अवैध निर्माणों से पटने लगा शहर
जागरण संवाददाता आगरा: तमाम कोशिशों के बावजूद शहर में अवैध निर्माण बदस्तूर जारी हैं। पिछले तीन चार-मह
जागरण संवाददाता आगरा: तमाम कोशिशों के बावजूद शहर में अवैध निर्माण बदस्तूर जारी हैं। पिछले तीन चार-महीनों के दौरान इनमें भारी इजाफा हुआ है। विशेषकर अर्जुन नगर, सिकंदरा-बोदला रोड, शाहगंज और पुराना शहर जैसे व्यावसायिकक्षेत्रों में तेजी के साथ व्यापारिक प्रतिष्ठान धड़ाधड़ बन रहे हैं। ऐसा नहीं है कि आगरा विकास प्राधिकरण के अफसरों को इसकी जानकारी नहीं है, बल्कि खास बात यह है कि उन्हीं की देखरेख में आगरा के विनाश की स्क्रिप्ट लिखी जा रही है।
हाल में आगरा स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल हुआ है। इसके लिए जरूरी है शहर का व्यवस्थित होना। एक ओर नगर निगम आगरा शहर को साफ और सुंदर बनाने के लिए योजनाएं तैयार कर रहा है, तो दूसरी ओर जिस विभाग के पास शहर के विकास की असली जिम्मेदारी है, वही आगरा विकास प्राधिकरण शहर के विनाश की परिकल्पना तैयार कर रहा है। आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट को हरी झडी मिल चुकी है। जाहिर है खेरिया एयरपोर्ट के आसपास का क्षेत्र ऐसे में तेजी से विकसित होगा। इसे देखते हुए खेरिया मोड़ से बारहखंबा की ओर जाने वाले मुख्य रास्ते पर अवैध निर्माण की बाढ़ सी आ गई है। यहां पहले से ही दो डेढ़ दर्जन के आसपास अस्पताल, मेडिकल स्टोर व अन्य व्यापारिक गतिविधिया आवासीय परिसरो में संचालित हैं। पिछले छह महीनों के दौरान इनमें बेहद तेजी आई है। एक अनुमान के मुताबिक अर्जुन नगर क्षेत्र में लगभग दर्जन भर अवैध निर्माण हाल-फिलहाल किए गए हैं। तीन बड़े अस्पताल भी हाल में खड़े हो गए हैं। यही स्थिति शाहगंज जैसे व्यस्ततम बाजार की भी है। यहा पर भी व्यापारियों ने कई नए निर्माण एडीए से बिना नक्शा पास कराए करा लिए हैं। बोदला रोड और पुराने शहर में भी तेजी के साथ बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही हैं। पुराने शहर में संकरी सड़कों में कई-कई मंजिल की इमारतें खड़ी हो रही हैं, लेकिन एडीए की ओर से नोटिस काटने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं होती।
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इधर नोटिस, उधर समझाते हैं बचाव के तरीके
आगरा: शहर में अवैध निर्माण के तरीके असल में एडीए वाले ही अवैध निर्माणकर्ताओं को बता रहे हैं। इस खेल में सबसे बड़ा माध्यम न्यायिक प्रक्रिया को बनाया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक अवैध निर्माण पर एडीए वाले नोटिस काटते हैं। इसके बाद कार्रवाई के नाम पर फाइल सो जाती है। अवैध निर्माणकर्ता को इतना मौका दिया जाता है कि वह नोटिस के खिलाफ अदालत जा सके। इस बीच निर्माण कार्य को रुकवाने के लिए कोई कार्यवाही नहीं होती। कई मामलों में अदालत स्टे भी नहीं देती। इसकी काट के लिए एडीए वाले निर्माणकर्ताओं को कमिश्नर की कोर्ट में भेज देते हैं। केवल अपील की बिना पर एडीए अफसर इसके बाद चुप हो जाते हैं। उन्हें पता है कि अदालत हो या कमिश्नरी कोर्ट, केस सालों में निपटता है और इधर अवैध निर्माण पूरा हो जाता है। इस दौरान एडीए के अफसर भारी-भरकम राशि वसूल करते हैं और बाद में कम्पाउंडिंग के नाम पर भारी खेल किया जाता है।
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कुछ खास उदाहरण
- पश्चिमपुरी में त्यागी मार्केट पूरी तरह से अवैध है। मामला अदालत में है, इसलिए एडीए वाले पल्ला झाड़ लेते हैं। दूसरी ओर, बिल्डर ने अब तक डेढ़ दर्जन दुकानें बेंच डाली हैं। एक बार मार्केट जम तो गई, तो उसे तोड़ना असंभव है।
- गुरुद्वारा गुरु का ताल के सामने सैफई के एक यादव जी ने एडीए के आवासीय परिसर में होटल बना डाला। एडीए ने नोटिस देकर साध ली चुप्पी। जागरण ने निर्माण के दौरान ही कर दिया था सचेत। अब कम्पाउंडिंग का बहना बनाकर कार्रवाई के नाम पर बच रहे अफसर।
- बोदला रोड पर मारुति एस्टेट के पास सीलबंद मार्केट आबाद हो रही है। यहां भी नोटिस देकर अफसरों ने चला लिया काम।
- सुभाष पार्क के पास तीन मंजिला भवन सीलिंग के बावजूद बना और अब वहां व्यापारिक गतिविधियां संचालित हैं। बताया जाता है कि मामला कमिश्नर की कोर्ट में लंबित है।
- इनर ¨रग रोड निर्माण के दौरान सड़क किनारे एक बहुमंजिला इमारत एडीए ने सील की थी, लेकिन अब यह पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुकी है।
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साहब उस सूची का क्या हुआ?
आगरा: एडीए में हाल में तैनात एक अफसर आगरा की नस-नस से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। उन्होंने विप्रा में चार्ज संभालते ही सबसे पहले सीलिंग की लिस्ट मांगी और इंजीनियरों से कार्रवाई करने को कहा। लिस्ट बने तीन महीने गुजर गए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ नहीं हुआ। अब तो एडीए स्टाफ भी पूछने लगा है कि साहब ने लिस्ट क्यों मंगाई थी? साहब अपने ही मातहतों के सवालों के घेरे में हैं।
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