मंगलगान बीच में छूटे, चले लात-घूंसे
जागरण संवाददाता, आगरा: जनकपुरी में मंगलगीतों के बीच जमकर मर्यादा टूटीं। राम-जानकी विवाह की रस्मों के
जागरण संवाददाता, आगरा: जनकपुरी में मंगलगीतों के बीच जमकर मर्यादा टूटीं। राम-जानकी विवाह की रस्मों के बीच आयोजन से जुड़े प्रमुख लोगों के बीच 'महाभारत' शुरू हो गया। लात-घूंसे चलने लगे। विवाद आयोजकों में अग्रणी प्रमोद गांधी के परिजनों को मंच पर जाने से रोकने को लेकर ही हुआ। इस सीन के बाद शर्म और सिर्फ शर्म की आवाज हर ओर से आ रही थीं।
जनकपुरी शहर के लिए लोगों के लिए संस्कृति और आस्था से जुड़ा सबसे अहम आयोजन है। इस बार गांधी नगर में हुए कार्यक्रम में पदाधिकारियों में शुरू से ही विवाद होता रहा। पहले तो जनक के व्यवहार के चलते उन्हें बदलने का घटनाक्रम चला। उसके बाद गुरुवार को जनक बने सहजीव रतन गौरा पूजन के दौरान सीता के रथ पर जबरन सवार हो गए। पदाधिकारियों ने रोका तो कमेटी के सदस्य रवि परमार से खुलेआम मारपीट की। सुनयना बनीं नीलम रतन ने उनका मुंह नोंच लिया। विवाद शुक्रवार को उस वक्त भी नहीं थमे, जब राम की बरात सीता जी को ब्याहने जनक महल पहुंच गई। मंच पर जनक के परिजन जबरन चढ़ गए। उन्हें उतारने को लेकर खींचतान हुई। इसके अलावा आयोजन से जुड़े आनंद त्रिवेदी अपने दोस्तों के साथ मंच पर चढ़ने लगे, तो उन्हें रोकने को लेकर मारपीट और कुर्सी फिंकाई हो गई।
यही नहीं, दोपहर में समिति पदाधिकारियों ने गांधी नगर में रहने वाले एक सदस्य हर्ष शर्मा से वादा कर दिया कि स्वरूप दोपहर का भोजन आपके घर करेंगे। मगर, यह कहीं और कराया। इस पर हर्ष शर्मा नाराज हो गए। आखिर में फिर परंपरा बदली गई और नगर भ्रमण को स्वरूपों को जनवासे की बजाए हर्ष के घर से निकाला। इन सारे घटनाक्रमों से शहरवासियों की आस्था इस तरह आहत हुई कि जनक महल के सामने भी तमाम कुर्सियां खाली पड़ी रहीं।
समिति को लेकर भी बखेड़ा
वैसे इस जनकपुरी में शुरू से ही बखेड़ा होता रहा। पहले समिति के पदाधिकारियों को हटाकर समिति को ही भंग कर दिया गया। इसके बाद मुखिया बनाए गए योगेंद्र सिंह चौहान को समुचित सम्मान न दिया गया।