Move to Jagran APP

अनूठे-खूबसूरत ठिकाने

कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जो अपनी एक अलग पहचान और खासियतों की वजह से पर्यटकों को खूब आकर्षित करती हैं। चलिए इस बार आपको ले चलते हैं कुछ ऐसी ही ऑफबीट डेस्टिनेशन की सैर पर.

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2016 09:05 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2016 09:27 AM (IST)
अनूठे-खूबसूरत ठिकाने
अनूठे-खूबसूरत ठिकाने

देश में सैर-सपाटे के लिए एक से बढ़कर एक खूबसूरत ठिकाने हैं, लेकिन इन्हीं में कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जो अपनी एक अलग पहचान और खासियतों की वजह से पर्यटकों को खूब आकर्षित करती हैं।

loksabha election banner

अथिरापल्ली फॉल्स

भारत का नियाग्रा


अथिरापल्ली फॉल्स केरल आने वाले टूरिस्ट के बीच काफी लोकप्रिय है। इसे भारत का नियाग्रा भी कहा जा सकता है। यह कोच्चि हवाई अड्डे से करीब 55 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है। सर्पीली सड़क और रबर, ताड़ व नारियल के पेड़ों के बीच से होते हुए फॉल्स तक पहुंचना काफी रोमांचकारी होगा। यहां करीब 80 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है। वैसे, फॉल्स तक पहुंचने के लिए आपको करीब 2 किलोमीटर ट्रैक करना होगा। जैसे-जैसे पहाड़ की ऊंचाई पर चढ़ते जाएंगे, जंगल में पक्षियों की अजीब आवाजें भी सुनाई देंगी। हालांकि मानसून के दौरान ट्रैक थोड़ा फिसलन भरा होता है। कुछ मिनट और पैदल चलने के बाद फॉल्स से पानी के गिरने का शोर सुनाई देगी। फॉल्स इतना बड़ा है कि एक मिनट के लिए खुद पर विश्वास ही नहीं होगा। यह फॉल्स फिल्म निर्देशकों का भी पसंदीदा रहा है। यहां रावण, दिल से, गुरु और इरुवर फिल्म की शूटिंग हुई है। प्रकृति प्रेमियों के लिए भी यह काफी खूबसूरत स्थान है। यहां आसपास अच्छे रिजॉट्र्स भी हैं। यहां घूमने का सबसे आदर्श समय मानसून है। एडवेंचर के शौकीन ट्रैकिंग भी कर सकते हैं।

मावल्यान्नॉग गांव

एशिया का सबसे साफ गांव


हम में से अधिकतर लोग घर के आसपास या फिर कॉलोनी में कहीं भी कूड़ा-कचरा फैला हो तो उसे उठाकर डस्टबिन में डालने की जहमत कम ही उठाते हैं। मेघालय की राजधानी शिलांग से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मावल्यान्नॉग एक ऐसा गांव है, जिसकी गिनती एशिया के सबसे स्वच्छ गांवों में होती है। इस गांव को गॉड्स ऑन कंट्री भी कहा जाता है। यहां के लोग घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को भी बांस से बने डस्टबिन में जमा करते हैं। फिर उसे इकट्ठा कर खेती के लिए खाद की तरह इस्तेमाल करते हैं। इस गांव की खासियत है कि यहां के लोग साफ-सफाई का काम खुद ही करते हैं। अगर इस मौसम में घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो यह आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन हो सकता है। आप उस गांव को करीब से देख सकते हैं, जो एशिया का सबसे साफ गांव है। खासकर मानसून के दौरान तो यहां के आसपास की खूबसूरती और ज्यादा निखर उठती है। आसपास पर्यटकों के लिए कई दर्शनीय स्थल हैं। यहां वाटरफॉल, लिविंग रूट ब्रिज आदि देखे जा सकते हैं। यहां से चेरापूंजी करीब 92 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शिलांग से सड़क मार्ग द्वारा गांव तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

फूलों की घाटी

विश्व धरोहर


उत्तराखंड में आई भीषण तबाही के तीन साल बाद एक बार फिर फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। यह घाटी अब पर्यटकों के लिए अक्टूबर तक खुली रहेगी। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी को 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर (नंदा देवी नेशनल पार्क और वैली ऑफ फ्लावर को सम्मिलित रूप से) घोषित किया। करीब 87.5 वर्ग किमी. में फैली घाटी न सिर्फ भारत, बल्कि दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। घाटी में तीन सौ से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। यहां पर उगने वाले फूलों में ब्लू पॉपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल, पोटोटिला,प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम आदि प्रमुख हैं। यहां पर आप विभिन्न तरह की तितलियों को भी देख सकते हैं। इस घाटी में कस्तूरी मृग, मोनाल, काला भालू, गुलदार, हिम तेंदुआ भी दिखता है। यह समुद्र तल से करीब 3962 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। नवंबर से मई तक घाटी में पूरी तरह बर्फ की चादर बिछी होती है। फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए पहले सड़क मार्ग से गोविंदघाट तक पहुंचा जा सकता है। यहां से करीब 14 किमी. की दूरी पर घांघरिया है। यहां लक्ष्मण गंगा पुलिया से बायीं तरफ तीन किमी. की दूरी पर फूलों की घाटी है।

अमित निधि

पर्यटन से जुड़ी और खबरों के लिए यहां क्लिक करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.