एक था आनंद वन
जागरण संवाददाता, आगरा: आनंद वन। फरेब की ऐसी कहानी, जिसमें शहरवासियों को रमणीक वन बनाकर प्रकृति की गो
जागरण संवाददाता, आगरा: आनंद वन। फरेब की ऐसी कहानी, जिसमें शहरवासियों को रमणीक वन बनाकर प्रकृति की गोद में सुखद पल बिताने का झांसा दिया गया। वन क्षेत्र में आबाद गरीबों को उजाड़कर यहां एक बिल्डर की 'बगिया' बसा दी गई। वन अब नहीं बचा। कनेर के पौधों को छोड़ यहां अफसरों द्वारा धूमधाम से लगाए गए पौधों का अस्तित्व लगभग मिट ही गया है। विभाग भी इसे भुला चुका है।
पूर्व डीएफओ एनके जानू के आरोपों के कठघरे में आते ही उनके कार्यकाल में हुए कार्यो पर भी उंगलियां उठ रही हैं। सवालों के घेरे में है आनंद वन। एक लाख वर्ग मीटर वन भूमि में विभाग के साथ ताज नेचर वॉक विकास समिति द्वारा इसे तैयार किया गया था। 15 अगस्त, 2013 को वन का लोकार्पण हुआ। दावा था कि सिकंदरा से नजदीक होने के चलते यह वन शहरवासियों के साथ देसी-विदेशी पर्यटकों के लिए प्राकृतिक आकर्षण साबित होगा। यहां विभिन्न प्रजातियों के करीब 5100 पेड़ विभिन्न कुंजों में लगने थे। नालों के पानी को साफ करने के लिए तीन वेटलैंड और वॉटर बॉडी बननी थीं।
गुरुवार को 'जागरण' ने सच्चाई जानने को वन का रुख किया तो हकीकत सामने आ गई। फेंसिंग कर बनाए गए आनंद वन में करीब दो वर्ष पूर्व अधिकारियों द्वारा लगाए गए पौधे गायब हो गए हैं। पूर्व मेयर (तत्कालीन राज्य मंत्री) अंजुला सिंह माहौर, तत्कालीन डीएम जुहेर बिन सगीर, तत्कालीन एसएसपी शलभ माथुर, निलंबित हो चुके पूर्व मुख्य वन संरक्षक पीके शर्मा और एडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष अजय चौहान द्वारा पौधे लगाने की पट्टिकाएं अब भी मौजूद हैं, लेकिन जो पौधे लगाए वे पट्टिकाओं के आसपास कहीं नजर नहीं आते। थोड़ी बहुत झाड़ियों के साथ सूखा मैदान दिखता है।
कोई पहुंच जाए तो बैठने के लिए एक बेंच भी नहीं है। वाटर बॉडी और चेकडेम के बारे में वहां खेलते बच्चों से जानकारी की तो वह अनभिज्ञ नजर आए। वन क्षेत्र से आगे यमुना नदी का हवाला देने लगे। तालाब के बारे में बताया कि वह सूखा हुआ है।
डीएफओ कृष्ण कुमार ने बताया कि आनंद वन की योजना बंद कर दी गई थी। कुछ लोगों ने इसका विरोध किया था। देखरेख के अभाव में पौधे सूख गए होंगे। कनेर के पेड़ को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती। वहां पापड़ी और शीशम के पेड़ हैं।
यह है मामला
मुख्य वन संरक्षक एके जैन ने सेटेलाइट चित्रों के आधार पर हाल ही में प्रमुख वन संरक्षक को पूर्व प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी (डीएफओ) एनके जानू के कार्यकाल में ताजनगरी में 12 हजार पेड़ों को काटने की रिपोर्ट भेजी है। इनमें ताज वन क्षेत्र में चार हजार और बाबरपुर में आठ हजार पेड़ काटे जाने का उल्लेख है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी कर चुका है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित कर चुके हैं।