फास्ट फूड खा रहा बच्चों की 'भूख'
आगरा: सुबह से लेकर रात तक बच्चे चिप्स और फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं। यही फास्ट फूड उनकी भूख खा रहा
आगरा: सुबह से लेकर रात तक बच्चे चिप्स और फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं। यही फास्ट फूड उनकी भूख खा रहा है, यह समस्या आम हो चुकी है। इसी तरह पौष्टिक आहार का सेवन न करने से बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार हो रहे हैं। गुरुवार को दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. निखिल चतुर्वेदी ने परिजनों से अपील की कि बच्चों को स्वस्थ रखना है, तो फास्ट फूड बंद कराएं।
सवाल : मेरी बेटी को भूख नहीं लगती है। चिप्स, फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक ही पसंद हैं। ऊषा सिंघल, सुधीर कुमार, राहुल गर्ग, आगरा, सुनीता मैनपुरी, अमित कुमार मथुरा
जवाब : फास्ट फूड और पैक्ड फूड में केमिकल होते हैं, इससे भूख नहीं लगती है। बच्चों को घर पर स्वादिष्ट भोजन बनाकर दें, उन्हें फास्ट फूड से बचाएं।
सवाल : मेरी साढ़े पांच साल की बेटी को बार-बार सर्दी जुकाम हो जाता है। गुडि़या शर्मा, शेखर, आगरा, योगेश कुमार मथुरा
जवाब - यह एलर्जी की वजह से हो सकता है, आठ साल की उम्र तक इस तरह की समस्या रहती है। इसके बाद सही हो जाती है। इस दौरान समस्या बढ़ने पर इनहेलर सहित अन्य दवाएं लेते रहें।
सवाल : आठ महीने का बच्चा है बार-बार दस्त हो जाते हैं। गब्बर सिंह, प्रेम कुमार, आगरा, आशा एटा
जवाब : बच्चा अभी भी दूध पीता है, तो उससे भी यह समस्या हो सकती है। पानी उबाल कर दें, खान-पान का विशेष ध्यान रखें। कई बार एसिडिटी से भी यह होता है।
सवाल : बेटे का वजन कम है, क्या करना चाहिए। राधे श्याम, अनुज, आगरा।
जवाब : बच्चों को खाने में प्रोटीन, आयरन के साथ घी अच्छी मात्रा में देना चाहिए। इससे वजन बढ़ जाएगा।
सवाल : बच्चा बार-बार बीमार पड़ जाता है, इससे कैसे बचा जा सकता है। अंजना, राखी आगरा, ललित मथुरा
जवाब : पांच साल तक यह समस्या रहती है, इस दौरान बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। खान-पान और साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखें।
प्रेजर्वेटिव से हो रही एसिडिटी
ब्रेड से लेकर अन्य पैक्ड खाद्य पदार्थो में प्रेजर्वेटिव का अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे वे कई दिनों तक खाने लायक रहते हैं। ये बच्चों में एसिडिटी करते हैं, इससे उनका पेट खराब हो रहा है।
पांच साल तक होते हैं ज्यादा संक्रमण
बच्चों में पांच साल तक प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। इस दौरान संक्रमण की ज्यादा आशंका रहती है। इससे बचाने के लिए उन्हें पौष्टिक आहार देना चाहिए। बच्चों के शारीरिक विकास के लिए स्पोर्ट्स एक्टिविटी में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
फास्ट फूड से सस्ते हैं फल
एक अनुमान के मुताबिक पेटीज, पेस्ट्री, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक, पिज्जा, चाउमीन पर 30 से 50 रुपये खर्च हो रहे हैं। इसे पौष्टिक आहार पर खर्च किया जाए, तो बच्चे आराम से मौसमी फल का सेवन कर सकते हैं, मगर पैक्ड जूस से बचना चाहिए।
बच्चों के खाने का इस तरह रखें ध्यान
छह महीने तक - स्तन पान ही कराएं।
छह से आठ महीने तक - दाल-चावल का पानी, दही, सूप, जूस दे सकते हैं।
आठ से 12 महीने तक - हलुआ, बेसन के लड्डू, खिचड़ी का सेवन कराएं।
एक साल के बाद - प्रोटीन के लिए दाल, चने, छोले, राजमा दे सकते हैं। आयरन के लिए पालक, मेथी, बथुआ, कैल्शियम के लिए दूध और उससे बने प्रोडक्ट, साथ ही घी का भी खाने में इस्तेमाल करें।
फास्ट फूड है घातक
बच्चे फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन कर रहे हैं, इसमें केमिकल का अधिक इस्तेमाल किया जाता है। फास्ट फूड का सेवन करने से कैलोरी (कार्बोहाइड्रेड) अधिक मात्रा में मिलती है। फैट और सोडियम भी शरीर में अधिक मात्रा में पहुंच जाता है, मगर प्रोटीन, कैल्शियम और मिनरल सहित पौष्टिक तत्व नहीं मिलते हैं। इससे मोटापा और हृदय संबंधी बीमारियां हो रही हैं। इससे बचने के लिए बच्चों को फास्ट फूड, चिप्स सहित अन्य पैक्ड खाद्य पदार्थो का सेवन न कराएं।
डॉ. निखिल चतुर्वेदी, बाल रोग विशेषज्ञ
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