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नॉर्थ सेंटिनल आईलैंड: यहां जाने वाले जिंदा लौटकर नहीं आते

इस आईलैंड के बारे में जान हर किसी का दिल यहां जाने को करेगा, यह खूबसूरत भी है और एकदम शांत भी, मगर जिन लोगों ने यहां जाने की कोशिश की उनकी हत्‍या कर दी गई।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Wed, 05 Apr 2017 01:05 PM (IST)Updated: Wed, 05 Apr 2017 05:20 PM (IST)
नॉर्थ सेंटिनल आईलैंड: यहां जाने वाले जिंदा लौटकर नहीं आते
नॉर्थ सेंटिनल आईलैंड: यहां जाने वाले जिंदा लौटकर नहीं आते

दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं जो देखने में तो खूबसूरत हैं, मगर हकीकत जान आप भी वहां जाने का नाम नहीं लेंगे, क्‍योंकि अपनी जान तो सबको प्‍यारी होती है...जी हां, दरअसल आज हम आपको एक ऐसे आईलैंड के बारे में बताते हैं जहां जाने का मतलब है 'मौत' और यह बंगाल की खाड़ी में स्थित भारत के अधिकार क्षेत्र में आने वाला नॉर्थ सेंटिनल आईलैंड है।

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इस आईलैंड के बारे में जान हर किसी का दिल यहां जाने को करेगा, यह खूबसूरत भी है और एकदम शांत भी। नई व दिलचस्‍प जगाह की तलाश में घूमने वाले लोगों को जरूर यह जगह आकर्षित करेगी, मगर यहां के रहने वाले लोग बाहरी लोगों को कदम रखने ही नहीं देते। अमूमन पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हर जगह लोग तमाम तरीके आजमाते हैं, खुले दिल से बाहरी लोगों का स्‍वागत करते हैं, इस तरह की जगहों पर पर्यटन ही मुख्‍य आजीविका का साधन होता है और पर्यटक स्‍थानीय लोगों के लिए भगवान समान होते हैं।

हालांकि नॉर्थ सेंटिनल आईलैंड पर रहने वाले लोगों का आधुनिक मानव सभ्‍यता से कोई लेना-देना नहीं है, सेंटिनल जनजाति के लोगों ने अपनी एक अलग ही दुनिया बसा ली है, जिसमें वो किसी दूसरे की दखलअंदाजी बर्दाश्‍त ही नहीं करते और इसीलिए कहा जाता है जिन लोगों ने यहां जाने की कोशिश की उनकी हत्‍या कर दी गई।

रिपोर्टों के मुताबिक, कुछ लोगों ने इस जनजाति को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश की और उन तक पहुंचने का प्रयास किया, मगर स्‍थानीय लोगों ने उन्हें मार डाला। वहीं साल 1981 में एक भटकी हुई नाव इस आइलैंड के करीब पहुंची गई थी, उसके मेंबर्स ने बताया कि कुछ लोग किनारों पर तीर-कमान और भाले लेकर खड़े थे। हमारी किस्मत अच्छी थी कि हम वहां से निकलने में सफल रहे।

जबकि 2004 में आए भूकंप और सुनामी के बाद भारत सरकार ने इस आईलैंड की खबर लेने के लिए सेना का एक हेलिकॉप्टर भेजा था, मगर यहां के लोगों ने उस पर भी हमला कर दिया। हर बार स्थानीय लोगों ने आक्रामकता दिखाई। फिर 1991 के बाद से भारत की तरफ से ऐसे प्रयास नहीं किए गए। अब सरकार ने इस इलाके को exclusion zone घोषित करके यहा किसी बाहरी शख्स के प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

यहां की हवाई तस्वीरों से यह साफ होता है कि यहां के लोग खेती नहीं करते, क्योंकि इस पूरे इलाके में अब भी घने जंगल हैं। इससे यह निष्कर्ष निकाला गया है कि सेंटिनल जनजाति शिकार पर निर्भर है। हालांकि इनके बारे में बहुत कुछ पता नहीं चल पाया है, क्‍योंकि ये इतने खतरनाक हैं कि किसी को अपने पास आने नहीं देते।

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