10 काम जो दार्जिलिंग में जरूर करें
इन गर्मियों में अगर आप थक हार कर पहाड़ो की ठंडी हवा खाने का मूड बना रहे हैं तो आप के लिये दार्जिलिंग से बेहतर दूसरी जगह नहीं है। दार्जिलिंग के चाय उद्यानों की महक दार्जिलिंग की हवाओं में घुली है जो आप को एक अनोख एहसास देगी।
टाइगर हिल
दार्जिलिंग से 11 किलोमीटर दूर टाइगर हिल अपनी खूबसूरती के लिये प्रसिद्ध है। यहां सूर्योदय देखने के लिये बहुत दूर दूर से सैलानी आते हैं। आपको यहां हर सुबह लोग टाइगर हिल पर चढ़ाई करते हुये मिल जायेंगे।
शाक्या मठ
शाक्या मठ दार्जिलिंग से 8 किलोमीटर दूर है। यह मठ शाक्या संप्रदाय का एक ऐतिहासिक मठ है। इस मठ की स्थापना 1915 में की गई थी। इसमें एक प्रार्थना कक्ष भी है। इस कक्ष में एक साथ 60 बौद्ध भिक्षु बैठ कर प्रर्थना कर सकते हैं।
जापानी मंदिर
अगर आप दार्जिलिंग जाने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो पीस पैगोड़ा जाना मत भूलियेगा। इस मंदिर की स्थापना गांधी जी के मित्र फूजी गुरु जी ने की थी। निप्पोजन मायोजी बौद्ध जो कि कुल छह शांति स्तूफों में से एक है। इस मंदिर को 1972 में बनाना शुरु किया गया था।
घूम मठ
टाइगर हिल के निकट ईगा चोइलिंग तिब्बतियन मठ है। यह मठ जेलूग्पा संप्रदाय का है। इस मठ को ही घूम मठ के नाम से भी जाना जाता है। इस मठ की स्थापना धार्मिक कार्यो के लिये नहीं राजनैतिक कार्यो के लिये की गई थी। इस मठ में बुद्ध की 15 फुट ऊंची मूर्ति लगी हुई है।
भूटिया बस्ती मठ
यह दार्जिलिंग के सबसे पुराने मठों में से एक है। यह मूल रुप से ऑब्जेरबेटरी हिल पर 1765 में लामा दोरजे रिंगजे द्वारा बनवाया गया था। इस मठ को नेपालियों ने 1815 में लूट लिया था। इसके बाद फिर से मठ की स्थापना की गई। यह मठ तिब्बतियन और नेपाली शैली पर बना हुआ है।
ट्वॉय ट्रेन
अगर आप दार्जिलिंग जा रहे हैं तो आप ट्वॉय ट्रेन पर बैठना ना भूलें। इस अनोखी ट्रेन का निर्माण 19वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। दार्जिलिंग हिमालयन रेल मार्ग का निर्माण इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है। पहाड़ काट कर बनाने के लिये इसमें इजीनियरों को काफी मेहनत करनी पड़ी।
चाय के बाग
दार्जिलिंग अपने चाय के बगानों के लिये बहुत मशहूर है। विश्व स्तर पर दार्जिलिंग की चाय का नाम आता है। डॉ कैम्पबेल जो दार्जिलिंग में ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले निरीक्षक थे उन्होंने 40 के दशक में अपने बाग में चाय का बीच रोपा था। बरेन बंधुओं ने इस दिशा में काफी काम किया।
तेंजिंगस लेगेसी
हिमालय माउंटेनिंग संस्थान की स्थापना 1954 ई. में की गई थी। 1953 ई. में पहली बार हिमालय को फतह किया गया था। तेंजिंग कई वर्षों तक इस संस्थान के निदेशक रहे। यहां एक माउंटेनिंग संग्रहालय भी है।
जैविक उद्यान
पदमाजा नायडू हिमालयन जैविक उद्यान माउंटेंनिग संस्थान के दायीं ओर स्थित है। यह उद्यान बर्फीले तेंडुआ तथा लाल पांडे के प्रजनन के लिए प्रसिद्ध है। आप यहां साइबेरियन बाघ तथा तिब्बतियन भेडिया को भी देख सकते हैं।
तिब्बतियन रिफ्यूजी कैंप
तिब्बतियन रिफ्यूजी स्वयं सहयता केंद्र चौरास्ता से 45 मिनट की पैदल दूरी पर स्थित है। इस कैंप की स्थापना 1959 ई. में की गई थी। इससे एक वर्ष पहले 1958 ईं में दलाई लामा ने भारत से शरण मांगा था। इसी कैंप में 13वें दलाई लामा ने 1910 से 1912 तक अपना निर्वासन का समय व्यतीत किया था।