'अबे सुन बे गुलाब'
आगरा: निराला जी कविताओं से गूंज रहा था नजीर सभागार। 'सरोज स्मृति' सुनाते हुए छात्राएं भाव विह्वल हो
आगरा: निराला जी कविताओं से गूंज रहा था नजीर सभागार। 'सरोज स्मृति' सुनाते हुए छात्राएं भाव विह्वल हो गईं। 'वो तोड़ती पत्थर' में मजदूर स्त्री की भावनाओं को भली भांति बयां किया छात्रों ने। केंद्रीय हिंदी संस्थान में शनिवार को मां सरस्वती के पूजन के साथ निराला जयंती मनाई गई। छायावादी कवि निराला के भीतर चल रहे द्वंद्व के फलस्वरूप लिखी गई कविताओं के बारे में प्रो. विद्याशंकर शुक्ल ने बताया।
उन्होंने कहा कि निराला जी की कविता- अबे सुन बे गुलाब, तूने पाई खुश्बू रंग-ओ-आब सर्वहारा वर्ग और पूंजीपतियों के द्वंद्व को दर्शाती है। छात्र-छात्राओं ने जागो फिर एक बार संध्या सुंदरी, वो तोड़ती पत्थर, सरोज स्मृति, राम की शक्ति पूजा आदि कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. परम लाल अहिरवाल ने की। भरत सिंह परमार, डा.अशोक मिश्र, मीनाक्षी दुबे आदि इस दौरान मौजूद थे।