Marriage in Lockdown: टूट गईं रस्मों की परंपरा, बैंड- बाजा और बरात में आया ये नया कलेवर
Marriage in Lockdown शादी में फिजूल खर्च रोकने का संदेश भी दिया लॉकडाउन ने। लाखाें रुपये में होने वाली शादियोंं का बजट हजारों में रह गया।
आगरा, अली अब्बास। केस एक: शमसाबाद कस्बा निवासी अरविंद सिंह जादौन ने बहन बिंदु की शादी की सारी तैयारी कर ली थी। उन्होंने 24 मई को बहन को डोली में बैठाकर धूमधाम से विदा करने को लाखों का बजट बनाया था। कोटा (राजस्थान) से दूल्हे प्रवीण को बरात लेकर आनी थी। शादी से दो महीने पहले ही लॉकडाउन हो गया। तय तारीख पर शादी तो हुई लेकिन उसमें बैंड- बाजा और बराती नहीं थे। दोनों पक्ष के पांच-पांच लाेग ही शामिल हुए। जिस शादी में 20 लाख रुपये से ज्यादा खर्चा होने का अनुमान था। वह 25 से 30 हजार रुपये में हो गयी।
केस दो: ताजगंज निवासी अमर सिंह को 18 मई बरात लेकर बोदला जाना था। शादी की सारी तैयारी हो चुकी थीं। बरात में कितने लोगों को जाना है, दावत में कितने लोगों को बुलाना है। इसकी फेहरिस्त बनकर तैयार हो गयी थी। मगर, लॉकडाउन ने सारी तैयारियों पर पानी फेर दिया। शादी काे आगे भी नहीं टाल सकते थे। क्योंकि ज्योतिष ने बता दिया था कि 18 मई के बाद दो साल तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। ऐसे में दूल्हे अमर को परिवार के लोगों के साथ ऑटो में दुल्हन के दरवाजे पर जाना पड़ा। सादे समारोह में फेरे लिए और दुल्हन को विदा कराके ले आए।
कोरोना काल में लॉकडाउन ने बैंड- बाजा और बरात की पारंपरिक रस्म को तोड़ने का भी काम किया है। जोकि हर दूल्हा और दुल्हन का सपना होता है। धूमधाम से शादी करने की तैयारी में जुटे दर्जनों लोगों को सादे समारोह में फेरों की रस्म पूरी करनी पड़ी। कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए हुए लॉकडाउन ने लोगों के सामने कई दिक्कतें पेश कीं। मगर, वह लोगों को कई पाठ भी पढ़ा गया।इनमें से एक शादी में होने वाली फिजूलखर्ची को रोकने का पाठ भी है। लॉकडाउन में बहन की शादी करने वाले शमसाबाद निवासी अरविद सिंह कहते हैं कि वह आगे भी फिजूलखर्ची काे रोकने और लोगो को जागरूक करने का काम करेंगे।
29 और 30 जून को है सहालग
जिला प्रशासन के पास अब तक सवा सौ लोग शादी की अनुमति के लिए आवेदन कर चुक है। जून के अंत में 29 और 30 तारीख काे बड़ी सहालग है। इनमें कई साै शादियां होने का अनुमान है। प्रशासन के जो आदेश जारी किए हैं, उसके अनुसार लड़का-लड़की दोनाें पक्ष के 50 लोग ही शादी समारोह में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में सहालग के ये दो दिन प्रशासन के सामने चुनौती की तरह होंगे। वह शादी में संख्या से ज्यादा लोगों को शामिल होने से रोकने में कितना कारगर रहेगा।
शादी से जुड़े हैं दर्जनों लोगो के रोजगार
शादी में बैंड-बाजा, आतिशबाजी, सजावट, कैटर्स, वेटर समेत दर्जनों लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी है। कोरोना कॉल ने इन सबको भी बेरोजगार कर दिया है। ये सब भी कोरोना को जंग में मात देकर जिंदगी की गाड़ी को फिर से पटरी पर लाने का इंतजार कर रहे हैं।
शादी में अपनोंं को मनाने का निकाला तरीका
अनलॉक में शादियो को लेकर जारी दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखकर लोगों ने सगे संबंधियों को आमंत्रित करने का तरीका खोज लिया है। वह सगे संबंधियों में परिवार के बड़े बुजुर्ग को न्यौता दे रहे हैं। इससे परिवार के लोग भी बुरा नही माने।
क्या कहते हैं समाजशास्त्री
आगरा कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर एवं समाजशास्त्री डॉ. महादेव सिंह के अनुसार यह व्यवस्था सिर्फ कोराेना कॉल तक ही है। कोरोना की वैक्सीन या दवा बनने के बाद फिर से यह परंपरा लौट आएगी। यह पहली बार नहीं हुआ है इससे पहले भी कई महामारी आयीं। उस समय भी इसी तरह बंदिशें लगीं, लेकिन उसकी वैक्सीन और दवा बनने के बाद बैंड-बाजा और बरात की रस्म लौटेगी। अभी जो नियम हैं वह कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए है।