दिनदहाड़े डकैती में गुपचुप लगा दी एफआर
जागरण संवाददाता, आगरा: सिकंदरा आवास विकास कॉलोनी में पौने दो साल पूर्व अवर अभियंता (जेई) के घर दिनदह
जागरण संवाददाता, आगरा: सिकंदरा आवास विकास कॉलोनी में पौने दो साल पूर्व अवर अभियंता (जेई) के घर दिनदहाड़े पड़ी डकैती में पुलिस ने गुपचुप एफआर लगा दी। नकाबपोश बदमाश तमंचे के बल पर परिवार को बंधक बना 300 ग्राम सोने के आभूषण, रिवॉल्वर, चांदी और नकदी लूट ले गए थे। पुलिस दुस्साहसिक वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों का सुराग हासिल करने में नाकाम रही। पीडि़त ने अपने स्तर से जितनी जानकारी दी, जिन लोगों पर शक जताया, पुलिस ने सिर्फ उनसे ही पूछताछ कर खानापूरी कर ली। अपने स्तर से बदमाशों के बारे में पता करने की कोशिश नहीं की। मामले में एफआर लगाने की जानकारी भी जेई को पांच दिन पहले कोर्ट से सम्मन आने पर हुई। पुलिस की जांच से असंतुष्ट जेई कोर्ट से पुनर्विवेचना की गुहार लगाने का मन बना चुके हैं।
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फ्लैश बैक
सिकंदरा के आवास विकास कॉलोनी, सेक्टर 11 ए निवासी जयपाल सिंह जल निगम में जेई हैं। वह 23 अप्रैल 2015 की सुबह ऑफिस में थे और बेटा अंशू स्कूल में। पत्नी सुमनलता, बेटियां रुचि (16) और श्वेता (18) घर पर थीं। सुबह 11.30 बजे नकाबपोश पांच बदमाशों ने घर पर धावा बोल दिया। सुमनलता और दोनों बेटियों से तमंचे के बल पर तिजोरी की चाभियां हासिल करने के बाद उन्हें बंधक बना लिया। जेई की लाइसेंसी रिवॉल्वर, 300 ग्राम सोने के आभूषण, सवा किलो चांदी, 50 हजार रुपये और दो मोबाइल लूटकर ले गए थे। दोपहर सवा दो बजे बेटे अंशू ने स्कूल से लौटने के बाद कमरे में कैद मां और बहनों को मुक्त कराया।
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सात दिन बाद ही सुस्त हो गई पुलिस जेई के मुताबिक दुस्साहसिक घटना के बाद पुलिस सात दिन ही सक्रिय रही। उनको थाने पर बुलाया। बदमाशों और जिन लोगों पर शक था, उनके बारे में बता दिया। पुलिस ने कई लोगों से पूछताछ की, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद पुलिस ने उनके संपर्क करने की जरूरत भी नहीं समझी। उनके लिए भी रोज थाने जाकर मुकदमे की पैरवी करना आसान नहीं था। इसका फायदा उठाते हुए पुलिस ने बिना उनकी जानकारी के फरवरी 2016 में एफआर लगा दी। पांच दिन पूर्व कोर्ट से सम्मन आने पर उनको पुलिस के एफआर लगाने का पता चला।
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ऑटो से भागे थे बदमाश
पुलिस के साथ ही जेई और कॉलोनी वालों ने अपने स्तर से बदमाशों का पता लगाने का प्रयास किया था। उस समय कर कुंज चौराहे पर ऑटो स्टैंड से बदमाशों के भागने की बात सामने आई थी। बदमाश ऑटो में हरीपर्वत के लिए सवार हुए थे। एक के पास बैग भी था, उनका एक साथी बाइक पर था। पुलिस ने इस ओर छानबीन करने की जरूरत नहीं समझी।
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स्केच भी काम न आए
वारदात का खुलासा करने के लिए पुलिस ने विशेषज्ञों से बदमाशों के स्केच तैयार कराए थे, जिसे सुमनलता और उनकी बेटियों ने बदमाशों के हुलिए से मिलता-जुलता बताया था। यह स्केच भी पुलिस के लिए मददगार साबित नहीं हुए।
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अब नहीं खुलते अतिथि के लिए दरवाजे
डकैती ने जेई और उनके परिवार को दहशत से भर दिया है। अब अजनबी अतिथि के लिए उनके दरवाजे नहीं खुलते। गेट खोलने से पहले वह अंदर कमरे की जाली से देखती हैं। यदि परिचित हुआ, तभी गेट खोलती हैं, अन्यथा पति के आने पर मिलने की कहकर लौटा देती हैं।
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शाम होते ही लौट आते हैं घर
जेई ने बताया कि वह परिवार को अकेले नहीं छोड़ते हैं। दिन में भी कई बार पत्नी और बच्चों को फोन करके उनकी कुशलता लेते हैं। यदि किसी काम से दूसरे शहर जाना पड़े, तो रात होने से पहले घर लौट आते हैं।
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छह माह बाद ही पड़ोस में बोला था धावा
बदमाशों ने दिनदहाड़े डकैती के छह महीने बाद ही जेई के पड़ोसी पीबी मिश्रा के घर धावा बोला था। उनकी पत्नी मार्शल आर्ट जानती थीं, इसलिए बदमाशों से भिड़ गई। इसी दौरान गेट पर आए बंदरों के झुंड ने भी बदमाशों के पैर उखाड़ दिए थे और वह लूटपाट किए बिना वहां से भाग गए थे।
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'वादी यदि एफआर से संतुष्ट नहीं है, तो मामले की अग्रिम विवेचना कराई जाएगी। डकैती का खुलासा करने के लिए क्राइम ब्रांच को भी लगाया जाएगा।'
डॉ. प्रीतिंदर सिंह एसएसपी