बांसुरी की तान पर 'ताज' बना 'ब्रजधाम'
जागरण संवाददाता, आगरा: एक ओर मुगलिया ताज था तो दूसरी ओर ब्रजधाम। बांसुरी के सुर गूंजे तो तन को ताजनगरी में छोड़ मन वृंदावन धाम पहुंच गया। कोयल की कूक के साथ मोर की पीहू निधिवन का अहसास करा रही थीं। तो पं. हरिप्रसाद चौरसिया के अधरों से सुर का सागर प्रवाहित होते ही यूं लगा ज्यों कान्हा खुद बांसुरी बजा रहे है। सम्मोहित श्रोता इस दौरान गोपी-गोपिका के रूप में आत्मा से परमात्मा के मिलन का अहसास करते रहे।
कान्हा की बांसुरी को पूरे विश्व में पहुंचाने वाले पद्म विभूषण पं.हरिप्रसाद चौरसिया ने रविवार को ताजनगरी में बांसुरी की सुर-धारा बहाई। अस्तांचल का सूरज और बगीचों के बीच बने मंच से जैसे ही सुरों के सुरताज श्री चौरसिया ने बांसुरी को स्पर्श किया, संगीत के रागिनियां झंकृत हो उठी। पहले राग मधुवंती में उन्होंने अपनी रचना प्रस्तुत की, जो सायंकालीन राग है। इसकी मिठास से सभी आल्हादित हो गए। उसके बाद राग भोपाली में सुर बिखेरे। जैसे-जैसे सूरज ने पश्चिम की राह पकड़ी आध्यात्म प्रकाशित होता गया। जिन्हें सुरों की समझ थी वो उसमें डूब गए। जिन्हें रागों का ज्ञान नहीं था, वो वह सुरों को अंगीकार करते गए। राग पहाड़ी के बाद जब उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का प्रिय गीत-वैष्णव जन तो तैने कहिए, पीर परायी जानी रे की धुन से उन्होंने समरसता का संदेश दिया। तबले पर साथ थे कोलकाता के शुभांकर बनर्जी। बांसुरी पर विवेक सोनार, तानपुरा पर आगरा की ही शीतल चौहान ने संगत दी। संचालन गजल गायक सुधीर नारायन और श्री चौरसिया का परिचय कीर्तिका नारायन ने दिया।
प्रेम का हुआ अहसास
श्री चौरसिया ने अपनी प्रस्तुति से पूर्व कहा कि वे देश-विदेश में सभी जगह जाते हैं, लेकिन जब भी आगरा आते हैं, उन्हें प्यार का अहसास होता है। क्योंकि ताजमहल का शहर और राधा-कृष्ण के प्रेम का ब्रज मंडल है। यहां के कण-कण में प्रेम बसा है।
मतदान से बनाएं देश महान
देशवासियों से मतदान की अपील करते हुए श्री चौरसिया ने कहा कि हमारा देश पहले भी महान था, आज भी महान है, और आगे भी महान ही रहेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब सरकार ने मतदान से पूर्व किसी कलाकार को बुलाकर मतदान की अपील करायी हो। उन्होंने अपील की इस बार अच्छी वोटिंग करें, ताकि सशक्त सरकार बने। उन्होंने चुटकी ली, यदि सरकार सशक्त नहीं बनेगी तो हमारे भाई और बहन ऐसे हैं, जो उसे सशक्त बना देंगे।
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इतने फोटो तो शादी में नहीं खिंचे
कार्यक्रम शुरू करने से पहले ही प्रेस और प्राइवेट फोटोग्राफर्स ने उन्हें इस प्रकार घेर लिया कि दर्शकों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। जब दर्शकों से आमना-सामना हुआ तो श्री चौरसिया बोले-कमाल है, इतने फोटो तो मेरी शादी में भी नहीं खिंचे।
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मतदान के गीत की सीडी का विमोचन
इस मौके पर मतदान की प्रेरणा देने वाली सीडी का भी लोकार्पण किया गया। सुशील सरित की इस रचना को सुधीर नारायन ने संगीतबद्ध किया है।
ये रहे अतिथि
पद्मश्री डीके हाजरा, आयुक्त प्रदीप भटनागर, आयकर आयुक्त डीपी सेमवाल, आइजी पुलिस आशुतोष पांडे, जिलाधिकारी मनीषा त्रिघाटिया, डॉ.आरएस पारीक और अशोक जैन सीए।