जरूरी खबर: बच्चे का चाहिए नर्सरी में दाखिला ताेे पहले खरीद लें अपना घर Agra News
रेंट डीड नहीं स्वीकार कर रहे कई स्कूल। माता-पिता की शिक्षा के साथ घर की दूरी भी है अहम।
आगरा, प्रभजोत कौर। मिशन नर्सरी एडमिशन की राहें आसान नहीं हैं। बच्चे की पढ़ाई के साथ ही माता-पिता को भी तैयारी करनी है। दस्तावेजों का पुलिंदा तैयार करना है। अब तो बच्चों के प्रवेश का आधार माता-पिता की शिक्षा और उनका अपना घर भी हो गया है।
शहर में मिशन नर्सरी एडमिशन के लिए स्कूलों ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं। अक्तूबर और नवंबर महीने उन अभिभावकों के लिए बहुत भारी रहेंगे जिनका बच्चा इसी साल नर्सरी में प्रवेश लेगा। इन दो महीनों में बच्चों की शिक्षा का सफर शुरू कराने को जद्दोजहद होनी है। फॉर्म के लिए हालांकि अब लाइन नहीं लगानी पड़ेगी, लेकिन कई नियम परेशानी खड़ी कर रहे हैं।
रेंट डीड को नहीं कर रहे स्वीकार
अब तक हर उन अभिभावकों से रेंट डीड ली जाती थी, जो किराए के घर में रहते हैं। एड्रेस प्रूफ के रूप में इसका इस्तेमाल होता था। लेकिन कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जो इस बार रेंट डीड को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। वे किराए के घरों में रहने वाले अभिभावकों के बच्चों को अपने यहां एडमिशन ही नहीं दे रहे।
स्कूल से घर की दूरी भी है अहम
अगर आपके घर से पसंदीदा स्कूल की दूरी 10 किलोमीटर से ज्यादा है तो स्कूल बच्चे को प्रवेश नहीं देगा। शहर के कुछ कॉन्वेंट स्कूलों ने अपने प्रवेश फार्म में यह बात साफ तौर से लिखी है कि स्कूल के ढाई से तीन किलोमीटर परिधि में रहने वाले बच्चों को ही स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा। शहर का एक स्कूल अपने यहां सिर्फ कमलानगर, केके नगर, निर्भय नगर, खंदारी, दयालबाग, आवास विकास के बच्चों को ही प्रवेश देता है।
कितने पढ़े-लिखे हैं माता-पिता
माता-पिता की पढ़ाई अब बच्चों की शिक्षा के लिए बहुत जरूरी हो गई है। पहले सिर्फ फॉर्म में कॉलम भरना होता था कि माता-पिता की शिक्षा कितनी है। अब स्कूल में एडमिशन फॉर्म के साथ ही माता-पिता को अपनी शिक्षा के सर्टीफिकेट भी लगाने होंगे।