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आदिवासी बच्चों को आ रही रास, वर्चुअल क्लास

जागरण संवाददाता, आगरा: देश भर में शिक्षा का उजियारा फैलाने के लिए मिशन एजूकेशन में जुट गया है दयालबा

By Edited By: Published: Fri, 27 May 2016 01:01 AM (IST)Updated: Fri, 27 May 2016 01:01 AM (IST)

जागरण संवाददाता, आगरा: देश भर में शिक्षा का उजियारा फैलाने के लिए मिशन एजूकेशन में जुट गया है दयालबाग शिक्षण संस्थान। पूरब हो या पश्चिम, उत्तर हो या दक्षिण, देश का कोई ऐसा कोना नहीं रहना चाहिए, जहां बच्चे शिक्षण केंद्र के अभाव में पढ़ न सकें। संस्थान द्वारा मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाके राजाबरारी में शुरू किए गए दूरस्थ शिक्षा केंद्र में वर्चुअल क्लास के माध्यम से छात्र-छात्राएं प्रतिदिन दस से चार बजे तक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

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दयालबाग शिक्षण संस्थान (डीईआइ) द्वारा दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम की शुरुआत 2004 में की गई थी। उद्देश्य था कि पैसों के अभाव में कोई छात्रा शिक्षा से वंचित न रहे, इसके लिए संस्थान ने ऐसे आदिवासी इलाकों को तलाशा, जहां संसाधनों का अभाव था। ऐसा ही एक आदिवासी इलाका है मध्यप्रदेश का राजाबरारी। यहां गांव में सड़क नहीं। किसी भी छात्र के पास साइकिल नहीं है। बिजली कुछ घंटों को आती है, पर वोल्टेज कम होने के कारण बल्ब टिमटिमाते हैं। इस गांव में 2008 में दयालबाग के दूरस्थ शिक्षा केंद्र की स्थापना की गई थी। यहां बीकॉम ऑनर्स और इंजीनिय¨रग में डिप्लोमा कराया जाता है।

छात्रों का प्रवेश, परीक्षा और रिजल्ट दयालबाग स्थित कैंपस से संचालित होते हैं। जो पाठ दयालबाग के छात्रों को पढ़ाया जाता है, उसी दिन मल्टीमीडिया के माध्यम से ठीक वही पाठ केंद्र में पढ़ाया जाता है। संस्थान की पीएचडी स्कॉलर शिखा गुप्ता, वीरांगना सिंह और मीनाक्षी चावला रोज वर्चुअल क्लास लेती हैं।

कॉमर्स के कोऑर्डिनेटर प्रो. प्रमोद सक्सेना ने बताया कि केंद्र के छात्रों को स्टडी मैटीरियल भी उपलब्ध कराया जाता है। केंद्र में पढ़ने वाले कई छात्र विदेश जा चुके हैं।

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फ‌र्स्ट आने पर दी जाती है सोलर लाइट

केंद्र में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ने के लिए डीईआइ लगातार प्रेरित करता रहता है। वर्तमान में कॉमर्स फ‌र्स्ट ईयर के बैच में आठ छात्राएं तथा तीन छात्र हैं। कॉमर्स के लिए बीस सीटे हैं। कक्षा में प्रथम आने वाले बच्चों को इनाम में सोलर लाइट दी जाती है, ताकि बिजली न आने के कारण उनकी पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न न हो। केंद्र द्वारा तीन किलोमीटर से दूर रहने वाले छात्रों को साइकिल भी इनाम में दी जाने लगी है।

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अमेरिका से नौकरी छोड़ पहुंचे पढ़ाने

गांव के छात्रों को पढ़ाने के लिए डीईआइ के पूर्व छात्र डी. सुमिर राव ने अमेरिकी कंपनी अमेरिकन एक्सप्रेस (न्यूयॉर्क) में पचास लाख रुपये सालाना की नौकरी छोड़ दी। वे दो साल से इसी केंद्र में शिक्षण कार्य कर रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्होंने बताया कि आदिवासी बच्चों को शिक्षा देने से उनके मन को बहुत सुकून मिल रहा है। यहां उन्हें महज 2,800 रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं। संस्थान के कॉमर्स डिपार्टमेंट के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.एसपी कौशिक भी वहां बच्चों को पढ़ाने गए थे। उन्होंने बताया कि आदिवासी इलाके में छात्रों को पढ़ाना बेहद सुकून देता है।

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