लाल किला है पर्यटकों का पसंदीदा हेरिटेज स्पॉट
लाल किला (रेड फोर्ट) दिल्ली का सबसे चर्चित पर्यटन स्थल है जो हर साल लाखों विदेशी सैलानियों को आकर्षित करता है। इस किले से हर साल 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री देशवासियों को संबोधित करते हैं। आजादी के दिन से यह परंपरा आज तक जारी है। आजादी के बाद से लाल किला भारतीय सेना के आधिपत्य में था, लेकिन इसके रखरखाव के लिए दिस
लाल किला (रेड फोर्ट) दिल्ली का सबसे चर्चित पर्यटन स्थल है जो हर साल लाखों विदेशी सैलानियों को आकर्षित करता है। इस किले से हर साल 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री देशवासियों को संबोधित करते हैं। आजादी के दिन से यह परंपरा आज तक जारी है। आजादी के बाद से लाल किला भारतीय सेना के आधिपत्य में था, लेकिन इसके रखरखाव के लिए दिसंबर 2003 में सेना से इसे भारतीय पर्यटन प्राधिकरण के हवाले कर दिया। यह दिल्ली का सबसे बड़ा स्मारक भी है।
लाल किला (रेड फोर्ट) दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली भव्य किलों में से एक है। लाल किला का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह लाल पत्थरों से बना हुआ है। दिल्ली में स्थित यह ऐतिहासिक किला मुगलकालीन वास्तुकला की नायाब धरोहर है। भारत की शान के प्रतीक लाल किले का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने सत्रहवीं सदी में कराया था। तब से अब तक यह ऐतिहासिक विरासत कई हमलों को झेल चुकी है। यह पुरानी दिल्ली शहर में स्थित है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में चयनित है।
निर्माणकाल:-
भारत के सम्मान का प्रतीक और जंग-ए-आजादी का गवाह रहा दिल्ली का लाल किला सत्रहवीं शताब्दी में मुगल शासक शाहजहां ने बनवाया था। आगरा से दिल्ली को अपनी राजधानी बनाने के लिए शाहजहां ने एक पुराने किले की जगह पर 1638 में लाल किले का निर्माण शुरू करवाया था जो 10 साल बाद 1648 में पूर्ण हुआ। मुगल शासक शाहजहां ने 11 वर्ष तक आगरा पर शासन करने के बाद यह निर्णय लिया कि देश की राजधानी को दिल्ली लाया जाए। लगभग डेढ़ मील के दायरे में यह किला अनियमित अष्टभुजाकार आकार में बना है। इसके दो प्रवेश द्वार हैं:-लाहौर गेट और दिल्ली गेट।
वास्तुशिल्प:-
लाल किले के निर्माण में प्रयोग में लाए गए लाल बालू पत्थरों के कारण ही इसका नाम लाल किला पड़ा। इसकी दीवारें ढाई किलोमीटर लंबी और 60 फुट ऊंची हैं। यमुना नदी की ओर इसकी दीवारों की कुल लंबाई 18 मीटर और शहर की ओर 33 मीटर है। लाल किला सलीमगढ़ के पूर्वी छोर पर स्थित है। इसको अपना नाम लाल बलुआ पत्थर की प्राचीर एवं दीवार के कारण मिला है। यही इसकी चारदीवारी बनाती है।
वास्तुकला:-
लाल किले में उच्चस्तर की कला का निर्माण है। यहां की कलाकृतियां फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला का मिश्रण हैं, जिसको विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहांनी शैली कहा जाता था। दिल्ली की एक महत्वपूर्ण इमारत है जो भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओं को स्वयं में समेटे हुए है। यह वास्तुकला संबंधी प्रतिभा एवं शक्ति का प्रतीक है। 1913 में राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने से पहले भी लाल किले को संरक्षित एवं परिरक्षित करने के प्रयास किए गए थे। लाल किले की दीवारें दो मुख्य द्वारों दिल्ली गेट एवं लाहौर गेट पर खुली हैं।
लाहौर गेट:-
लाहौर गेट इसका मुख्य प्रवेशद्वार है। इसके अंदर एक लंबा बाजार है। चट्टा चौक है जिसकी दीवारें पर दुकानों की कतारें हैं। इसके बाद एक खुला स्थान है जहां यह उत्तर-दक्षिण सड़क को काटती है। यही सड़क पहले किले को सैनिक एवं नागरिक महलों के भागों में विभाजित करती थी। इस सड़क का दक्षिणी छोर दिल्ली गेट है। लाहौर गेट से दर्शक छत्ता चौक में पहुंचते हैं जो शाही बाजार हुआ करता था। इस शाही बाजार में दरबारी, जौहरी, चित्रकार, कालीनों के निर्माता, रेशम के बुनकर और विशेष प्रकार के दस्तकारों के परिवार रहा करते थे।
नक्कारखाना:-
लाहौर गेट से चट्टा चौक तक जाने वाली सड़क से लगे खुले मैदान के पूर्वी ओर नक्कारखाना बना है। यह संगीतज्ञों के लिए बने महल का मुख्य द्वार है। छत्ता चौक के पास ही नक्कारखाना है जहां संगीतकारों की महफिल सजा करती थी। इसके अन्य आकर्षणों में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-ख़ास, हमाम, शाही बुर्ज, मोती मस्जिद, रंगमहल आदि शामिल हैं।