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बाजार में नकली रैबीज वैक्सीन बिकने की आशंका

जागरण संवाददाता, आगरा: रैबीज की वैक्सीन लगवाने के बाद भी पेठा कारोबारी की मौत ने सवाल खड़े कर दिए हैं

By Edited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 10:47 PM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 10:47 PM (IST)
बाजार में नकली रैबीज वैक्सीन बिकने की आशंका

जागरण संवाददाता, आगरा: रैबीज की वैक्सीन लगवाने के बाद भी पेठा कारोबारी की मौत ने सवाल खड़े कर दिए हैं। दवा बाजार में रैबीज वैक्सीन का करोड़ों का काला कारोबार चल रहा है। इन वैक्सीन के लिए कोल्ड चेन भी मेंटेन नहीं की जा रही है, इनके नकली होने की भी आशंका है।

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रविवार को नाई की मंडी के पेठा कारोबारी मोहन खंडेलवाल की रैबीज से मौत हो गई थी। उन्हें तीन महीने पहले कुत्ते ने काट लिया था, इसके बाद रैबीज वैक्सीन भी लगवाई थी। अब वैक्सीन की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। थोक दवा बाजार में 339 एमआरपी वाली रैबीज की वैक्सीन 250 से 300 रुपये में बिना बिल के बिक रही है, जबकि थोक दवा कारोबारियों पर एक महीने से वैक्सीन नहीं आई है। वैक्सीन की मांग अधिक होने से यह शॉर्ट चलती है, इसके बाद भी बाजार में बिना बिल की वैक्सीन की कमी नहीं रहती है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सहित अन्य राज्यों से हॉस्पिटल सप्लाई की रैबीज वैक्सीन बाजार में आती है। इस पर लेबल बदलकर बाजार में वैक्सीन को बेच दिया जाता है। यह वैक्सीन दो से आठ डिग्री तापमान पर रखी जानी चाहिए, लेकिन चोरी-छिपे आने वाली वैक्सीन के लिए कोल्ड चेन मेंटेन नहीं होती है। इसके चलते वैक्सीन असरहीन नहीं रहती है। जिला आगरा केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष आशु शर्मा ने बताया कि एक महीने से थोक बाजार में रैबीज वैक्सीन नहीं आई है यह शॉर्ट चल रही है।

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हॉस्पिटल से 50 रुपये में खरीदे जा रहे रैपर

सूत्रों के मुताबिक कुछ निजी क्लीनिक और हॉस्पिटल पर रैबीज वैक्सीन के रैपर को कंपाउंडर सुरक्षित रख लेते हैं। इन्हें दवा के काले कारोबारी 50 रुपये में खरीद रहे हैं। इन रैपर में हॉस्पिटल सप्लाई की वैक्सीन को रखकर एमआरपी पर बेचा जा रहा है। इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें रैपर और वैक्सीन पर बैच नंबर अलग-अलग दर्ज होता है।

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बिल से ही खरीदें वैक्सीन

रैबीज सहित अन्य वैक्सीन को बिल से ही खरीदना चाहिए, इससे इनके नकली होने की आशंका कम रहती है। वैक्सीन खरीदते समय देख लें कि कोल्ड चेन मेंटेन की जा रही है या नहीं।

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कोल्ड चेन मेंटेन न होने पर वैक्सीन की क्षमता प्रभावित होती है, इसका असर भी खत्म हो जाता है। इस तरह की वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

डॉ. अंकुर गोयल, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी विभाग एसएन

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रैबीज वैक्सीन के नकली और अधोमानक होने की आशंका पर थोक दवा की दुकानों पर मेडिकल स्टोर पर छापेमारी की जा रही है। दवाएं बिल से लें, इससे उनके नकली होने की आशंका कम हो जाती है। रैबीज वैक्सीन अच्छी दुकान से लें, जहां कोल्ड चेन मेंटेन की जाती हो।

पीके मोदी, सहायक औषधि आयुक्त

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