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भगवान से दगा पर चला अदालत का डंडा

जागरण संवाददाता, आगरा: काजीपाड़ा स्थित मुरली मनोहर मंदिर की संपत्ति मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्र

By Edited By: Published: Mon, 20 Apr 2015 09:49 PM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2015 09:49 PM (IST)
भगवान से दगा पर चला अदालत का डंडा

जागरण संवाददाता, आगरा: काजीपाड़ा स्थित मुरली मनोहर मंदिर की संपत्ति मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने भगवान से दगा करने वालों पर डंडा चलाया है। पुलिस की अंतिम आख्या रिपोर्ट निरस्त कर कोर्ट ने मामले में पुन: जांच के आदेश दिए हैं। विवेचकों के खिलाफ भी जांच कराने के लिए एसएसपी को लिखते हुए फर्जीवाड़ा करने वाली महिला के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया है।

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नाई की मंडी स्थित काजीपाड़ा के मुरली मनोहर मंदिर का क्षेत्रीय निवासी कलावती देवी ने 1949 में निर्माण कराया था। उन्होंने 30 मई 1949 को यह संपत्ति रजिस्टर्ड अनुबंध के माध्यम से भगवान ठा. मुरली मनोहर महाराज के नाम भेंट कर दी। आरोप है कि कलावती की पड़ोसन सुशीला देवी ने 2009 में किसी अन्य व्यक्ति के दाह संस्कार के लिए जारी रसीद में कटिंग करके उस पर मुरली मनोहर पुत्र स्व. राम बाबू अंकित करा लिया। इसके सहारे मुरली मनोहर का मृत्यु प्रमाण पत्र भी नगर निगम से जारी हो गया। इसके बाद सादे कागज पर मुरली मनोहर (काल्पनिक व्यक्ति) की वसीयत व नगर स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर भगवान के मंदिर की इस जगह को मुरली मनोहर पुत्र स्व. राम बाबू की संपत्ति दर्शाया दिया। फिर बड़ी सफाई से सुशीला देवी ने नगर निगम के संपत्ति रजिस्टर में ठा. मुरली मनोहर महाराज का नाम कटवाकर अपना नाम दर्ज करा लिया। बाद में अष्टधातु की ठा. मुरली मनोहर महाराज की मूर्ति भी गायब हो गई।

मामले में स्थानीय निवासी गिर्राज सिंह धाकड़ ने थाना नाई की मंडी में एक ही परिवार के आठ लोगों व अन्य 10-15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। पुलिस जांच के बाद अंतिम आख्या रिपोर्ट लगा चुकी है। बाद में वादी के प्रयासों से सुशीला देवी के खिलाफ चार्जशीट अदालत में पेश हुई। सीजेएम कोर्ट में चल रहे इस मामले में अब अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए पुलिस की जांच पर सवाल खड़े किए हैं। अदालत ने माना है कि जांच दोषपूर्ण है और विवेचकों ने घोर लापरवाही की है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस ने इस मामले में शामिल अन्य लोगों को तलाशने की कोशिश ही नहीं की। मुख्य आरोपी सुशीला देवी को थाने से ही जमानत पर छोड़े जाने पर भी कोर्ट ने सवाल उठाया है।

अदालत ने पुलिसिया जांच निरस्त करते हुए एसएसपी आगरा को पुन: जांच और विवेचकों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, मुख्य आरोपी सुशीला देवी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश भी दिया है।

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ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा

मुरली मनोहर नामक जिस व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र नगर निगम द्वारा जारी किया गया है, उसके लिए क्षेत्र बजाजा खालसा गली, शमशान घाट लकड़ी व्यवस्थापक की रसीद को आधार बनाया गया है। मृत्यु प्रमाण पत्र पर मुरली मनोहर की मृत्यु तिथि 14 नवंबर 1978 दर्ज है। जबकि रसीद 14 नवंबर 1985 को जारी की गई। सुशीला देवी ने मदन मोहन का मृत्यु प्रमाण पत्र 2009 में बनवाकर छह जून को ठाकुर मुरली मनोहर महाराज की संपत्ति 13/66 काजीपाड़ा हल्का मदन, नाई की मंडी को अपने नाम करवा लिया। हालांकि मामले के विवादित होते ही नगर निगम ने मृत्यु प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था, मगर अब तक निगम ने आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।


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