सुंदर शहर का ढांचा, तराशने को चाहिए सांचा
जागरण संवाददाता, आगरा: इतिहास के पन्नों में गौरवशाली शहर अब भविष्य के सपनों के पालने में झूल रहा है।
जागरण संवाददाता, आगरा: इतिहास के पन्नों में गौरवशाली शहर अब भविष्य के सपनों के पालने में झूल रहा है। स्मार्ट सिटी के 'ताज' की प्रतिभागिता का जिक्र हो तो यकीनन सरकार का दिल मुहब्बत के शहर के लिए भी धड़केगा। ज्यों-ज्यों तर्को का तरकश खुलेगा, वैसे-वैसे इस 'तोहफे' के लिए ताजनगरी की दावेदारी मजबूत होती जाएगी। बेमिसाल ताज, मजबूत उद्योग, शानदार रोड नेटवर्क और न जाने क्या-क्या खूबियां इस शहर को एक खूबसूरत सांचे में ढाल चुकी हैं। जिम्मेदार अफसरों की इच्छाशक्ति और सरकार का सहयोगी हाथ सिर्फ इसी गंभीरता से चाहिए कि जैसे कच्ची माटी को 'स्मार्ट सिटी' का आकार देना हो।
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दो केस
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लोगो पंच लाइन- ये ठीक नहीं
साहब, शिकायतों को दूर तो कराइए
दृश्य- मंगलवार को शमसाबाद रोड स्थित महावीर नगर की जनता दो मेटाडोर में भर कर नगर निगम पहुंची। ये लोग गुस्से में नारेबाजी कर रहे थे। गुस्सा जायज भी था। उनका कहना था कि महावीर नगर में बरसात होते ही पानी भर जाता है। नालियां नहीं हैं, सड़कें टूटी पड़ी हैं और निगम कर्मी सफाई करने कभी नहीं जाते। उन्होंने निगम अधिकारियों को शिकायत तो दर्ज कराई लेकिन फिर भी नाउम्मीदी से ही लौटे। यह इसलिए, क्योंकि पहले भी शिकायत कीं लेकिन कुछ नहीं हुआ।
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2 लोगो- बहुत अच्छे
हां, ऐसे ही जिम्मेदारी समझें अफसर
बुधवार दोपहर 12 बजे मंशा देवी गली राजामंडी निवासी प्रमोद गौड़ अपनी मां शारदा देवी के साथ उप नगरायुक्त अनिल कुमार के पास पहुंचे। उन्होंने जो बताया, वह शर्मनाक था। प्रमोद ने पिता की मृत्यु के बाद घर के नामांतरण को निगम में 2012 में प्रार्थना पत्र दिया था। इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ। ऐसे में पहली दफा उप नगरायुक्त अनिल कुमार से मिले तो उन्होंने प्रार्थना पत्र पर नोटिंग कर लोहामंडी जोनल कार्यालय के कर निर्धारण अधिकारी सीपी सिंह के पास भेजा। उन्होंने मामला निस्तारित करने की बजाए लिपिक का नंबर देकर लौटा दिया। वह दोबारा उप नगरायुक्त के पास पाए। इसके बाद उन्होंने कड़ा रुख कर कर निर्धारण अधिकारी को फोन कर डांटा। तुरंत समस्या समाधान के निर्देश दिया। साथ ही विभागीय कार्रवाई के लिए कर निर्धारण अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब कर लिया।
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'हाथ' दो सरकार तो संवरे सूरत
अव्वल तो जिम्मेदार अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी ही होगी। इसके अलावा व्यावहारिक तथ्य पर जाएं तो जनता की नाराजगी में कुछ अधिकारियों की मजबूरी भी हैं। नगर निगम में हालात ये हैं कि 1991 की जनगणना (8.91 लाख आबादी) के सापेक्ष जितने पद स्वीकृत हैं, उससे कहीं कम मानव संसाधन निगम के पास वर्तमान है, जबकि अब निगम क्षेत्र में जनसंख्या लगभग 18 लाख है।
नगर निगम में मानव संसाधन की स्थिति
पद स्वीकृत तैनात
- उप नगरायुक्त 4 1
अपर नगरायुक्त 2 0
नगर स्वास्थ्य अधिकारी 1 0
मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी 1 0
अति. नगर स्वास्थ्य अधिकारी 1 0
मुख्य अभियंता 1 0
