पीर गायब के नाम से मशहूर है ये स्मारक
इस स्मारक का इस्तेमाल मस्जिद के तौर पर किया जाता था। इसके उत्तरी कमरे में एक स्मारक है जिसमें कब्र है। यह कब्र किसकी है, इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं।
उत्तरी रिज के पास बाड़ा हिन्दू राव अस्पताल के अहाते में अनगढ़े पत्थरों से निर्मित जर्जर स्मारक है। चौबुर्जी मस्जिद की कुछ दूरी पर स्थित यह स्मारक पीर गायब के नाम से मशहूर है। इस स्मारक में दो संकरे कमरे हैं। इसकी दूसरी मंजिल पर भी दो कमरे हैं, जिनके पलस्तर पर धार्मिक महत्व की पंक्तियां लिखी देखी जा सकती हैं। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इस स्मारक का इस्तेमाल मस्जिद के तौर पर किया जाता था। इसके उत्तरी कमरे में एक स्मारक है जिसमें कब्र है।
यह कब्र किसकी है, इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं। लेकिन इस कमरे को एक पीर प्रार्थना स्थल की तरह इस्तेमाल किया करते थे। लेकिन बाद में वो फकीर रहस्यमय तरीके से गायब हो गए। इसलिए इस स्मारक को लोग पीर गायब भी कहते हैं।
वास्तुविद राजीव वाजपेयी बताते हैं कि फिरोजशाह तुगलक द्वारा निर्मित इस स्मारक में तुगलक काल के वास्तु और डिजाइन की झलक मिलती है। हालांकि अब यह स्मारक बेहद जर्जर हालत में है लेकिन शेष बचे हुए स्मारक को देखकर कहा जा सकता है कि यह भव्य इमारत रही होगी।
इस स्मारक के दक्षिणी कमरे के फर्श और छत को भेदता हुआ एक सुराख है जो एक खोखली चिनाई में गोलाकार है। इससे संभावना जताई जा सकती है कि इस कमरे का इस्तेमाल खगोलीय घटनाएं जानने के लिए किया जाता होगा। तुगलक काल में बने शिकारगाह की तरह इसकी बनावट भी शिकारगाह की है। इसलिए इसका इस्तेमाल एक शिकारगाह की तरह भी किया जाता रहा होगा। ऐसा इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यह भी कुश्के जहांनुमा (शिकार गाह) का हिस्सा है।
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