रही है।
सत्र 2017 की परीक्षा के लिए कॉलेजों द्वारा शिक्षकों का डाटा न देने से गंभीर परिस्थिति खड़ी हो गई है। लगभग एक माह से विभाग द्वारा डाटा मागे जाने के बाद अभी तक आके कॉलेजों के शिक्षकों का डाटा विभाग को मिला सका है। यह स्थिति तब है जब डाटा भेजने के लिए कार्यालय से कॉलेज संचालकों को फोन किया जा रहा है। जान-बूझकर डाटा भेजने में देरी की जा रही है। डीआइओएस जितेंद्र यादव का कहना है कि शिक्षकों का डाटा न भेजने वाले कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
10 हजार शिक्षक, फिर भी कम
अगर एक माध्यमिक विद्यालय में औसत 15 शिक्षक मानें तो भी 700 विद्यालय में दस हजार से ज्यादा शिक्षक होते हैं। इसके बाद भी कक्ष निरीक्षकों के लिए शिक्षक कम पड़ जाते हैं। पिछले साल भी परीक्षा में कक्ष निरीक्षकों की कमी हुई थी। जिसका फायदा नकल माफिया ने उठाते हुए बाहरी शिक्षकों से ड्यूटी कराई थी। कहीं तो चपरासियों के सहारे परीक्षा हुई थी।
पकडे़ गए थे फर्जी कक्ष निरीक्षक
बोर्ड परीक्षा 2016 में नकलचियों से ज्यादा फर्जी कक्षनिरीक्षक या फिर नकल कराते हुए पकडे़ गए थे। विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार इनकी संख्या 50 से ज्यादा थी। सचल दलों ने दो दर्जन से अधिक कक्ष निरीक्षकों के खिलाफ एफआईआर कराने के निर्देश दिए थे।
शिक्षकों का डाटा, लेकिन निरीक्षण का समय नहीं
माध्यमिक शिक्षा विभाग के पास शिक्षकों का डाटा होता है। स्कूल हर साल रजिस्ट्रेशन और परीक्षा फॉर्म भरने के दौरान शिक्षकों का डाटा अपलोड करते हैं। इसमें शिक्षकों के विषय और योग्यता से जुड़ी हर जानकारी होती है, लेकिन विभाग परीक्षा के समय कॉलेजों की ओर से दिए जा रहे डाटा की जाच बोर्ड की सर्वर पर दिए डाटा से नहीं करता है। ऐसा कर विभाग खुद नकल का खेल करने की छूट दे देता है।