अधिशासी अभियंता 5 2
अधिशासी अभियंता यातायात 1 0
सहायक अभियंता 6 3
अधिशासी अभियंता विद्युत 1 1
सहायक अभियंता विद्युत 1 1
अवर अभियंता 8 3
मुख्य कर निर्धारण अधिकारी 4 2
कर अधीक्षक 12 5
राजस्व निरीक्षक 28 1
कर संग्राहक 220 18
लिपिक 150 55
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सफाई कर्मियों का ये है गणित
हेल्थ मैनुअल के मुताबिक, प्रति दस हजार की आबादी पर 28 सफाई कर्मी होने चाहिए। निगम अधिकारी मानते हैं वर्तमान में 5500 स्थायी कर्मचारियों की जरूरत है। मगर, हैं सिर्फ 1560 ही। 599 संविदा और 1600 ठेका कर्मचारी लगा रखे हैं, लेकिन नाकाफी हैं।
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सिर्फ लखनऊ का डर
समस्याओं के निस्तारण में अधिकारी सिर्फ उन्हीं मामलों में ज्यादा गंभीर हैं, जो लखनऊ तक पहुंच जाती हैं। नगर निगम द्वारा 2012 में ऑनलाइन शिकायत की व्यवस्था शुरू की गई थी। साथ में टोल फ्री नंबर भी। यह शिकायतें अब सीधे शासन के ऑनलाइन सिस्टम से जुड़ गई हैं। लखनऊ से संबंधित अधिकारी के मोबाइल पर शिकायत का ब्योरा आ जाता है। निस्तारण का क्रॉस चेक शिकायतकर्ता से शासन द्वारा ही किया जाता है। इसके बावजूद अभी भी 184 शिकायतें लंबित हैं। इनमें सबसे अधिक शिकायतें सफाई और स्ट्रीट लाइट से संबंधित होती हैं। तीसरे नंबर पर सीवर की समस्या है।
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शिकवा है इन्हें
'मानव संसाधन की कमी व्यावहारिक परेशानी है। मगर, अधिकारी खुद भी गंभीर नहीं। क्षेत्र में जाकर स्थिति देखें तो उन्हें समस्या का पता चलेगा। हम सीधे जनता से जुड़े हैं। प्रयास करते हैं कि उनकी समस्या का त्वरित समाधान हो। कार्ययोजना का ब्लू प्रिंट तैयार कर काम करना होगा।'
शिरोमणि सिंह, पार्षद
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'सफाई शहर में सुबह होती है। अधिकारी दस बजे दफ्तर आते हैं। तब तक वक्त निकल चुका होता है। जिम्मेदारी समझकर वह खुद सुबह औचक निरीक्षण करें तो कर्मचारियों में भय होगा। किसी भी लापरवाही या समस्या पर अधीनस्थ की जिम्मेदारी तय करें।'
हेमंत प्रजापति, पार्षद
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'हम भी चाहते हैं कि आगरा स्मार्ट सिटी के लिए चुना जाए। ये शहर इस लायक है। कमियों को हम स्वीकार करते हैं। अधिकारी-कर्मचारियों की कमी को नजरअंदाज नहीं कर सकते। उम्मीद है कि जल्द ही रिक्त पदों पर नियुक्तियां हो जाएंगी। वैसे इन स्थितियों में भी हम बेहतर से बेहतर करने को प्रयासरत हैं।'
अनिल कुमार
उप नगरायुक्त
नगर निगम शिकायत
टोल फ्री नंबर
18001803015
शिकायत में आप भी बनें स्मार्ट
अर्बन लोकल बॉडी गूगल पर सर्च करें। इस पर होम पेज खुलेगा। इसमें हैव एक कंप्लेन ऑप्शन खुल जाएगा, जिसमें अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसकी मॉनीट¨रग लखनऊ से होती है।
अभी सोसल मीडिया पर नहीं
स्मार्ट नगर निगम को अब सोसल मीडिया पर भी उपस्थिति दर्ज करानी चाहिए। देश में बहुत से नगर निकायों के फेसबुक पर पेज हैं लेकिन आगरा नगर निगम अभी इस मामले में पीछे है।
बाक्स
स्मार्ट सिटी डायरी का पेज---डायरी के पन्ने पर ले सकते हैं
एमजी रोड कट
आगरा जिला प्रशासन ने स्मार्ट सिटी की दावेदारी को मजबूत करने के लिए पहला कदम एमजी रोड पर उठाया है। रोड के कम करने का फैसला ले लिया गया है। इससे ट्रैफिक की गति तेज होगी।