दयालबाग में पांच द्वारों से आएगा वसंत
जागरण संवाददाता, आगरा: वसंत पर दयालबाग की छटा देखने लायक होगी। दयालबाग शिक्षण संस्थान के ओपन डे के त
जागरण संवाददाता, आगरा: वसंत पर दयालबाग की छटा देखने लायक होगी। दयालबाग शिक्षण संस्थान के ओपन डे के तुरंत बाद वसंतोत्सव पर समूचा दयालबाग और शिक्षण संस्थान वासंती रंग में रंगे नजर आएंगे। मेहमानों की एंट्री के लिए पांच द्वार बनाए जाएंगे।
दयालबाग में वसंत की तैयारियां शुरू हो गई हैं। विभिन्न नगरों में लाइटिंग का ट्रायल किया जा रहा है। मोहल्लों में सफाई कार्य शुरू हो गया है। घरों के भीतर तोरण और बंदनवार बनाए जा रहे हैं। सजावट का कार्य कुछ दिन में शुरू हो जाएगा। डीईआइ के सौ वर्ष पूरे होने के कारण शिक्षण संस्थान भी वासंती आयोजन के लिए तैयार हैं। 30, 31 जनवरी को डीईआइ का ओपन डे मनाया जाएगा। इसकी तैयारियां भी जोर-शोर से की जा रही हैं। दोनों दिन प्रदर्शनी लगाई जाएगी। डीईआइ के सामने बड़े मैदान में दयालबाग के सभी शिक्षण संस्थानों की सौ साल की उपलब्धियों का प्रदर्शन होगा। प्रेम विद्यालय, आरईआइ के मॉडल इसी मैदान में सजेंगे। डीईआइ के बीवॉक के छात्र-छात्राओं द्वारा बिक्री के लिए बड़े स्तर पर अचार, पापड़, चटनी, मुरब्बा, बैडशीट, कुशन कवर, हैंडीक्राफ्ट का सामान तैयार किया जा रहा है। संस्थान के दूरस्थ केंद्रों के विद्यार्थी भी अपने मॉडल की प्रदर्शनी लगाएंगे। दोनों दिन प्रदर्शनी आम लोगों के लिए खुली रहेगी।
महिलाएं कर रहीं खरीदारी
वसंत पंचमी पर जब धरती पीली चुनरिया ओढ़ती है, आयोजन भी पीले रंग में रंगा नजर आता है। वसंत के चलते दयालबाग के बाजार में पीले रंग की चुनरी, साड़ी आदि दुकानों के बाहर सजा दी गई हैं। रंग-बिरंगे फूल और माला भी बिक्री के लिए सजे हैं।
रोशनी में नहाएगा डीईआइ
लाइटिंग भी इस बार देखने लायक होगी। हॉस्टल से लेकर दयालबाग का हर विद्यालय और संस्थान रोशनी में नहाया दिखाई देगा। डीईआइ की सजावट भव्य होगी।
एनआरआइ लेंगे हिस्सा
आयोजन में हजारों एनआरआइ हिस्सा ले रहे हैं। यूएस, कनाडा, जापान, कैलीफोर्निया, इंग्लैंड आदि देशों ने बड़ी संख्या में सत्संगी आएंगे। सत्संगियों के लिए भोजन भी प्रांत विशेष के अनुसार तैयार होगा।
ये होंगी प्रतियोगिताएं
बेबी शो खेल प्रतियोगिता, दयालबाग शिक्षण संस्थान व दयालबाग में रोशनी सज्जा। जिम्नास्टिक प्रतियोगिता
पौध लगा रखी गयी
दयालबाग की नींव
वसंत पंचमी के दिन ही 20 जनवरी 1915 को राधास्वामी मत के पांचवे परम पूज्य हुजूर साहब जी महाराज ने मुबारक कुआं के निकट शहतूत का पौधा रोपण कर दयालबाग कॉलोनी की नींव रखी थी। मुबारक कुआं का विशेष महत्व है। परम पुरुष पूरन धनी स्वामीजी महाराज सुबह घूमने आया करते थे, दातून करने के बाद इसी कुएं के जल का प्रयोग करते थे। उस समय यहां ऊंचे-ऊंचे टीले तथा कटीली झाड़ियां थीं। तब स्वामीजी महाराज ने फरमाया था कि एक दिन इसी कुएं के आसपास सत्संग की बहुत बड़ी कॉलोनी बनेगी। आज यही दयालबाग कॉलोनी है। मुबारक कुआं और शहतूत का पेड़ आज भी संरक्षित है।
आरईआइ की नींव रखी गई
वसंत पंचमी के दिन ही 1915 में आरईआइ कॉलेज की नींव रखी गई थी। भवन निर्माण के लिए कोई नक्शा नहीं था। परम पूज्य हुजूर साहब जी महाराज ने पोइया घाट के समानांतर छड़ी से लाइन खींची। दयालबाग के छठे आचार्य परम पूज्य हुजूर मेहता जी महाराज की देख-रेख में नींव खोदवाना शुरू कर और दिसंबर 1916 तक इमारत पूर्ण हो गई। एक जनवरी 1917 से आरईआइ प्रांरभ हो गया।