आखिर मिल गई हिंदू संगठन पदाधिकारियों को जमानत
जागरण संवाददाता, आगरा: फतेहपुर सीकरी थाने में हुए बवाल में जेल भेजे गए ¨हदू संगठन के कार्यकर्ताओं को
जागरण संवाददाता, आगरा: फतेहपुर सीकरी थाने में हुए बवाल में जेल भेजे गए ¨हदू संगठन के कार्यकर्ताओं को शुक्रवार को जमानत मिल गई। आरोपियों को जेल से बाहर निकालने के लिए पहले पुलिस ने धाराएं हटाई थीं, फिर साठ दिन पूरे होने के बाद भी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल न करके रिहाई का रास्ता साफ कर दिया था। इससे आरोपियों की जमानत के लिए तकनीकी आधार मिल गया।
22 अप्रैल को संघ प्रचारक के खिलाफ दर्ज मुकदमे को खत्म कराने के लिए फतेहपुर सीकरी थाने पहुंचे ¨हदू संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया था। इस दौरान सीओ समेत अन्य पुलिसकर्मियों से मारपीट हुई। मामले में ¨हदू संगठन के पदाधिकारी जगमोहन चाहर, सागर, मोनू, उदयवीर और ओमी 23 अप्रैल से जिला जेल में बंद थे। पुलिस ने इस मामले में जानलेवा हमला और लोक संपत्ति को क्षति पहुंचाने की धाराएं हटा दीं। इसके बाद भी 17 मई को जिला जज ने 22 पुलिसकर्मियों के घायल होने का हवाला देकर आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। अदालत ने अपने आदेश में सख्त टिप्पणी भी की। अदालत के रुख से ¨हदू संगठन के पदाधिकारियों और पुलिस दोनों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई। अदालत से रिहाई का रास्ता बंद होते देखकर पुलिस पर दबाव बनाया गया। 60 दिन में चार्जशीट कोर्ट में भेजने का नियम है, लेकिन विवेचक पर ऐसा न करने को दबाव बनाया गया। एक तरफ कोर्ट की सख्ती और दूसरी तरफ सरकारी दबाव झेल रहे विवेचक दो दिन पहले डिप्रेशन में आ गए और अस्पताल में भर्ती हो गए। इसके बाद अधिकारियों ने दिखावे को दो और विवेचक साथ में लगा दिए। 20 जून को घटना के 60 दिन पूरे हो गए। कोर्ट में पुलिस के चार्जशीट दाखिल न करने से आरोपियों को लाभ मिल गया। शुक्रवार को आरोपियों के अधिवक्ता ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम की अदालत में जमानत प्रार्थना पत्र दिया। अभियोजन की ओर से यहां पैरवी को कोई नहीं पहुंचा। आरोपियों की ओर से कहा गया कि पुलिस की ओर से उनके खिलाफ कोई चार्जशीट दायर नहीं की गई है। अदालत ने तकनीकी आधार पर उनकी जमानत मंजूर कर दी। देर शाम तक जेल से उनकी रिहाई की प्रक्रिया चल रही थी।
सदर बवाल में जेल भेजे आरोपी पहले ही आ गए थे बाहर
फतेहपुर सीकरी में हुए बवाल में पकड़े गए आरोपियों को सदर थाने ले जाने पर वहां भी बवाल हो गया। इसमें पुलिस ने नौ आरोपियों को जेल भेजा था। इनके खिलाफ जानलेवा हमला समेत अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने बाद में जानलेवा हमले की धारा हटाकर कोर्ट में रिमांड परिवर्तन को प्रार्थना पत्र दे दिया। सदर थाने से जेल भेजे गए आरोपियों को गंभीर धाराएं हटने के बाद सीजेएम की अदालत से जमानत मिल चुकी है।
चिह्नित बलवाइयों का कुछ नहीं हुआ
पुलिस ने फतेहपुर सीकरी बवाल में पांच नामजद और 250 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसमें दूसरे ही दिन दर्जन भर लोग चिह्नित कर लिए गए थे। अन्य बलवाइयों को चिह्नित करना तो दूर, अभी तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। ये सभी पुलिस के साथ घूमते हुए देखे जा सकते हैं।
जिला जज ने की थी ये टिप्पणी
जमानत पर सुनवाई के बाद जिला जज ने कहा था कि एक तरफ पुलिस से अपेक्षा की जाती है कि जनता की सुरक्षा करे, तो दूसरी ओर जनता का भी दायित्व है कि वो पुलिस बल के साथ शालीनता से पेश आए। इसके उलट आजकल यह प्रवृत्ति बनती जा रही है कि जनता द्वारा पुलिस बल, पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों के साथ आए दिन मारपीट, गाली-गलौज और वर्दी उतरवाने की धमकी दी जाती है। इससे पुलिस बल और अधिकारियों का मनोबल गिरता है।
जागरण ने पहले ही किया था पर्दाफाश
¨हदू संगठन के पदाधिकारियों और पुलिस के बीच हुई डील को जागरण ने 20 जून के अंक में प्रकाशित किया था। इसमें बताया था कि पुलिस दो माह पूरे होने पर भी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल न करके उनके लिए रिहाई का रास्ता बना रही है। इसी आधार पर उनकी जमानत होगी। पुलिस ने ठीक वैसा ही किया और आरोपियों को लाभ मिल गया।