प्रिटोरिया के भवनों की तरह तैयार किया गया संसद भवन का डिजाइन
1919 में यह काम शुरू हुआ था और 1931 में नई दिल्ली इंपीरियल शहर का उद्घाटन किया गया।
अंग्रेजों ने जब अपनी राजधानी कलकत्ता से दिल्ली बसाने की योजना बनाई, तो इसके लिए यहां बसे चार गांव रायसीना, मालचा, खैरपुर और जयसिंहपुरा को यहां से हटाया गया। वर्ष 1915 में उस वक्त के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मुख्य वास्तुविद डब्ल्यू एस निकॉल्स को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन वे 1917 में भारत से चले गए थे। उनकी जगह आर्किटेक्ट एडविन लैंडसियर लुटियन को नई दिल्ली को बनाने की जिम्मेदारी दी गई। इस काम में आर्किटेक्ट हरबर्ट बेकर को भी लगाया गया लेकिन राष्ट्रपति भवन और नॉर्थ ब्लॉक को बनाने की दिशा में दोनों में मतभेद हो गया।
इसलिए हरबर्ट बेकर ने नॉर्थ साउथ ब्लाक के साथ संसद भवन का डिजाइन तैयार किया, जो प्रीटोरिया में बनाए गए भवनों की तरह दिखाई देते हैं। चूंकि पूरी दिल्ली में बनाए जाने वाले बंगले और बाजार तैयार करने के लिए उन्हें बेहद कम समय मिला था इसलिए कई दूसरे आर्किटेक्ट भी लगाए गए जिसमें से रॉबर्ट टोर रसेल, उद्यान विभाग के डब्ल्यू आर मस्टो, आर्किटेक्ट आर्थोस्मिथ, सर शोभा सिंह शामिल थे। 1919 में यह काम शुरू हुआ था और 1931 में नई दिल्ली इंपीरियल शहर का उद्घाटन किया गया।
इसके लिए क्वीन मेरी और किंग जॉर्ज पांचवां के नाम के यादगार पत्थर को लगवाने के लिए सर शोभा सिंह को काफी मेहनत करनी पड़ी थी। इस काम के लिए उन्हें 16 रुपये मेहनताना मिला था। वहीं, प्रधानमंत्री निवास को रॉबर्ट टोर रसेल के डिजाइन पर ही बनवाया गया इसलिए कुछ भवन इन भवनों जैसे ही निर्मित दिखाई देते हैं। इन सभी भवनों के निर्माण में सर शोभा सिंह ठेकेदार ने अहम भूमिका निभाई थी।
-प्रोफेसर रॉबिनसन रॉबर्ट, इतिहासकार
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