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यहां टिकट के रूप में हाथ पर लगता था स्‍टांप, अटल वाजपेयी का भी था पसंदीदा थियेटर

10 दिन बाद बंद कनॉट प्लेस स्थित ऐतिहासिक सिंगल स्क्रीन रीगल थियेटर बंद हो जाएगा और इसके साथ ही यह सिनेमा हाल इतिहास बन जाएगा।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 12:11 PM (IST)
यहां टिकट के रूप में हाथ पर लगता था स्‍टांप, अटल वाजपेयी का भी था पसंदीदा थियेटर
यहां टिकट के रूप में हाथ पर लगता था स्‍टांप, अटल वाजपेयी का भी था पसंदीदा थियेटर

वर्ष 1932 में बने रीगल सिनेमा के सफेद भवन को देखहर राहगुजर ठहर जाते हैं। टिकट खिड़की से लेकर हॉल के अंदर की सीटों तक सब कुछ वैसा ही है जैसा पहले हुए करता था। हाल में लकड़ी के फर्नीचर, बालकनी बॉक्स और दीवारों पर लगे बड़े- बड़े पंखे और 70 एमएम का पर्दा। इस हाल में आज भी फिल्म 100 रुपये से लेकर 200 रुपये में देखी जा सकती है। कुर्सियों के पीछे छोटे वीआइपी बॉक्स भी हैं, जिसमें आठ कुर्सियां रहती हैं। साठ के दशक तक चार आने से लेकर पौने तीन रुपये तक में रीगल सिनेमा हाल का टिकट बिका करता था। उस समय टिकट के रूप में हाथ पर स्टांप लगा दिया जाता था।

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कपूर खानदान के लिए भी रहा खास : बालीवुड में शोमैन के नाम से मशहूर रहे राजकपूर और नरगिस की फिल्मों का प्रीमियर इसी सिनेमाहाल में हुआ करता था। राजकपूर और नरगिस इसमें बैठकर अपनी फिल्में देखा करते थे। तब कर्मचारियों को मिठाई खिलाकर प्रीमियर की बधाई मिलती थी। बोनस मिलता था सो अलग। विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए पृथ्वीराज कपूर के नाटकों का मंचन यहीं हुआ करता था। उनके तीन नाटक पठान, दीवार व आहूति का मंचन यहीं हुआ। एक खास प्रसंग याद करते हुए प्रख्यात अभिनेत्री सुषमा सेठ बताती हैं कि एक बार मंचन के बाद पृथ्वीराज कपूर दर्शकों के सामने झोली लेकर घूमने लगे ताकि बंटवारे में पाकिस्तान से दिल्ली पहुंचे लोगों की मदद की जा सके।

ब्रिटिश काल में बने रीगल सिनेमा का वास्तुकला अद्भुत है। वास्तुकार वाल्टर एस जार्ज ने इसे बनाया था। सिनेमाहाल कुछ इस तरह से बनाया गया है, जिसमें पंखे की हवा से भी काम चल जाता है। सिनेमा हाल को लेकर मैनेजर रूप घई भी चिंतित हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी का भी था पसंदीदा थियेटर
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी यहां फिल्में देखने आया करते थे, तो वहीं इंदिरा गांधी भी समय मिलते ही यहां फिल्म देखने पहुंच जाती थीं। रीगल सिनेमा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी पसंदीदा थियेटर हुआ करता था। अन्ना आंदोलन के दिनों में अरविंद केजरीवाल भी फिल्में देखने आते थे।

लगानी पड़ती थी पुलिस फोर्स: बात चाहे राजकपूर और नरगिस की हो या सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और एवरग्रीन हीरो अनिल कपूर की। वह जब यहां आते थे तो दर्शक उनकी झलक पाने के लिए टूट पड़ते थे। यहीं हाल सिनेमा का भी था। राजकपूर की फिल्मों की बात हो या अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार की। ऐसे में भारी सुरक्षा बल का इंतजाम करना पड़ता था।

भविष्य को लेकर चिंतित कर्मचारी: रीगल सिनेमा हाल में काम करने वाले कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर खासे चिंतित हैं। सिनेमाहाल के प्रबंधक रूप घई के मुताबिक मल्टीप्लेक्स आने के बाद से रीगल सिनेमा का कारोबार काफी कम हो गया। सलमान, शाहरुख और आमिर खान की फिल्मों के अलावा और किसी स्टार की फिल्में यहां चलती नहीं हैं। बड़ी फिल्में भी मुश्किल से 4 से 5 लाख की कमाई कर पाती हैं और दूसरी फिल्मों का हाल तो और भी बुरा है। एक वक्त था जब यहां फिल्में देखने के लिए लोग लाइन लगाते थे, लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि लोग इधर का रुख ही नहीं करते हैं। वे मल्टीप्लेक्स को वरीयता देते हैं। उन्होंने बताया कि रीगल में कई ऐसे कर्मचारी हैं जो 30-40 साल से यहां काम कर रहे हैं। एकाउंटेंट एएस वर्मा ने अपने जिदंगी के 40 साल यहीं गुजार दिए। घई बताते हैं कि वह भी 30 साल से सिनेमाहाल का प्रबंधन संभाल रहे हैं। कोई सात साल पहले नेहरू प्लेस का तारा सिनेमाहाल बंद होने के बाद रीगल का कामकाज संभाला था।


मल्‍टीप्‍लेक्‍स के रूप में आ सकता है सामने
रीगल सिनेमा हाल कुछ सालों में मल्टीप्लेक्स के रूप में दर्शकों के सामने आ सकता है। प्रबंधक रूप घई ने बताया कि मल्टीप्लेक्स बनाने को लेकर एनडीएमसी समेत अन्य विभागों को आवेदन किया गया है। हालांकि, अभी मंजूरी नहीं मिली है। मंजूरी मिलने के बाद 84 साल पुराने इसे ऐतिहासिक सिनेमाहाल को तोड़कर मल्टीप्लेक्स में तब्दील किया जाएगा। वैसे, रीगल का प्रथम व द्वितीय तल मैडम तुसाद म्यूजियम को बेच दिया गया है। उम्मीद है कि इसी वर्ष जून माह में तुसाद म्यूजियम आम लोगों के लिए खुल जाएगा।

-जेएनएन

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