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अधूरे वादों से नरक बना नालंदा टाउन

जागरण संवाददाता, आगरा: बड़े-बड़े सपने दिखाकर आवासीय योजनाओं को बेचना और फिर बिना विकास कार्य पूरे कराए

By Edited By: Published: Fri, 29 Jul 2016 01:05 AM (IST)Updated: Fri, 29 Jul 2016 01:05 AM (IST)
अधूरे वादों से नरक बना नालंदा टाउन

जागरण संवाददाता, आगरा: बड़े-बड़े सपने दिखाकर आवासीय योजनाओं को बेचना और फिर बिना विकास कार्य पूरे कराए निकल लेना बिल्डरों की आदत से बन गई है। ऐसा ही हुआ शमसाबाद रोड स्थित नालंदा टाउन में रहने वाले सैकड़ों लोगों के साथ। यहां बिल्डर ने सुविधाओं के नाम पर एक-एक मकान से लाखों वसूलो और जब सुविधाएं देने का नंबर आया, तो बिल्डर हाथ नहीं आ रहा है। कॉलोनी के निवासी बिजली, पानी, सड़क, सीवर और सुरक्षा को लेकर सालों से जिद्दोजहद कर रहे हैं। दैनिक जागरण की टीम गुरुवार को इस कॉलोनी में पहुंची, तो वहां के लोगों का दर्द और आक्रोश जुबां पर आ गया।

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नालंदा बिल्डर्स ने वर्ष 2007 में शमसाबाद रोड पर सेंट मेरी स्कूल के पास नालंदा टाउन की स्थापना की थी। यहां पर करीब 350 परिवार रह रहे हैं और 100 के आसपास मकान और प्लाट खाली पड़े हैं। स्थानीय लोगों की शिकायत पर जागरण की टीम कॉलोनी पहुंची, तो वहां न केवल समस्याओं का अंबार मिला, बल्कि यह भी सामने आया कि किस तरह आगरा विकास प्राधिकरण के अफसर बिल्डरों के साथ मिलकर आम लोगों की गाढ़ी कमाई पर मौज कर रहे हैं।

समस्याओं के पहाड़ सीवर व नाली

करीब 450 परिवारों के लिए सीवर के नाम पर केवल एक टैंक है, जो दो दिनों में ही भर जाता है। पानी निकासी की कोई सुविधा नहीं है। शर्तो के अनुरूप एसटीपी नदारद है। सीवर सड़कों के ऊपर होकर बहता है। बिल्डर महीने में एक बार टैंक की सफाई के नाम पर पानी कॉलोनी के बगल में स्थित खाली पड़े प्लाट में निकलवा देता है। जिस दिन टैंक खाली होता है, अगले एक हफ्ते तक बदबू से जीना दूभर हो जाता है। यह मजाक नहीं तो और क्या है कि इतने सारे घरों के लिए केवल चार इंच चौड़ी व गहरी नालियों का निर्माण कराया है। इससे आम दिनों में जलभराव होता है और बरसात होने पर कॉलोनी में तीन फुट तक पानी भर जाता है। पार्क भी तालाब में तब्दील हो जाता है।

बिजली

कॉलोनी के गेट तक बिजली टोरंट की है। घरों में बिजली का कनेक्शन बिल्डर की ओर से किया गया है। सभी मीटर एक पैनल में कनवर्ट करके एक रूम में लगाए गए हैं। आरोप है कि बिल्डर के गुर्गे मीटर में छेड़छाड़ करके हर महीने लाखों रुपया अवैध वसूल लेते हैं। लोगों ने बताया कि अंदर की बिजली फिटिंग पूरी तरह से अव्यवस्थित है। ऐसे में आए दिन बिजली गुल रहती है। पिछले दिनों लगातार 48 घंटे तक बिजली गुल रही। बरसात के दिनों में जमीन में खुले पड़े तार पानी में पटाखों की आवाज करते हुए ब‌र्स्ट होते हैं। ऐसे में लगातार खतरा बना रहता है।

पानी की टंकी हुई जर्जर

पानी के लिए एक टंकी है, जो दस साल में जर्जर होकर टपकने लगी है। इसकी हालत ऐसी है कि कभी भी ढह सकती है। पानी आवश्यकता है, इसलिए खतरनाक हो चुकी पानी की टंकी से पानी लेना लोगों की मजबूरी है। यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

जलभरा से सड़ेंक जर्जर

कॉलोनी में रोजाना होने वाले जलभराव ने यहां की सड़कों को जर्जर कर दिया है। जिन रास्तों पर अधिक जलभराव होता है, वहां रहने वालों ने अपने पैसों से सड़क आधा से पौन फुट तक ऊपर उठाई है। ऐसे में बरसाती पानी निकलने में बेहद मुश्किल होती है।

सुरक्षा

कॉलोनी वालों ने बताया कि बिल्डर ने सुरक्षा के नाम पर ड्रेस पहनाकर मजदूरों को गार्ड बना दिया है। दनादन चोरियां हो रही हैं। आसपास के आवारा युवक कॉलोनी के अंदर महिलाओं व लड़कियों से छेड़छाड़ करते हैं, मगर कोई पूछने वाला नहीं है।

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इनका दर्द

गाढ़ी कमाई करके घर खरीदा। बिल्डर ने सपने खूब दिखाए थे, मगर हमारे साथ धोखा हुआ। एक भी सुविधा नहीं दी।

विशाल गुप्ता

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एडीए में कई बार शिकायत की। बिल्डर के कर्मचारियों को भी समस्याओं से अवगत कराया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

जयपाल सिंह चौहान

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बिल्डर सुविधाओं के नाम पर हर माह 700-700 रुपये वसूलता है। सुविधाएं गायब हैं। बरसात में जलभराव से कॉलोनी नरक बन जाती है।

भावना शर्मा

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बुधवार की बरसात में घर के सामने तीन फुट पानी भर गया। बाइक खराब हो गई। बिल्डर ने सुविधाओं के नाम पर धोखा किया है।

गीतम कुशवाहा

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बरसात में घर के अंदर पानी घुस आया। निकासी का कोई इंतजाम नहीं है। बाहर खुले पड़े तार हादसों को दावत देते हैं।

कंचन हांडा

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सवालों में एडीए, अधूरे निर्माण पर कैसे बसी बस्ती

आगरा: नियमानुसार एडीए द्वारा स्वीकृत आवासीय कॉलोनियों में बिल्डर तभी बस्ती बसा सकता है, जब वह एडीए से पूर्णता प्रमाण पत्र हासिल कर ले। पूर्णता प्रमाणपत्र का मतलब कॉलोनी के आंतरिक विकास कार्यो से है, मगर नालंदा टाउन में एक भी विकास कार्य पूरा नहीं हुआ। फिर से बिल्डर से मिलीभगत कर यहां बस्ती बस गई।

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'नालंदा टाउन को 2010 में वहां रहने वालों को हैंडओवर कर चुका हूं। छह साल बाद वहां की समस्याओं की जिम्मेदारी मेरी कैसे हो सकती है। वहां की समस्याओं के लिए स्थानीय आरडब्लूए जिम्मेदार है न कि मैं। मैने सभी विकास कार्य कराए। एसटीपी भी बना हुआ है।

राधेश्याम शर्मा, डेवलपर

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